छत्तीसगढ़बलौदाबाज़ार

Chhattisgarh : दो मासूम बच्चों को मिली नई जिंदगी, चिरायु योजना

UNITED NEWS OF ASIA. बलौदाबाजार। जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चिरायु की टीम ने जन्म से श्रवण बाधिता से पीड़ित दो बच्चों का एक साथ ऑपरेशन करवा कर उनमें सुनने की क्षमता लाने का कार्य किया है। गत दिवस विकासखंड सिमगा के ग्राम चक्रवाय और ग्राम बिटकुली के दोनों बच्चों का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर में सफल ऑपरेशन हुआ और वह स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। इस बारे में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर राजेश कुमार अवस्थी ने बताया की विकासखंड सिमगा के ग्राम चक्रवाय के साढ़े पाँच वर्षीय भानू निषाद तथा ग्राम बिटकुली के पाँच वर्षीय आरु साहू जन्मजात श्रवण बाधित थे जिनकी पहचान बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण कर रही चिरायु की टीम ने किया था।

दोनों ही बच्चों के कई प्रकार की जाँच के बाद एम्स के चिकित्सकों ने कॉक्लियर इम्प्लांट ऑपरेशन की सलाह दी। इसमें भानू निषाद का 20 अगस्त तथा आरु साहू का 22 अगस्त को ऑपरेशन किया गया जो सफल रहा। सिमगा के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ पारस पटेल के अनुसार दोनों ही बच्चों के पालकों को इस ऑपरेशन को लेकर कई प्रकार से काउंसिलिंग कर तैयार किया गया।

पालकों ने बताया कि,बच्चों को जन्म से ही सुनाई नहीं देता था। इस कारण उनकी परवरिश आम बच्चों जैसी नहीं हो पाई। क्योंकि बच्चे सुन नहीं सकते जिस कारण उनमें भाषा शक्ति भी विकसित नहीं हो पाई जिससे बोलने में भी दिक्कक्त होती थी। परिवार की आर्थिक स्थिति भी साधारण है जिससे महंगे प्राइवेट अस्पताल के इलाज का खर्च नहीं उठा सकते थे। भानू के पिता ड्राइवर हैं जबकि आरु के पिता चाय की छोटी दुकान चलाते हैं। दोनों ही बच्चों का यह ऑपरेशन निःशुल्क हुआ है। जाँच और दवाइयां भी निःशुल्क प्राप्त हुई हैं।

जिला कार्यक्रम प्रबंधक सृष्टि मिश्रा के अनुसार राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चिरायु अंतर्गत स्कूलों और आंगनवाडी केंद्रों में स्वास्थ्य टीम स्वास्थ्य परीक्षण करती है। इसमें कई प्रकार की बीमारियो की पहचान कर बच्चों का इलाज किया जाता है। इससे पूर्व भी टेढ़े-मेढ़े पैर,हृदय में छेद ,बच्चों में मोतियाबिंद जैसे प्रकरणों का उपचार किया गया है। गौरतलब है की कॉक्लियर इम्प्लांट एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो ऐसे व्यक्ति को लगाया जाता है जिसके सुनने की क्षमता या तो नहीं है या एकदम कम है। इसमें एक हिस्सा बाहरी होता है जबकि दूसरा हिस्सा ऑपेरशन से कान के अंदर लगाया जाता है।निजी अस्पतालों में यह काफी महंगा होता है जिसकी लागत लाखों में हो सकती है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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