
मंत्री मोहम्मद अकबर के प्रयासों से परम्परागत खेलों से जुड़ रहे लोग
UNITED NEWS OF ASIA. छत्तीसगढ़िया ओलंपिक पूरे राज्य में धुमाल मचा रहा है। जोन स्तरीय प्रतियोगिता पुरे होने के साथ ही त्यौहारों के इस खुशनुमा माहौल में युवा से लेकर बुजुर्ग तक इन खेलों में उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं।एक तरफ प्रकृति की हरियाली वहीं दूसरी ओर फसल के रूप में प्रकृति का उपहार इस उत्साह को कई गुना बढ़ा रहा है। छत्तीसगढ़ में आयोजित हो रहे इन खेलों में लोगों का जुड़ाव स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है।
छत्तीसगढ़ में इन खेलों के प्रति रूचि इस बात से पता चल रही है कि इन खेलों में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को अपना बचपन और युवावस्था फिर से याद आने लगा है। हमारी संस्कृति में परम्परागत खेल रचे बसे हैं। यहां के लोक जीवन में ये खेल न केवल मनोरंजन का जरिया हैं बल्कि ये शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही हमें ताजगी और स्फूर्ति भी देते हैं।
पिट्टुल, गिल्ली -डंडा, खो-खो, कबडडी जैसे खेल यहां गांव-गांव खेले जाते हैं। इनमें खो-खो और कबड्डी के खेल में खिलाड़ियों की चुश्ती और फुर्ती देखते ही बनती है। वहीं बालिकाओं और महिलाओं में फुगड़ी का खेल अत्यंत लोकप्रिय है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में उन खेलों को शामिल किया गया है जो यहां परम्परागत रूप से गांवों-और शहरों में खेले जाते हैं। लोक रूचि के इन खेलों को नई पहचान दिलाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर इस खेल प्रतियोगिता की रूप रेखा तैयार की गई।
कवर्धा के सम्मानित विधायक एवं केबिनेट मंत्री के प्रयासों से कबीरधाम जिले में बहुत ही अच्छे तरिके से ओलम्पिक का आयोजन किया जा रहा है जिसमें परम्परागत खेलों के आयोजन से यहां नई खेल संस्कृति भी विकसित होगी। इस आयोजन से जहां खेल के प्रति जगरूकता आएगी वहीं खेल के क्षेत्र में नई प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर मिलेगा। लोक रूचि और लोक महत्व के इस आयोजन से छत्तीसगढ़ देश में एक नई खेल ताकत के रूप में उभर कर सामने आएगा। छत्तीसगढ़ में खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलबो-जीतबो गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा भी दिया गया है। छत्तीसगढ़ नई खेल क्रांति की ओर बढ़ रहा है। आने वाले वर्षों में यह प्रदेश को खेल गढ़ के रूप में नई पहचान मिलेगी.
मंत्री मोहम्मद अकबर जी के प्रयासों से कबीरधाम जिला लगातार आगे बढ़ रहा
छत्तीसगढ़ की संस्कृति व सभ्यता और विशिष्ट पहचान यहां की ग्रामीण परंपराओं और रीति रीवाजों से है। इसमें पारंपरिक खेलों का विशेष महत्व है। परंपरागत रूप से बहुत समय से खेलते आ रहे खेल को शासन द्वारा वैश्विक पहचान दिलाया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ के इन खेलों को लोग भूलते जा रहे थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुरानी संस्कृति को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। खेलों को चिरस्थायी रखने, आने वाली पीढ़ी से इनको अवगत कराने के लिए छत्तीसगढ़ियां ओलंपिक खेलों की शुरूआत की गई है।
कवर्धा जिले में मंत्री मोहम्मद अकबर जी के प्रयासों से इस खेल को खेल तक न रखते हुए हमारी संस्कृति को आत्मसात करने का साधन बनाया जा रहा। छत्तीसगढ़ लोक संस्कृति, लोक परंपरा सदियों से चली आ रही है जिसे आगे बढ़ाया गया है, उसी प्रकार हमारी खेल संस्कृति को भी बहुत आगे तक ले जाना है। छत्तीसगढ़ के ये खेल मनोरंजक होने के साथ साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इन खेलों से बच्चे, बुजुर्ग व युवा सभी व्यायाम आदि शारीरिक गतिविधियों से जुड़ते हैं।
मंत्री अकबर के प्रयासों से छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए खेलकूद को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलों से राज्य के हर गांव, हर ब्लाक तथा हर जिले में स्थानीय खेलों का आयोजन हो रहा है। छत्तीसगढ़ी भाषा, खानपान, लोक कला, संस्कृति, खेलकूद को बढ़ावा देने और उसे छत्तीसगढ़ के बाहर भी पहचान दिलाने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रयासरत है। अब छत्तीसगढ़िया खेल भी अपनी अलग पहचान बना रहे है।
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