गरियाबंदछत्तीसगढ़

Chhattisgarh : राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम पर ब्रेक लगने से कई मासूमों का रुका इलाज, किराए के वाहन लेने पर सरकार ने लगाई रोक, बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं कर पा रहा चिरायु दल

UNITED NEWS OF ASIA. गरियाबंद। नई सरकार सरकारी वाहन क्रय करने अथवा किराए से लेने की प्रक्रिया में सुधार करने जा रही है. इसके चलते वित्त मंत्रालय ने 7 जून को आदेश जारी कर किराए के वाहनों के उपयोग पर रोक लगा दिया है. राज्य सरकार के इस रोक का प्रभाव सबसे ज्यादा स्वास्थ्य विभाग पर दिख रहा है. इस आदेश से केंद्र सरकार की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रभावित हुआ है.

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना के तहत जिले के पांचों ब्लॉक में 11चिरायु दल बनाया गया है ,जो स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में निर्धारित कार्यक्रम के तहत पहुंचकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करते हैं. स्कूलों में छुट्टी होने के कारण चालू नए सत्र में दल आंगनबाड़ी केंद्रों तक जा रहा था. इन्हें किराए के वाहन उपलब्ध कराए गए थे. वाहन सेवा हटाते ही स्वास्थ्य परीक्षण व ज्यादातर बच्चों के मानिटरिंग कार्य बंद हो चुके हैं.

योजना के जिला नोडल अफसर अंकुश वर्मा ने बताया कि किराए के वाहन से आवाजाही हो रही थी. राज्य सरकार के आदेश के बाद वाहन हटाने के कारण नियमित स्वास्थ्य परीक्षण बंद हो गया है. चिन्हांकित पीड़ित जिन्हे हायर सेंटर भेजा जाना था उनमें से ज्यादातर अन्य सरकारी वाहन से उचित स्थान भेजे जा रहे हैं. कुछ के मॉनिटरिंग नहीं हो पा रहे. सीएमएचओ के माध्यम से योजना संचालन के लिए शासन से पत्राचार कर मार्गदर्शन मांगा गया है. अन्य वैकल्पिक व्यवस्था होते ही परीक्षण का कार्य चिरायु दल सुचारू रूप से करेगा.

मासूम दीपांशी का कटा होठ ठीक कर दिया गया, तालू के सर्जरी के लिए 18 तारीख तय था, जो नहीं हुआ।

20 हजार बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण रुका, सिकलसेल जांच भी प्रभावित

अभी स्कूलें बंद है. ऐसे में फिलहाल जिले के 1435 आंगनबाड़ी केंद्रों में मौजूद 30 हजार बच्चों का परीक्षण जारी है. पिछले दो माह में लगभग 10 हजार बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. इनमें 382 बच्चे 19 प्रकार के बीमारी व गंभीर कुपोषित पाए गए. चिरायु दल के परीक्षण के चलते ही चिन्हांकित इन मासूमों को अब सरकारी सुविधा भी निशुल्क मिल रही है. अब भी 20 हजार बच्चों का परीक्षण करना बाकी है. 25 जून से स्कूल खुलते ही यहां भी दल को जाना था. सिकलसेल जांच योजना में भी सरकारी आश्रम, विद्यालय में जाकर दल जांच की अहम भूमिका निभा रहा था. वाहन के अभाव में अब इस जांच पर भी ब्रेक लग गया है.

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382 मासूमों की मॉनिटरिंग नहीं, कुछ का इसी माह था ऑपरेशन वो भी रुका

अप्रैल से शुरू नए सत्र में चिरायु दल ने होठ तालू विकृति के 2, पैर के 6, मोतियाबिंद के 1, जन्मजात हृदय रोग के 17 मासूमों को राजधानी के अस्पताल से इलाज की योजना बनी थी, लेकिन वाहन नहीं होने के कारण इनके उपचार की प्रक्रिया रुक गई है. आज चिरायु दल से मिलने पहुंचे धुमाभाठा निवासी पिता तुका राम ने बताया कि बेटी के कटे होंठ का उपचार हो चुका था. 18 को तालू के इलाज के लिए ले जाने वाले थे. जब दल घर नहीं पहुंचा तो मुझे अस्पताल आना पड़ा. दर्लीपारा में मौजूद स्लेबल पॉलिसी से पीड़ित 3 बच्चे हो या फिर सुकली भांठा के तस्वीन का इलाज़ हो, गरियाबंद के आमदी में रहने वाले मासूम जयेश पटेल को भी चिरायु दल के आने का इंतजार है.

 


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