
चीन बना दुनिया के लिए खतरा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स मॉड्यूल से शहरों की निगरानी
चीन के नए हथकंडे अपनकर दुनिया के लिए खतरा बन रहा है। जहां पेंटागन ने कहा है कि स्पाय बैलून जासूसी बैलून से चीन पेंटागन की निगरानी करने का अंदेशा है। वहीं के चाइना इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) किसी भी देश के शहरों के अहम उद्योग, इंफ्रास्ट्रक्चर की जासूसी करने में सक्षम है। आईओटी के माध्यम से शहरों की निगरानी के साथ ही सिस्टम में रुकावट भी पैदा हो सकती है।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स, जिसका उपयोग चीन कर रहा है
चीन नेक्स्ट लेवल पर पहुंचकर आम देरी की लड़ाई से परे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दुश्मन देशों के शहरों की निगरानी कर रहा है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स ऐसा ही मॉड्यूल है जिसमें वायरलेस नेटवर्क के माध्यम से डिजिटल डिवाइस, लोग, तंत्र, डिवाइस और अन्य वस्तुओं को एक दूसरे से जोड़ा जाता है। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) मशीनों और लोगों को एक-दूसरे से जुड़ाव और संवाद करने की अनुमति देता है। इसे इंटरनेट का भविष्य माना जा रहा है।
दरअसल, इंटरनेट ऑफ थिंग्स तकनीक का वह विकास है, जिसके कई संपर्कों को नेटवर्किंग के माध्यम से एक साथ जोड़ा जाएगा। इंटरनेट ऑफ थिंग्स को IOT भी कहा जाता है। इसमें सभी संबंध एक साथ जुड़कर एक दूसरे को डेटाबेस का समन्वय प्रदान करते हैं, जिससे सभी उपकरणों के बीच एकीकरण होता है। इससे स्मार्ट घर, स्मार्ट सिटी की परिकल्पना सही बनती है। हम दूर से ही अपने घर की निगरानी और अपने घरेलू उपकरणों को संभाल सकते हैं। लेकिन चीन इसी तकनीक का सेवन करते हुए शहरों की निगरानी कर जोखिम भरी जानकारियां पर आमादा है। इस तरह दुनिया भर में खतरा बन गया है।
चाइनीज इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) मॉड्यूल स्मार्ट शहरों की विस्तृत निगरानी करते हैं और महत्वपूर्ण बीमारियों के सिस्टम में आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जितने भी इलेक्ट्रॉनिक कार्य होते हैं, कंप्यूटर होते हैं, उनमें से कुछ नेटवर्क का अध्ययन और वर्णन नहीं करते हैं। फिर उन्हें तहस नहस करने का काम करता है। चीन अमेरिका का अपना सबसे खतरनाक दुश्मन है। इसी इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के माध्यम से चीन की खुफिया सेवा अमेरिका में देरी के बारे में पता लगाने में सक्षम है।
IoT डिवाइस से व्यक्तियों की बातचीत, जैसे कार कंप्यूटर, घरेलू उपकरण या मानक डिवाइस सहित एक विशिष्ट श्रृंखला से डेटा समेकन किया जा सकता है। ब्रिटिश राजनयिक चार्ल्स पैट्रोन का इस बारे में कहना है कि देशों को जल्द ही अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं से चीनी IoT व्यवस्था पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी डॉकटरी और सेवाओं और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय रूपरेखाओं में ये अभिलेख हैं, इसमें सूक्ष्मता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस साल के अंत तक नए चीनी IoT मॉड्यूल लेने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए और 2025 के अंत तक मौजूदा उत्पादों को बदलने के लिए एक समय सीमा जारी की जानी चाहिए, पोर्टल प्लस ने बताया।
भारत के लिए क्या हैं डैमोकल्स?
पिछले एक दशक के दौरान देश में आईओटी उत्पादों में तेजी से वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 की दूसरी तिमाही में भारत का आईओटी बाजार 264 प्रतिशत बढ़ा है। दूसरा, इस वृद्धि के साथ भारत में साइबर हमलों में खासी तेजी आई है। पिछले कुछ वर्षों में भारत की डिजिटल संरचना रणनीति और आईओटी वर्क दोनों पर साइबर हमले काफी तेजी से हैं। हाल ही में Microsoft की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईओटी उत्पादों पर मालवेयर टिप्पणियों के मामले में भारत शीर्ष तीन देशों में से एक है।
चीन की ओर से साइबर हमले
खासकर, चीन की ओर से साइबर और मालवेयर हमले भारत के लिए एक गंभीर खतरा हैं, क्योंकि नई दिल्ली स्थित सबसे महत्वपूर्ण अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डिजिटल रूप पर कुछ समय पहले हमला हुआ था। इस राजधानी के स्वास्थ्य देखभाल के लिए पूरे काम को ही पंगु बनाकर रखा था। पिछले साल चीनी हैकरों ने मैसेज के उत्तरी क्षेत्र में भारत की पावर लाइट पर भी हमला किया था।



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