
UNITED NEWS OF ASIA. कृष्णा नायक, सुकमा | छत्तीसगढ़ कभी नक्सलवाद का गढ़ माने जाने वाला सुकमा जिले का टोण्डामार्का अब विकास की ओर अग्रसर होता दिखाई दे रहा है। यहां सीआरपीएफ की 131वीं बटालियन द्वारा सिविक एक्शन प्रोग्राम (Civic Action Program) का आयोजन किया गया, जिसने सुरक्षा के साथ-साथ सेवा और संवाद की भावना को भी मजबूती प्रदान की।
कार्यक्रम का नेतृत्व कमांडेंट दीपक कुमार साहू के निर्देशन में किया गया। उनकी मौजूदगी में मुरियापारा, गुणराजपारा, दुर्मापारा और एल्मागुण्डा जैसे आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे। CAP के तहत ग्रामीणों को रेडियो सेट वितरित किए गए, जो अब उन्हें सूचनाओं, सरकारी योजनाओं और मनोरंजन की दुनिया से जोड़ने का माध्यम बनेंगे। ग्रामीणों ने इसे “सूचना की नई सुबह” करार दिया।
स्वास्थ्य सेवाओं की अनूठी पहल
इस कार्यक्रम के अंतर्गत नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किया गया, जिसमें मलेरिया, बुखार, त्वचा रोग और कुपोषण जैसी बीमारियों की जांच और इलाज किया गया। सहायक कमांडेंट शेजोल राहुल सुरेश और निरीक्षक किरण प्रल्हाद पाटिल की सक्रिय भूमिका ने इस आयोजन को एक सार्थक जन संवाद में बदल दिया।
जन-कल्याण योजनाओं की जानकारी
कार्यक्रम में केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, जनधन योजना सहित कई योजनाओं की विस्तृत जानकारी ग्रामीणों को दी गई। इससे वे अब सरकारी सहायता और विकास योजनाओं से सीधे जुड़ सकेंगे।
अब नक्सल नहीं, विकास है पहचान
टोण्डामार्का और आसपास के गांव जो कभी भय और पिछड़ेपन का प्रतीक थे, अब उम्मीद और बदलाव के नए केंद्र बन रहे हैं। CRPF के जवान अब न केवल सुरक्षा का भरोसा दे रहे हैं बल्कि गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा और सरकारी योजनाओं की पहुंच के प्रतीक बन चुके हैं।
“हम सिर्फ सुरक्षा नहीं, भरोसा देने आए हैं”
कार्यक्रम की शुरुआत में अधिकारियों ने ग्रामीणों से मानवीय संवाद स्थापित करते हुए स्पष्ट किया कि, “हम केवल बंदूक नहीं, भरोसे का रिश्ता जोड़ने आए हैं।”
सुरक्षा के साथ सेवा का प्रतीक बना कैम्प
टोण्डामार्का FOB में तैनात बी और एफ कंपनी के जवानों ने ग्रामीणों के लिए जलपान की व्यवस्था कर सामुदायिक एकता को और मजबूती प्रदान की। CRPF ने स्पष्ट किया कि “गांव हमारा घर और ग्रामीण हमारा परिवार हैं,” और वे सदैव उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे।
टोण्डामार्का : नक्सलवाद से मुक्ति की मिसाल
आज टोण्डामार्का सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि नक्सलवाद से मुक्ति और विकास की नई कहानी बन चुका है। CRPF की 131वीं बटालियन का यह प्रयास इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि स्थायी बदलाव बंदूक से नहीं, विश्वास और सहयोग से आता है।
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