

क्रिएटिव कॉमन
चीनी सरकार ने 13 दिसंबर को अफगानिस्तान में रहने वाले अपने नागरिकों से “जितनी जल्दी हो सके” देश में वापसी का आग्रह किया। चीन की तरफ से ये बयान काबुल के एक होटल पर हुए भयानक हमले के बाद आया है।
ज्यादा दिन नहीं होंगे यही कोई ब्लिट्ज का वक्त होगा जब अफगानिस्तान में सत्ता की हुकूमत कायम थी। उस समय चीन की आन्दोलन की हुकूमत से काफी खुश नज़र आई थी। लेकिन साल के अनुमानों से अफ़ग़ानिस्तान में चीन को ऐसी स्थिति का पता चल रहा है कि उसके नागरिक जितनी जल्दी हो सके काबुल से लौटने के लिए कह रहे हैं। चीनी सरकार ने 13 दिसंबर को अफगानिस्तान में रहने वाले अपने नागरिकों से “जितनी जल्दी हो सके” देश में वापसी का आग्रह किया। चीन की तरफ से ये बयान काबुल के एक होटल पर हुए भयानक हमले के बाद आया है।
अफगानिस्तान के बंद शासकों के लिए चीन की ओर से जारी ये एडवाइजरी को एक बड़ा झटका माना जा रहा है। तालेबान के शासकों की तरफ़ से अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था को बर्बाद होने से बचाने के लिए विदेशी निवेश आकर्षित करने की योजना है। चीन ने लॉकडाउन सरकार की सहायता के लिए लाखों डॉलर का पैकेज भी दिया था। इसके एवज में आन्दोलन सरकार ने चीन को कई माइंस की लीज प्रदान की थी। कब्जा कर लिया है कि करीब एक साल पहले घेराबंदी ने फिर से अफगानिस्तान के सत्ता पर कब्जा कर लिया था।
12 दिसंबर को हथियारबंद लोगों ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक होटल के अंदर की गोलियां भेजीं, जहां अक्सर चीनी और अन्य विदेशियों की आना-जाना रहती है। विदेशी निवासियों ने कहा कि एक ऐसे होटल पर हमला किया गया जहां आमतौर पर चीनी और अन्य विदेशी लहुलुहान होते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बताया कि काबुल के एक होटल पर हुए हमले में पांच चीनी नागरिक घायल हो गए हैं। चीन ने मामले की जांच और “हमलावरों” के लिए कड़ी सजा की भी मांग की। इसके साथ ही काबुल में चीनी स्वामित्व वाले एक होटल पर संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के हमलों के बाद चीन ने अपने नागरिकों को यथाशीघ्र अफगानिस्तान लौटने की सलाह दी है।
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