
UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। हजारों मील का सफर करके आए जीपीएस टैग लगे विंब्रेल पक्षी (छोटा गोंघ) को ऑर्निथोलॉजिट्स की टीम ने गिधवा परसादा वेटलैंड के पास बेमेतरा दुर्ग रोड के एक बांध में कैमरे में कैद किया। टीम में डा हिमांशु गुप्ता, जागेश्वर वर्मा और अविनाश भोई शामिल थे।
विशेष बात ये है कि छत्तीसगढ़ में प्रवासी पक्षियों के अध्ययन में यह एक महत्वपूर्ण कड़ी निभायेगा क्योंकि पहली बार जीपीएस लगे पक्षी को ट्रैक किया गया है। यह इस बात को पुनः प्रमाणित करता है कि प्रवासी पक्षियों के आने जाने के रास्ते में छत्तीसगढ़ महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
कलर टैगिंग येलो होने के कारण उत्तरी गोलार्ध के देशों के से उक्त पक्षी के आने का प्रमाण है। जीपीएस जीएसएम सोलर बेस्ड प्लेटफार्म ट्रांसमीटर टर्मिनल टैग ट्रैकिंग से प्रवासी पक्षियों पर जलवायु परिवर्तन पर रिसर्च करने वालों को मदद मिलती है। ये पक्षी 4000 से 6000 किलोमीटर दूरी तय करके यहां आते हैं।
- पक्षियों के आने-जाने के अध्ययन से मिलती है जलवायु परिवर्तन की जानकारी
जीपीएस टैगिंग के कारण ही पक्षियों की उड़ान का मार्ग जानने में मदद मिलती है। बेमेतरा में जिस विंब्रेल को कैमरे में कैद किया गया है उसके टैग से पता चलता है कि यह प्रवासी पक्षी पूर्वी अफ्रीका के मेडागास्कर के पास स्थित एक द्वीप से आया है। व्हिंब्रेल पानी के किनारे पाया जाने वाला पक्षी है। यह मूलत: उत्तरी अमेरिका और उत्तरी यूरोप का पक्षी है। सर्दियों में प्रवास करता है। अभी यह वापस अपने मूल स्थान पर जा रहा है।
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