देश में कोचिंग हब के रूप में विख्यात हो चुके कोटा में आने वाले छात्रों को लगता है कि अब मंजिल दूर नहीं है। लेकिन छात्रों को जल्द ही व्यस्त मार्ग के साथ ही साथियों के दबाव और आशाओं के बोझ का सामना करना पड़ता है जिससे कुछ छात्र टूट जाते हैं और आत्महत्या के रूप में कदम उठा लेते हैं।
नमस्कार, प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम जन गण मन में आप सभी का स्वागत है। हर छात्र का सपना होता है कि वह देश के कुछ सबसे प्रतिष्ठित कॉलेजों में प्रवेश हासिल करे। इस सपने को पूरा करने के लिए छात्र कड़ी मेहनत का संकल्प लें। अपनी मंजिल तक रास्ता तय करने के लिए छात्रों को गाइडेंस यानी कोचिंग की जरूरत होती है पाने के लिए छात्र राजस्थान के कोटा शहर में आते हैं। कोटा इतना बड़ा कोचिंग का शहर है यह बात से पता चलता है कि इस साल कोटा के विभिन्न कोचिंग कोर्स में दो लाख छात्र पढ़ रहे हैं और 3,500 छात्रावास या कोटा में ही कहीं और पेइंग गेस्ट के रूप में रह रहे हैं। देश में कोचिंग हब के रूप में विख्यात हो चुके कोटा में आने वाले छात्रों को लगता है कि अब मंजिल दूर नहीं है। लेकिन छात्रों को जल्द ही व्यस्त मार्ग के साथ ही साथियों के दबाव और आशाओं के बोझ का सामना करना पड़ता है जिससे कुछ छात्र टूट जाते हैं और आत्महत्या के रूप में घातक कदम उठा लेते हैं। हाल ही में कोटा में तीन छात्रों की ओर से दी गई आत्महत्या के मुद्दों पर लोगों का ध्यान इस ओर जाता है कि आख़िर क्यों छात्रों-छात्राओं को आशाओं को इतना बोझ लाद दिया है कि वह उनके साथ सह नहीं रहे हैं?
इस बारे में जब मानदंड से बात की तो उन्होंने कहा कि वास्तव में यह परीक्षा में असफल होने का डर नहीं है, बल्कि इसके बाद होने वाला उपेक्षा और तिस्कार- है जो छात्रों को अपने जीवन को समाप्त करने की दिशा में ले जाता है। नामांकन का कहना है कि छात्रों को बार-बार पढ़ाई के बजाय जुड़े तनाव से जूझना मुश्किल लगता है। अक्सर दूसरों की आशाओं का दुख उनकी खुद की आशाओं के साथ जुड़ा होता है, जो छात्रों को हिचकिचाता है।
इसके अलावा कोटा की कोचिंग में एक के बाद एक व्याख्यान, परीक्षा श्रृंखला, अपने साथियों से आगे की यात्रा और पाठ्यक्रम के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश करते हैं जिससे कई छात्र हार जाते हैं। ऐसी भी रिपोर्ट सामने आई हैं कि कई छात्र खुद को थोड़ी राहत देने के लिए वेब सीरीज देखने वाले हैं, लेकिन वेब सीरीज की लत बहुत खराब है क्योंकि यह सक्रियता नहीं दिखाती है और ऐसे में छात्र पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं। यह बताया गया है कि लगातार छात्रों को सूजन और लाल आंखों के साथ इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन सिंड्रोम से पीड़ित पाया जाता है जो कि वह सब कुछ है कि वह वेब सीरीज के चंगुल में फंस गए हैं। एक आंकड़े के अनुसार इस साल कोटा के कोचिंग सेंटरों में पढ़ने वाले कम से कम 14 छात्रों ने आत्महत्या की है। साल 2021 में कोटा में किसी छात्र ने आत्महत्या नहीं की क्योंकि COVID-19 महामारी के कारण सभी छात्र अपने-अपने घरों से ऑनलाइन दस्तावेजों में ही भाग ले रहे थे। 2020 में आत्महत्या का पात्र 20 छात्रों का था जबकि कोटा के कोचिंग सेंटर में 2019 में 18 छात्रों ने आत्महत्या की थी। हाल ही में जिन तीन छात्रों ने आत्महत्या की, उनके बारे में यह भी बताया जा रहा है कि पढ़ाई में पिछड़ने के कारण उन्होंने यह आत्मघाती कदम उठाया।
