UNITED NEWS OF ASIA.रायपुर। जल संसाधन विभाग के सर्वर के खेल में कई काम अटक रहे हैं। पिछले तीन महीने से विभाग का सर्वर फंस रहा है, इस वजह से करोड़ों रुपए के बिल पास होने से लेकर महत्वपूर्ण काम नहीं हो पा रहे हैं। बता दें कि 2012 में विभाग को कंप्यूटराइज किया गया।
उस समय एनआईसी या चिप्स की जगह विभाग ने एक प्राइवेट सर्वर लिया। वह आज तक चला आ रहा है। पिछले साल भूपेश सरकार ने विभाग के सभी बिलों का भुगतान ऑनलाइन करने का निर्णय लिया। पहले ये भुगतान चेक के माध्यम से होते थे। नए वित्तीय वर्ष में ठेकेदारों ने बिल लगाए तो उनसे कहा जाने लगा कि सर्वर फंस रहा है।
प्राइवेट सर्वर पर सवाल: सभी विभागों में एनआईसी आैर चिप्स के सर्वर हैं पर यहां निजी सर्वर होना सवाल खड़े करता है। इसकी सुरक्षा हमेशा संदेह के घेरे में रहती है।
इंटीग्रेशन से नहीं हो पा रहा भुगतान
एमआईसी सेक्शन का जिम्मा आलोक अग्रवाल और पॉल को है। अग्रवाल बताते हैं कि वर्ल्ड बैंक की नई गाइडलाइन के तहत एनआईसी और ई-कुबेर साफ्टवेयर को इंटीग्रेशन का काम चल रहा है। इस वजह से समस्या आ रही है। लेकिन जिन ठेकेदारों का रायल्टी क्लियरेंस है उनका बिल पास हाे रहा है। जल्द ही क्लाउड पर शिफ्ट होने वाले हैं।
सीधी बात – इंद्रजीत उइके ईएनसी, जल संसाधन
ठेकेदारों के बिल पास नहीं हो रहे हैं?
-जो समस्या थी वह सुलझ गई है। कुछ ठेकेदार होंगे जिनके बिल पास नहीं हुए होंगे। बाकी सबके हो रहे हैं।
बिल पास न होने की वजह क्या है?
एनआईसी से ई-कुबेर को लिंक किया जा रहा है। इसलिए ये समस्या आ रही है।
आपने प्राइवेट सर्वर क्यों ले रखा है?
-ये तो पहले से चला आ रहा है।
ठेकेदारों का आरोप है कि कमीशन मांगा जा रहा है?
-ऐसा नहीं है। अभी कई अधिकारियों को भी तकनीकी समझ नहीं है। इस वजह से लोगों के पेमेंट में समस्या आ रही है।