
राजस्थान में परीक्षाओं के पेपर लीक की घटनाओं को लेकर अशोक गहलोत (अशोक गहलोत सरकार) की सरकार को मुश्किल में डाला गया है। मौजूदा वक्त में अंपायर के साथ ही पार्टी के विधायक भी सवाल उठा रहे हैं। वहीं अशोक गहलोत का कहना है कि यह एक साजिश है। सूबे में लगातार पेपर लीक की घटनाओं को देखते हुए आक्रामक होते जा रहे हैं। दिसंबर 2022 में आयोजित दूसरी श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी समेत तमाम विपक्षी नेता प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, सरकार कदम उठाने की बात कह रही है और मामलों में 55 से अधिक अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। फिर भी पेपर लीक की घटनाओं के आंकड़े भी हैरान कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में जानें कि कैसे मौजूदा नशे में सबे की सियासत पेपर लीकेज मामले के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है।
अपनों ने उठाया सवाल तो लिया हुआ नाम
वहीं संबंधी लीक मामले में अधिकारी और नेताओं के शामिल होने का दावा कर रहा है। एक दिन पहले ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने कहा था कि बिचौलियों के बजाय मुख्य साजिश के आरोप में कार्रवाई की जा सकती है। वहीं सीएम अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि मामले में शामिल मुख्य साजिशकर्ता पर कार्रवाई की गई है। हालांकि, वह सचिन पायलट पर तंज कसने से नहीं चूके और कहा कि अगर किसी नेता ने किसी का नाम लिया है तो उन पर भी कार्रवाई होगी। सीएम ने कहा- हमें लगता है कि पेपर लीकेज में जो भी शामिल हैं उन्हें फिक्स किया जाना चाहिए।
भरण-पोषण करने लगे सरकार के कार्य
गहलोत ने कहा- पेपर लीक की घटनाओं ने लोगों को प्रभावित किया है। लेकिन राजस्थान का एक ऐसा राज्य है जहां तेजी से जांच की गई और इसमें शामिल अधिकारियों को भी बर्खास्त कर दिया गया। इसलिए ही नहीं इस बारे में एक कानून भी लाया गया और लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। पेपर लीक के अपराध में शामिल छात्रों को परीक्षा से विनय कर दिया गया। विशिष्ट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई, सरकार और क्या कर सकती है? इसके साथ ही गहलोत सरकार अपने कार्यों को नौकरी से नहीं भरती है और कहती है कि सरकार ने 1.75 लाख नौकरी दी है, 1.25 लाख नौकरी प्रक्रियाधीन हैं। सूबे में एक लाख नौकरी और दी गई सैंक्टिक्स।
सफाई दी- पेपर लीक में नेता शामिल नहीं
गहलोत ने संबंध पर भी करारा हमला बोला और कहा कि संबंध के लोग नहीं चाहते कि सरकार को इसकी श्रेय मिले। कुछ के लोग यह नहीं देख रहे हैं कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में क्या हो रहा है। राजस्थान में पेपर लीक के मामले में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया, उनके घरों को तोड़ दिया गया और कर्मचारियों को निकाल दिया गया। संदिग्ध प्रेस कांफ्रेंस लोग कर रहे हैं। विरोधी नेता अधिकारी और नेताओं के नाम ले रहे हैं, यह एक साजिश है क्योंकि वे हताश हैं। पेपर लीक में कोई अधिकारी या नेता शामिल नहीं है। मामले में शामिल होने का पता चला है।
सीबीआई जांच की मांग
इसी मामले की जांच सीबीआई से जांच पर जोर दे रहा है। मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर आरलिस्ट ने मंगलवार को जयपुर के शहीद पर धरना दिया। आरोप मुखिया और नागौर के सांसद, हनुमान बेनिवाल ने सदन को संदेश देते हुए कहा कि जब सीएम मामलों की उन सीबीआई जांच की घोषणा कर सकते हैं जिनमें किस तरह की कोई मांग नहीं की गई थी, तो पेपर लीक के लिए सीबीआई जांच की मांग क्यों नहीं हो रहा है।
नियरिएट की क्रिएटिंग्स तेज होंगी
बेनीवाल ने कहा कि विधानसभा सत्र में हम इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगे। जरूरी तो राजधानी का घिनौनापन भी करेगा और हाइवे जाम कर देगा। पेपर लीक से राजस्थान की छवि खराब हुई है। वहीं बीजेपी नेता और सांसद किरोड़ीलाल मीणा पेपर लीक मामले में कई ऑफिस के अधिकारियों की संलिप्तता का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने 19 जनवरी को हजारों युवाओं के साथ दोसा से जयपुर निकालने की घोषणा कर दी है।
कड़ा कानून बनाया था, फिर भी खतरा नहीं
उल्लेखनीय है कि सब्बे में शिकायतों को रोकने के लिए 6 अप्रैल 2022 को राजस्थान विधानसभा में ध्वनि मत से प्रस्ताव पास कर ‘राजस्थान लोक परीक्षा (भर्ती में अनावश्यक बाधाओं को रोकना) अधिनियम 2022’ लाया गया था। अधिनियम के तहत परीक्षाओं में अनावश्यक को रोकने और भर्ती प्रक्रिया को अधिक पात्रता बनाने के लिए पक्का कदम उठाए गए हैं।
10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्राविधान
इस कानून में अनावश्यक व्यवहार करने वाले प्रस्तावों को तीन साल तक की जेल, न्यूनतम एक लाख रुपये का जुर्माना और दो साल तक गैर-विवेकपूर्ण व्यवहार करने की अनुमति दी गई है। वहीं परीक्षार्थियों सहित किसी भी व्यक्ति को परीक्षा एजेंसी की मिलीभगत से अप्रचलित का प्रयोग करने पर 5 से 10 साल का रिकॉर्ड और 10 लाख रुपये से 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का भी प्राविधान है।
हैरान कर रहे पेपर लीक के मामले में
यदि दस्तावेजों पर नजर डालें तो पाटें हैं कि पिछले तीन साल में ही राजस्थान में ही पेपर लीक के आठ मामले सामने आए हैं। इन मामलों में 85 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पेपर लीक के झूठ के कारण ही फरवरी में राजस्थान सरकार ने व्यूह की लेवल-2 परीक्षा रद्द कर दी थी। मई में पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा भी इन फर्जी फर्जीवाड़े के कारण रद्द कर दी गई थी। जनवरी 2019 से 24 दिसंबर 2022 तक पेपर लीक के मामलों में राजस्थान पुलिस की ओर से 237 से अधिक अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। पेपर लीक से जुड़े कुल 14 मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें से सात मामले सामने आए हैं।
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