वहीं कुछ अंश का यह भी मानना है कि इसके लिए कोचिंग ट्यूशन से अधिक माता-पिता जिम्मेदार हैं। मानदंड का कहना है कि माता-पिता को अपने बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाने के लिए दबाव बनाने के बजाय अपने बच्चों की अभिवृत्ति (एप्टीट्यूड) परीक्षण की मांग करनी चाहिए और फिर तय करना चाहिए कि उनके लिए सबसे अच्छा क्या है। मानदंड का कहना है कि हमें यह स्वीकार करना होगा कि जो विशिष्ट और एनईईटी बहुत कठिन परीक्षाएं हैं और इसलिए सीखना और सीखना भी समान स्तर का माना जाता है। मानदंड का कहना है कि कुछ माता-पिता अपने बच्चों को जबरन कोटा चुनते हैं, क्योंकि वे चाहते हैं कि उनका बच्चा डॉक्टर या इंजीनियर बने। इसके चलते बच्चे लगातार इस चिंता में रहते हैं कि परीक्षा में सफल नहीं होने पर वह क्या मुंह दिखाएंगे। मानदंड का कहना है कि बच्चों और माता-पिता को यह सलाह देने की आवश्यकता है कि इंजीनियरिंग और चिकित्सा से परे भी जीवन है और मानदंड के लिए कैरियर के कई विकल्प हैं।
निर्णय का यह भी कहना है कि अधिकतर माता-पिता को लगता है कि उनके बच्चे के कोचिंग सेंटर में सदस्यता लेने के बाद वे अपना कर्तव्य पूरा कर लेते हैं क्योंकि वे लाइसेंस का भुगतान कर देते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, छात्रावास में रहने वाले केवल 25 प्रतिशत छात्र के माता-पिता हॉस्टल के ‘केयरटेकर’ से बात करके अपने बच्चों के बारे में नियमित पूछताछ करते हैं, जबकि बाकी 75 प्रतिशत 2-3 महीने में एक बार पूछताछ करते हैं।
बहरहाल, अब इस मुद्दे पर राजस्थान सरकार गंभीर हो गई है। कोटा जिला प्रशासन ने अब कोचिंग कक्षाओं को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि वे एक मनोवैज्ञानिक को नियुक्त करें और जेइलेक्ट्रिक (इंजीनियरिंग) और एनईटेट (मेडिकल) के अलावा अन्य कैरियर विकल्पों पर भी छात्रों का मार्गदर्शन करें। इसके अलावा, राजस्थान सरकार कोचिंग सेंटर सहित निजी शिक्षण सत्र रखने के लिए प्राधिकरण प्राधिकरण स्थापित करने के लिए एक कानून बनाने की प्रक्रिया है। प्रस्तावित कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उठाए गए शिक्षण संस्थानों ने यहां अपना ध्यान केंद्रित किया है। तीन छात्रों ने सुसाइड कर ली। राजस्थान सरकार की ओर से जाने वाले कानून के मसौदे में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए किसी कोचिंग सेंटर में अभियान लेने से पहले छात्रों के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट मांगे और उनके सामने किसी तरह का तनाव की स्थिति आने पर हेल्पलाइन का प्रस्ताव दिया गया। राजस्थान सरकार द्वारा बहुप्रतीक्षित ‘राज स्थान निजी शैक्षिक नियामक प्राधिकरण-2022’ विधानसभा के आगामी बजट में जाने की संभावना है।
