रायपुर:– छत्तीसगढ़ चावल-डीएमएफ घोटाला कई और अफसर-कारोबारी फंसे
अफसर-कारोबारी फंसे , ED और EOW में दर्ज कराई FIR…
UNITED NEWS OF ASIA. छत्तीसगढ़ में चावल घोटाला और डीएमएफ में गड़बड़ी मामले पर ईडी ने ईओडब्ल्यू-एसीबी में दो और एफआईआर दर्ज हुई है। इस पूरे मामले में करीब दो दर्जन अफसर, कारोबारियों और नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
आपको बता दें कि ईडी ने साल भर पहले डीएमएफ और चावल घोटाले की जांच की थी और कई जगहों पर छापेमारी की जिसमें बड़े पैमाने भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ था। चावल घोटाला प्रकरण में संगठित रूप से सरकारी अफसरों के साथ मिलकर करोड़ों का घोटाला किया गया। ईडी ने करीब पौने दो सौ करोड़ का घोटाला पकड़ा था। ईडी ने जांच में यह पाया कि खरीफ सीजन 2020-21 तक ऐसे मिलर जो अपनी छ: माह की मिलिंग की क्षमता का उपयोग सरकारी धान की कस्टम मिलिंग में करते थे उन्हें 40 रु. प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साह का भुगतान राज्य शासन द्वारा किया जाता था जिसे बढ़ाकर खरीफ सीजन 2021-22 से बिना किसी सर्वे के बढ़ाकर 120 रू. कर दिया गया। मिलर ने केवल अपनी दो माह की मिलिंग क्षमता का उपयोग मिलिंग में ही किया गया। ईडी की छापेमारी से जांच से यह पाया गया कि प्रत्येक मिलर से प्रोत्साहन राशि की पहली किस्त 60 रूपये जारी करने के एवज में 20 रूपये की अवैध वसूली की गई है। ईडी को मार्कफेड के तात्कालीन एमडी की भूमिका भी पता चली है। इसमें कुछ राईस मिल के पदाधिकारियों की भूमिका भी सामने आई थी।
खास बात यह है कि राइस मिलर रोशन चंद्राकर ने बकायदा शपथ पत्र देकर एफसीआई अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और इसकी ईडी अथवा सीबीआई से जांच की मांग की थी। ईडी ने सभी के बयान लिए लेकिन छापेमारी में मार्कफेड के अफसर और मिलरों के खिलाफ गड़बड़ी के सुबूत मिले हैं। ईडी ने आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण व बेहिसाब नगदी की बरामदगी की थी। यह भी पाया गया कि करीब 500 करोड़ की प्रोत्साहन राशि जारी की गई और इसमें 175 करोड़ रुपये रिश्वत में मिले है। ईडी की रिपोर्ट पर एसीबी ने मार्कफेड के तत्कालीन एमडी मनोज सोनी, डीएमओ पूजा केरकेट्टा, राइस मिलर कैलाश रूंगटा, पारस चोपड़ा और रौशन चंद्राकर व अन्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। इन सबके खिलाफ धारा 120 बी, 409, धारा 13 (1) (क), सहपठित धारा 13 (2) एवं 11 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। इसी तरह ईडी ने डीएमएफ कोरबा के फंड में विभिन्न निविदाओं के आबंटन में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं की गई और गलत ढंग से निविदाओं को निर्धारण कर निविदाकर्ताओं को अवैध रूप से लाभ पहुंचाया गया। यह पाया गया कि कुल निविदा राशि में 40 फीसदी की राशि लोकसेवक अधिकारीगणों को इस एवज में प्रदान किया गया, साथ ही निजी कंपनी द्वारा निविदाओं पर 15 से 20 फीसदी अलग-अलग दरों से कमीशन प्राप्त किया गया है। इस पूरे मामले में आईएएस रानू साहू, कारोबारी संजय शेंडे, अशोक अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, ऋषभ सोनी, बिचौलिए मनोज द्विवेदी, रवि शर्मा पीयूष सोनी, पीयूष साहू, अब्दूल एवं शेखर के साथ मिलकर डीएमएफ के विभिन्न प्रकार की निविदाओं के आबंटन में बिल पास करने, और किसी वस्तु के वास्तविक मूल्य से अधिक मूल्य के बिल प्राप्त किए गए और अन्य अफसरों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। सभी के खिलाफ धारा 120 (बी), 420, धारा 7 और धारा 12 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है।