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बस्तर संभाग में छत्तीसगढ़ सड़क हादसों पर पुलिस की बढ़ी पेट्रोलिंग टीम, एनएच विभाग एएनएन को नहीं रोक पा रहा है

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में आरोपी घटनाओं को छोड़ दें तो बस्तर पुलिस के लिए एक नई परेशानी खड़ी हो गई है और परेशानी पुलिस के लिए गंभीर चिंता का विषय भी बना है, पिछले कुछ वर्षों से इसकी संख्याओं में भी लगातार धोखा हो रहा है , लेकिन बस्तर पुलिस और प्रशासन के लाखों दावों के बावजूद इसे रोकना प्रशासन नाकामयाब ही साबित हो रहा है।

दरअसल बस्तर में लगातार सड़क हादसे हो रहे हैं और इस सड़क हादसों में कई लोगों की जान भी जा रही है, लेकिन इन हादसों को रोकने के लिए बस्तर पुलिस और प्रशासन के पास कोई मास्टर प्लान नहीं है, साल 2022 में ही बस्तर संभाग के 7 जाम में 762 सड़क हादसे हुए हैं और इन हादसों में सैकड़ो लोगों की मौत हो गई है, जबकि 1 हजार से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, सबसे ज्यादा दुर्घटना राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुई है।

इसके बावजूद एनएच विभाग और पुलिस की पेट्रोलिंग टीम इन हादसों को रोक पाने में नाकाम साबित हो रही है, वहीं हर साल आगे बढ़ते हुए सड़क हादसों के रिकॉर्ड से कोई भी सब कुछ न लेते हुए इन दुर्घटनाओं पर काला धब्बा भी नहीं बनाया है, जिसके कारण बस्तर संभाग के नेशनल हाईवे में सड़क हादसे का नाम नहीं ले रहे हैं।

एक साल में हुए 762 सड़क हादसे

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बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने वर्ष 2022 का पात्र जारी करते हुए बताया कि संभाग के अलग-अलग सातों में 762 सड़क हादसे हुए हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों की जान गई है, और एक हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं, आईजी ने बताया कि यह सड़क बस दुर्घटना सबसे अधिक राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुई है, इनमें से अधिकांश टूर व्हीलर, फोर व्हीलर ट्रक और दुर्घटना शामिल है। आईजी ने बताया कि आगे बढ़ने वाली सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह घोषित किया जाता है, ताकि लोगो को विशेष रूप से सूचित किया जा सके।

इसके साथ ही सड़क हादसों को रोकने के लिए और शिकायत के पालन के लिए सड़क सुरक्षा समिति की गेटिंग कर बैठक भी ली जाती है, कोशिश की जाती है कि आगे बढ़ते हादसों को रोक जा सके, लेकिन यह पुलिस के लिए भी चिंता का विषय है कि हर साल सड़क हादसों का रिकॉर्ड बढ़ता जा रहा है और इसमें कई लोगों की मौत भी हो रही है।

प्रशासन का हर दावा हो रहा है

दुर्घटना सबसे बड़ी सड़क दुर्घटना जगदलपुर से बीजापुर राष्ट्रीय राजमार्ग -63 में हुई है, जिसमें सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गवाई है, खासकर गीदम रोड से पंडरीपानी मार्ग तक सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हुई हैं और इसमें साल भर में 100 से अधिक लोगों की जान गई है , तो वहीँ 300 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

जगदलपुर शहर से लगे पंडरी पानी के मोड़ में सबसे बड़ा सड़क हादसा होने का रिकॉर्ड है, बस्तर के बुजुर्ग नागरिक श्रीनिवास रथ का कहना है कि सड़क सुरक्षा के नाम पर हर साल अव्यावहारिक घटना होती है, और नई नई योजनाएं बनती हैं, लेकिन यह सभी नई योजनाएं बनती हैं योजना के जमीन में आने से पहले ही धराशाई हो जाते हैं, सबसे बड़ी बात यह है कि जिन जगहों पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं वहां आज तक काला धब्बा नहीं लगा है।

इन जगहों पर हादसे को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के अधिकारियों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और ना ही पुलिस प्रशासन ने इसके लिए कोई ठोस कदम उठाया है।

दुर्घटना रोकने के लिए हर साल दावे तो बड़े-बड़े हो जाते हैं लेकिन काला धब्बा अभी तक नहीं बना है, जिसके कारण इन जगहों पर सबसे बड़ी दुर्घटना होने का रिकॉर्ड दर्ज है, खास कर पंडरीपानी मार्ग और जगदलपुर से कोंडागांव मार्ग में भी कहीं भी काला धब्बा नहीं बना है, जिसके कारण इन जगहों पर दुर्घटना होने का डर हमेशा बना रहता है।
यहां कोई सूचना बोर्ड या किसी तरह का सुरक्षा बोर्ड नहीं लगाया गया है।

इसके अलावा शराब के नशे में भी रात के वक्त कई बड़े हादसे हुए हैं, ड्रंक एंड ड्राइव के मामले में पुलिस साल में केवल कुछ ही दिनों में कार्रवाई करती है और ज्यादातर समय यहां पुलिस कोई जांच नहीं करती, जिसके कारण शराब के नशे में धुत ट्रक , बस, फोर व्हीलर, और बाइक सवार लोग डूबते हुए तेज गति से वाहन दौड़ते हैं और दुर्घटना के शिकार होते हैं। हालांकि यातायत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनका पास स्पीड मीटर मौजूद है, लेकिन यह भी कुछ नेटवर्क में मौजूद है, लेकिन इन मशीनों से सड़क दुर्घटना को रोकने में कोई खास मामला नहीं होने वाला है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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