हम आपको बताते हैं कि इस दोष के तहत राज्य सरकार एक अधिकार प्राधिकरण के माध्यम से छात्रों में तनाव सहित विभिन्न मुद्दों को हल करने का प्रयास करेगी। इसके दायरे में स्कूल, आवंटन के साथ-साथ वे कोचिंग सेंटर भी आते हैं जो छात्रों को कॉम्पिटिशन परीक्षाओं के लिए तैयार करते हैं। ड्राफ्ट में समान जिम्मेवार, वार्षिक शुल्क में परिवर्तन, सामग्री की लागत का अध्ययन करता है और एक-दूसरे के साथ-साथ निजी लेखांकन द्वारा अन्य शुल्कों के नियमों का भी प्रस्ताव करता है। बताया जा रहा है कि इस प्रस्तावित प्राधिकरण के अध्यक्ष को कोई माना नहीं जाएगा कि शिक्षाविद होंगे। यह अधिकारिता छात्रों को तनाव से बचाने के लिए अध्ययन के घंटे, छुट्टी के दिन तय करने और परीक्षाओं के बीच के अंतर को ठीक करने का प्रावधान भी करेगा। साइट में भारी जुर्माने और बार-बार अपराध करने वालों के लिए 5 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का भी प्रस्ताव है।
मसौदे में छात्रों को नौकरी के विकल्पों के बारे में जानकारी देने के लिए करियर नोटिस सेल बनाने का जिक्र है। मसौदा कहता है कि अन्य छात्रों को किसी भी तरह की “हीनता” की भावना से मुक्ति के लिए प्राधिकरण प्राधिकरण “फर्जी विज्ञापन” और “टॉपर्स की महिमा” को संकोच करने का उपाय भी करेगा। यह कोचिंग सेंटर आपके छात्रों की कॉम्प्लीमेंट परीक्षाओं में सफल होने के बारे में शामिल होने से भी यादगार बनेंगे। मसौदे के अनुसार, ”शैक्षणिक शेयरधारकों में छात्रों की मानसिक और शारीरिक रूप से सुनिश्चित करने के लिए, अधिकृत छात्रों के लिए नियमित परामर्श, मनोरंजन और सुरक्षा के लिए नियम बनाएं। यह हर संस्थान में एक परामर्श और परामर्श प्रकोष्ठ की स्थापना अनिवार्य रूप से करेगा।” इसी तरह की छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष निर्देश जारी किए जाएंगे। निजी शिक्षण में असंबद्ध छात्रों, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए भी प्रावधान होगा।
मसौदे में यह भी कहा गया है कि कोचिंग सेंटर में पैर रखने से पहले छात्रों के लिए अनिवार्य योग्यता परीक्षा होगी और इसके परिणाम उनके माता-पिता के साथ साझा करेंगे। कानूनी छात्र और कठिन के लिए 24×7 हेल्पलाइन बनाना अनिवार्य होगा। प्रस्तावित कानून के कार्यप्रवाह का उल्लंघन करने पर प्रत्येक सप्ताह को अधिकतम एक करोड़ रुपये का जुर्माना देना होगा। बार-बार उल्लंघन करने पर जुर्माना 5 करोड़ रुपये तक हो सकता है।
बहरहाल, डेढ़ दशक के आंकड़ो के अलावा इस मुददे पर कानून और प्रख्यात वकीलों से भी बात की। प्रसिद्ध वकील और भारत के पी मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने इस मुद्दे को गंभीर स्थिति वाले कानूनी सुधारों की आवश्यकता है और कहा कि संसद में यह मामला नहीं उठता है। उन्होंने कहा कि एपोज़िनेट सरकार को एलायंस को कोचिंग देना कानूनी दायरे में लाना चाहिए।