
भोपाल श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार के 04 साल का कार्यकाल पूरा होने पर 17 दिसंबर को छत्तीसगढ़ का गौरव दिवस मनाया जाएगा। इस दिन राज्य के गौठानों, सहभागी परिसरों, धान स्थान का निर्धारण, तेंदूपत्ता होने का स्थान, वनोपज प्रबंधन अपराधियों के कार्यालय स्थान, सभी जाली में संचालित हाट-बाजारों, नगरीय क्षेत्रों के वार्डों में कार्यक्रम का निर्धारण कर लोगों को शासन की जनकल्याण योजनाओं की विवरण विवरण। सुबह 11 बजे श्री भूपेश बघेल राज्य की जनता के नाम संदेश भी देंगे।
छत्तीसगढ़ गौरव दिवस की घोषणा की रूपरेखा तैयार की गई है, राज्य के सभी गौठानों में 17 दिसंबर 2022 को सुबह 11 बजे किसान, गौठान समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य, पशुपालक, भूमि दिए गए, जनप्रतिनिधि, स्थानीय निकाय सदस्य, राजीव युवा मितान क्लब के सदस्यों सहित स्थानीय निवासियों को आमंत्रित किया जाएगा और शासन द्वारा विगत 04 वर्षों में विभिन्न योजनाओं के तहत उपलब्धियों की जानकारी दी गई। साथ ही शासन की प्रमुख योजनाओं की जानकारी भी प्रदान की जाएगी।
दोपहर 3:00 बजे प्राथमिक सहकारिता परिसर, धान दार केन्द्रों पर किसानों को शासन की कृषि संबंधी प्रमुख योजनाओं जैसे कि ब्याज मुक्त ऋण योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना आदि की जानकारी दी जाएगी। प्रदेश के वन क्षेत्रों में इसी दिन सुबह 11 बजे तेंदुपत्ता संग्रहण केंद्र एवं वनोपज प्रबंधन समिति के कार्यालय स्थानों पर भी किसान एवं लाने के लिए संचालित योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। सभी जाली में संचालित हाट बाज़ार स्थानों में भी लोगों के शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारियां दी गई हैं।
नगरीय क्षेत्रों में वार्ड स्तर पर सुबह 11 बजे से कार्यक्रमों की जानकारी दी जाएगी। ये स्थानीय जनप्रतिनिधि और वार्ड के निवासी शासन की 4 वर्षों की उपलब्धियों से अवगत कराते हुए उन्हें जागरूक करेंगे।
श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने 17 दिसंबर 2018 को काम करना शुरू कर दिया था। सरकार बनने के दो घंटे के भीतर ही एक हजार रुपए प्रति क्विंटल का दर से धान लेने, किसानों का कर्ज माफ करने, सिंचाई कर माफ करने जैसे शासन ने पूरे कर दिए। सरकार ने उस साल 2500 रुपए क्विंटल की दर से 80.37 लाख मीटरिकटन धान की सिफारिश की थी। इसके बाद राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरुआत करते हुए ग्राहकों को संबद्धता पर आश्रितों की व्यवस्था की गई।
इस योजना के लागू होने के बाद हर साल किसानों की संख्या, खेती के रकबे और धान की मात्रा में रखी गई। साल 2019-20 में 84 लाख मीटरिक टन, 2020-21 में 92 लाख मीटरिक टन, 2021-22 में 98 लाख मीटरिक टन की बात हुई। इस साल 110 मिलियन क्विंटल धान का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत चार साल में अब तक 16,401 करोड़ 45 लाख रुपये की धनराशि का भुगतान किया गया है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना का दायरा अब इसमें खरीफ की सभी संबद्धता, दर्जी दायरा, वृक्षारोपण और कोदो-कुटकी-रागी को भी शामिल किया गया है।
अपने कार्यकाल की शुरुआत करते हुए श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार ने 17 लाख 82 हजार किसानों को 9270 करोड़ रुपए का कृषि ऋण माफ कर दिया था। इसी तरह 17 लाख से अधिक किसानों ने सालों से छलनी करके 244 करोड़ 18 लाख रुपए का सिंचाई कर भी दो घंटे के अंदर माफ कर दिया। इसके बाद साल 2018 से जून 2021 तक का 80 करोड़ रुपये का और छलछोड़ कर भी माफ कर दिया गया। इसी तरह सरकार ने अपना एक और वादा पूरा करते हुए बस्तर के लोहंडीगुड़ा में 1707 किसानों की 4200 एकड़ अधिग्रहित भूमि लौटा दी। श्री भूपेश बघेल ने गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा देते हुए सुराजी गांव योजना की शुरुआत की, इसके तहत संचालित नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम ग्रामीण रोजगार योजनाओं का आधार बनाया। इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार ने महात्मा गांधी के सपनों के अनुरूप ग्राम स्वराज के सपने को साकार करने के लक्ष्य को भी प्राप्त किया।
न्याय योजनाओं की श्रृंखला की शुरुआत करते हुए राज्य में गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि कार्यकर्ता न्याय योजना जैसी योजना भी लागू की गई। गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपए किलो में गोबर और 4 रुपए लीटर में गौमूत्र की बात करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बना। सुराजी गांव योजना के गरवा घटक के तहत निर्मित 9 हजार 619 से अधिक गौठानों में गोधन न्याय योजना के साथ-साथ अनिवार्य मूल गतिविधियों की भी राज्य की शुरुआत की गई, इसमें हजारों की संख्या में महिला स्व-सहायता के सदस्यों को रोजगार मिला। रीपा योजना की शुरुआत करते हुए 300 गौठानों को ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में उन्नत किया जा रहा है।
एक क्षेत्र के निवासियों को उनके अधिकार प्राप्त होने के लिए तेंदूपत्ता संग्रहण दर 2500 रुपए मानक बोरा से 4000 रुपए मानक बोरा कर दिया गया। इसी तरह समर्थन भुगतान पर जाने वाले लघु वनोपजों की संख्या 07 से बढ़कर 65 कर दी गई। वनक्षेत्रों में लघु वनोपजों के संचयन के साथ-साथ उनके प्रपत्रों का संपादन और छंटनी के माध्यम से भी सैकड़ों की संख्या में रोजगार के नए अवसर सृजित किए गए।
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