UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। एक तरफ जिला अस्पताल प्रशासन और कवर्धा विधायक तथा प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जिला अस्पताल के मरीजों को दी जाने वाली तथाकथित सुविधाओं की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं तो दूसरी तरफ अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही के चलते कहीं जिले के ग्रामीण डायरिया की चपेट में आकर अपनी जान गवा रहे हैं तो कहीं जिला अस्पताल में डिलेवरी के दौरान जच्चा बच्चा को अपनी जान गवानी पड़ रही है।
दुर्भाग्यजनक यह है कि ऐसी घटनाओं पर अस्पताल प्रशासन पर्दा डालकर अपनी गर्दन बचाने में जुटा है और शासन में बैठे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि हांथ पर हांथ धरे बैठे हैं। उक्त बातें जिला कांग्रेस के चोवा साहू ने जारी बयान में कहीं। साहू ने कहा कि ताजा मामला जिला अस्पताल का है जहां रविवार की सुबह एक बैगिन महिला को डिलेवरी के दौरान अपनी जान गवानी पड़ गई। इतना ही नहीं उसके बच्चे की भी मौत हो गई। साहू ने बताया कि रविवार को जिले के विकासखण्ड पंडरिया के ग्राम आगरपानी निवासी गर्भवति महिला रामकली बैगा को प्रसव पीड़ा उठने के बाद परिजनो द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बोड़ला लाया गया था। लेकिन चिकित्सकों ने उसकी स्थिति को देखते हुए उसे जिला अस्पताल कवर्धा रिफर कर दिया गया।
बताया जाता है परिजनो द्वारा सुबह करीब 6.00 बजे पीड़िता को जिला चिकित्सा में भर्ती कराया गया था। जहां चिकित्सकों ने उसकी स्थिति को देखते हुए उसका ऑपरेशन किया लेकिन ऑपरेशन के बाद जच्चा बच्चा की मौत हो गई। साहू ने बताया कि यह चिकित्सकों की घोर लापरवाही है। दोनो की मौत के बाद सक्ते में आए अस्पताल प्रशासन द्वारा तत्काल मृतकों का पीएम भी करा दिया गया और शवों को मृतकों के परिजनो को सौंप दिया गया ताकि किसी को घटना की कानो कान भनक भी न लग पाए।
वहीं जब इस संबंध में अस्पताल प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उनके द्वारा कॉल तक रिसीव नहीं किया गया। जिससे साफ जाहिर है कि यह अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का घातक परिणाम है। साहू ने कहा कि यह जिला अस्पताल का संभवत: पहला मामला है जिसमें चिकित्सकों की लापरवाही के चलते एक जच्चा बच्चा को अपनी जान गवानी पड़ी है। साहू ने शासन-प्रशासन से इस मामले की जांच कराए जाने तथा जिम्मेदारी तय कर कार्यवाही की मांग की है।