छत्तीसगढ़राजनांदगांव 

Chhattisgarh : बेटे को सम्मान दिलाने की जिद:नक्सल हमले में शहीद हुआ था बेटा; मां ने 7 सालों से नहीं कीं अस्थियां विसर्जित

UNITED NEWS OF ASIA. राजनांदगांव। बेटे को नक्सल हमले में शहीद हुए 7 साल हो गए, लेकिन मां अस्थियों को अब भी सीने से लगाए हुए है। घर के एक कोने में बेटे की अस्थियां पोटली में बंधी रखी है। मां कहती है कि जब शहीद बेटे को गांव में सम्मान मिले, गांव के स्कूल का नामकरण शहीद बेटे के नाम पर हो, सम्मानजनक जगह में शहीद का स्मारक बने, तो अस्थियों को उस स्मारक की नींव में डालूंगी। तब तक अस्थियों को इसी तरह संभाल के रखूंगी। शहीद बेटे के सम्मान के लिए जूझती मां 68 वर्षीय सांवली बाई महिलकर डोंगरगांव के सोनेसरार की रहने वाली है। बता दें कि सांवली बाई का तीसरे नंबर का बेटा हेमंत महिलकर छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल का जवान था। साल 2017 में बीजापुर में सर्चिंग के दौरान हुए हेमंत शहीद हो गए।

विधायक से लेकर कलेक्टर- एसपी तक आवेदन: शहीद हेमंत की मां सांवली बाई बताती है कि बेटे के शहादत के बाद इन सात सालों में उन्होंने सभी के दफ्तर के चक्कर काटे। बेटे को सम्मान दिलाने विधायक, कलेक्टर, एसपी तक के पास पहुंची। सभी ने सिर्फ आश्वासन दिया। लेकिन अब तक उनकी बात नहीं सुनी गई है। खुद ही आवेदन लेकर इन दफ्तरों के चक्कर काटती रही, अब शरीर भी साथ नहीं दे रहा। फिर भी जब मौका मिले नेता से लेकर अफसरों के पास अपनी बात पहुंचाती हैं। सांवली बाई कहती हैं कि हेमंत के पिता भी शहीद बेटे के उचित सम्मान की बांट जोहते चल बसें।

बिना बताए स्मारक बनाया, वहां गंदगी बह रही: सांवली बाई ने बताया कि उन्होंने गांव के प्रमुख चौक या स्कूल के सामने सम्मान के साथ शहीद स्मारक बनाने की मांग की थी, लेकिन प्रशासन ने पंचायत के साथ मिलकर स्कूल के पिछले हिस्से में गुचपुच ढंग से स्मारक बनाकर औपचारिकता पूरी कर दी। जिस हिस्से में स्मारक बनाकर औपचारिकता की गई है, वहां स्कूल के बाथरुम की गंदगी बहती है, ऐसी गंदगी में वह अपने शहीद बेटे के अस्थियों को दफन नहीं करना चाहती। गांव में साथ सुथरे जगह पर स्मारक बनाकर बेटे केा सम्मान दिलाना चाहती है।

मां की जिद: बेटे के नाम पर स्कूल और स्मारक भी बने

शहीद हेमंत की मां कहती हैं कि शहीद बेटे के नाम पर गांव के स्कूल का नामकरण करने की मांग की थी, बेटे के सम्मान में गांव के प्रमुख हिस्से या स्कूल के सामने स्मारक बनाने की मांग की थी। सोचा था बेटे की अस्थियों को स्मारक की नींव में डालूंगी, लेकिन सात साल से शहीद के सम्मान के इंतजार में अस्थियों तक को मोक्ष नहीं मिल पाया है। मां सांवली बाई की जिद है कि शहीद बेटे को सम्मान मिलेगा, तब ही मन को शांति और बेटे की अस्थियों को मोक्ष मिल सकेगा।

 


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