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गालवान संघर्ष के बाद तीन साल में एलएसी पर लड़ाकू क्षमता फिर भी

उन्होंने कहा कि हम हमलावरों की किसी कुत्सित सोच को परास्त करने पर ध्यान केंद्रित करने की मुद्रा में हैं। सूत्रों ने इलेक्ट्रॉनिक निगरानी सहित हर तरह की निगरानी को मजबूत करने की बात कही।

भारत ने गालवान घाटी में 2020 में युद्ध के बाद से चीन के साथ करीब 3500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसआई) पर सैन्य रैंकिंग, निगरानी और क्षमता में काफी बदलाव किया है। इस घटना के तीन साल पूरे होने के बाद सेना की सूत्रों ने बुधवार को यह बात कही। भारत और चीन की सेना सीमा पर तनाव कम करने के लिए बातचीत कर रही हैं। दोनों तरफ टकराव वाले कुछ दृश्यों पर गतिरोध की स्थिति है, वहीं कुछ दृश्यों से सैनिकों की वापसी हो जाती है। गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को दोनों सेना के बीच हुआ संघर्ष पिछले पांच दशकों में एलएसी पर इस तरह का पहला संघर्ष था और इससे आवास में तनाव आ गया था। सूत्रों ने गल्वान संघर्ष के बाद उठाए गए कदमों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि भारत ने पिछले तीन वर्षों में एलएसी पर चीन के साथ ‘ढांचागत शर्तों’ को काफी कम किया है और उसका लगातार ध्यान हैलीपैड, एयरफील्ड, पुल, सुरंग, सैनिक के ठिकाने और अन्य जरूरी सुविधाओं के निर्माण पर है।

इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, ”पूरी एलएसी पर ढांचागत विकास की गति तेज हो रही है। मुख्य रूप से ध्यान सीमाओं को कम करने का है।” सूत्रों ने कहा कि अब हमारे सैनिक और उपकरण किसी भी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से व्यवस्थित हैं। उन्होंने कहा कि हम हमलावरों की किसी कुत्सित सोच को परास्त करने पर ध्यान केंद्रित करने की मुद्रा में हैं। सूत्रों ने इलेक्ट्रॉनिक निगरानी सहित हर तरह की निगरानी को मजबूत करने की बात कही। सूत्र ने कहा, ”ढांचागत निगरानी और सैन्य क्षमता को बढ़ाने के सभी प्रयास पूरी तरह से सरकार के प्रयासों पर आधारित हैं।” समझा जाता है कि सेना की उत्तरी कमान के वरिष्ठ कमांडर बृहस्पतिवार को पूर्वी में संकेत एलएसी पर संपूर्ण स्थिति की समीक्षा करेंगे। । भारत और चीन के बीच पूर्वी संकेत में सीमा विवाद के दृश्‍यों और शस्त्र प्रणाली को तेजी से शुरू करने की जरूरत पर नजर रखने से ध्यान दिया गया है। पूर्वी अलर्ट के गति से तनाव बढ़ने के बाद सेना ने पूर्वी क्षेत्र में अपनी कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, ये सभी भूभागों पर चलने वाले काफी, दृष्टिकोण से डाके जाने वाले गोलाकार-डायनेट्रोम, उच्च तकनीक युक्त निगरानी उपकरण, दृष्टिकोण और कक्षा की खरीद शामिल है।

दोनों देशों की सेना ने अब तक 18 दौर की उच्च स्तरीय वार्ता की है जिसका उद्देश्य टकराव के अन्य दावों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना और पूर्वी संदेश में एलएसी पर अमन-चैन कायम है। दोनों के बीच उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता का 18वां दौर 23 अप्रैल को हुआ, जिसमें उन्होंने पूर्वी संदेश में संदेश दिए थे जल्द से जल्द एक साथ समाधान निकालने के लिए और काम करने तथा घनिष्ठ संपर्क में बने रहने पर सहमति बनाई थी। दोनों पक्षों ने सूक्ष्म राजनयिक और सैन्य वार्ताओं के बाद कई क्षेत्रों में सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली है। भारत का कहना है कि चीन के साथ उसके संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आठ जून को कहा था कि चीन के साथ भारत के संबंध सामान्य होने की किसी भी तरह की तीक्ष्णता तब तक बेबुनियाद है, जब तक पूर्वी अलर्ट में सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होती। पूर्वी संकेत में सीमा पर पांच मई, 2020 को गतिरोध की स्थिति पैदा हुई थी। पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक संघर्ष के बाद यह स्थिति बनी हुई थी।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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