भूटान और भारत के साथ चीन का सीमा विवाद: चीन का सीमा विवाद से पुराना नाता रहा है, सिर्फ भारत के साथ ही नहीं, बल्कि भूटान, नेपाल और फिलिस्तीन, वियतनाम जैसे देशों के साथ भी उसका पुराना विवाद है। चीन की विस्तारवादी मंशा के चलते उसके विभिन्न देशों की सीमाएं बढ़ती जा रही हैं। भारत की तरह ही भूटान से भी उसका सीमा विवाद चल रहा है, जो 24 दौर की वार्ता हो जाने के बाद भी अब तक नहीं सुलझ सका है। अब दोनों देश अगले दौर की वार्ता के लिए सहमत हैं।
मीडिया रेज़ के अनुसार चीन और भूटान समझौते के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने को लेकर ”सकारात्मक रूप से सहमति” हो गए हैं ताकि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को तीन चरणीय रूपरेखा के माध्यम से व्यवस्थित करने के लिए वार्ता में तेजी लायी जा सके विशेषण। दोनों देशों ने चीन-भूटान सीमा मुद्दों के अनुसार एक संयुक्त बयान जारी कर चीन के कुनमिंग शहर में 11वीं समूह की बैठक (ईजीएम) 10 से 13 जनवरी तक हुई। भूटान, चीन के साथ 477 किलोमीटर लंबी साझा सीमा है और दोनों देशों ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 24 दौर की सीमा वार्ता की है। चीन और भूटान के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन आप दोनों देशों के अधिकारियों से समय-समय पर संपर्क के माध्यम से संपर्क में रहते हैं।
असंख्य भर से अधिक पड़ोसियों के साथ चीन का सीमा विवाद है
भारत और भूटान ऐसे दो देश हैं जिनके साथ चीन ने अभी तक सीमा समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया है, जबकि बीजिंग ने 12 अन्य पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद को सुलझा लिया है। शुक्रवार को जारी संयुक्त अभिभाषकों में कहा गया है कि 11वीं ईजीएम में दोनों पक्षों ने चीन-भूटान सीमा वार्ता में तेजी लाने के लिए तीन-चरणीय रूपरेखा व्यवस्था को लागू करने पर ”स्पष्टीकरण, सादीपूर्ण और स्पष्ट वातावरण में उद्धरण का प्रस्ताव- किए गए और संपार्श्विक से एक सकारात्मक निष्कर्ष पर पहुंचे।” इसमें कहा गया, ”दोनों पक्ष तीन चरणों वाली रूपरेखा के सभी स्टैज के कार्यान्वयन को एक साथ बढ़ाने पर सहमत हुए।
दावों में कहा गया है कि दोनों तरफ ईजीआईएम की आवृति बढ़ाने और चीन-भूटान सीमा वार्ता का 25वां दौर रहने के रूप में रहने पर जल्द होने के लिए ”राजनैयिक माध्यम से संपर्क बनाए रखने” पर भी सहमति बनती हैं। दोनों देशों ने 2021 में चीन-भूटान सीमा वार्ता में तेजी से आने के लिए एक समझौता स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें सीमा वार्ता और राजनयिक स्थिति की स्थिति देने के लिए तीन चरणों की रूपरेखा तैयार की गई थी।
2017 से डोकलाम में चीन द्वारा सड़क निर्माण के बाद भारत से शुरू किया गया था
वर्ष 2017 में डोकलाम क्षेत्र में चीन के प्रयास के परिणामस्वरूप भारत-चीन के बीच एक बड़ा गतिरोध उत्पन्न हो गया था, जिससे दोनों पड़ोसियों के बीच तनाव बढ़ गया था। भारत ने चीन के डोकलाम में सड़क बनाने का काम रोका था। जबकि चीन इसे जारी रखना चाहता है। आखिरकार चीनी सैनिकों को भारत के सामने झुकना पड़ा और वह सड़क नहीं बने। इसके बाद से दोनों देशों में तनाव बढ़ गया। जून 2020 में गलवान घाटी संघर्ष और फिर दिसंबर 2022 में तवांग घाटी का संघर्ष चीन की विस्तारवादी सोच का जीता जागता उदाहरण है।