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मोदी की युद्ध नीति को चिदंबरम का समर्थन, बोले– संतुलित निर्णय से बची वैश्विक अस्थिरता

UNITED NEWS OF ASIA. नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युद्ध नीति की खुलेआम प्रशंसा की है। उन्होंने हाल ही में भारत-पाकिस्तान सीमा पर हुए सैन्य घटनाक्रम को लेकर कहा कि भारत की प्रतिक्रिया संतुलित, बुद्धिमत्तापूर्ण और रणनीतिक रूप से सही रही।

चिदंबरम ने एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित अपने कॉलम में लिखा कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में बदले की मांग तेज हो गई थी, लेकिन सरकार ने सोच-समझकर सीमित सैन्य कार्रवाई का रास्ता चुना और एक बड़े युद्ध को टाल दिया।

‘भारत ने वैश्विक स्थिरता को प्राथमिकता दी’

पूर्व मंत्री ने लिखा, “भारत की सैन्य कार्रवाई सुनियोजित और सीमित रही, जिसका उद्देश्य केवल आतंकी ढांचे को नष्ट करना था, न कि आम नागरिकों या पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाना।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2022 में व्लादिमीर पुतिन से कहे गए शब्द—“यह युद्ध का युग नहीं है”—आज भी प्रासंगिक हैं और इसी भावना ने भारत को एक संतुलित रुख अपनाने में मदद की।

PoK में सीमित कार्रवाई को बताया ‘वैध और सटीक’

चिदंबरम ने 7 मई को पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में हुए मिसाइल और ड्रोन हमलों को “वैध और लक्ष्य केंद्रित” बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ने जानबूझकर नागरिक इलाकों और पाक सेना पर सीधा हमला नहीं किया, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में बनी रही।

उन्होंने पाकिस्तान के उन दावों को भी खारिज किया जिनमें कहा गया कि उन्होंने भारतीय विमान गिराए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री भी इन दावों पर कोई प्रमाण नहीं दे पाए।

सरकार के ‘स्मार्ट मूव’ की सराहना, साथ ही कुछ सवाल भी

चिदंबरम ने सरकार की पारदर्शिता की सराहना करते हुए महिला सैन्य अधिकारियों को मीडिया के सामने लाने के निर्णय को “स्मार्ट मूव” बताया। हालांकि, उन्होंने यह भी आलोचना की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न तो पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और न ही इस मुद्दे पर कोई ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई, जिसे उन्होंने मणिपुर मुद्दे पर सरकार की चुप्पी से जोड़ा।

आतंकी खतरा अभी भी बरकरार

चिदंबरम ने आगाह किया कि यह मान लेना जल्दबाज़ी होगी कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और द रेज़िस्टेंस फ्रंट जैसे आतंकी संगठन पूरी तरह समाप्त हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सीमा पर तनाव, रुक-रुक कर गोलीबारी और अस्थिरता भविष्य में भी चुनौती बनकर बनी रह सकती है।

 


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