
UNITED NEWS OF ASIA. गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। छत्तीसगढ़ के सीमांत जिलों गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और मनेंद्रगढ़-सोनहत-चिरमिरी के निवासियों के लिए बिलासपुर और राजधानी रायपुर से जुड़ने का प्रमुख मार्ग लोक निर्माण विभाग की आरएमकेके रोड है। इन सड़कों का उपयोग न केवल आम यात्री करते हैं, बल्कि गंभीर बीमारियों और दुर्घटनाओं से पीड़ित मरीजों को भी जिला अस्पताल से बिलासपुर और रायपुर रेफर किया जाता है। एंबुलेंस जैसे आपातकालीन वाहनों को भी गड्ढों से भरी सड़क पर यात्रा करना पड़ता है, जिससे मरीजों की परेशानी और बढ़ जाती है।
क्षेत्र में मौजूद कोयला खदानों का कोयला भी इसी मार्ग से राज्य के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है। बसंतपुर से रतनपुर तक लगभग 75 किमी की दूरी वाली यह सड़क बुरी तरह से जर्जर हो चुकी है। इस मार्ग पर सैकड़ों गांव स्थित हैं, जिनके निवासियों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गड्ढों से भरी सड़क पर चलने वाले वाहनों से उठने वाली धूल से पूरा क्षेत्र धुंधला हो जाता है, जिससे न केवल सफर कठिन होता है, बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित होता है।
लोक निर्माण विभाग के अधिकारी यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं कि सड़कों की मरम्मत का काम 15 अक्टूबर से शुरू होगा, जब बरसात का मौसम समाप्त हो जाएगा। हालांकि, इसके पहले डीबीएम विधि से सड़क की मरम्मत संभव है, लेकिन अधिकारी किसी प्रकार की कार्रवाई करते नजर नहीं आ रहे हैं।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और मनेद्रगढ़-सोनहत-बैकुंठपुर को संभागीय कार्यालय बिलासपुर से जोड़ने वाली यह एकमात्र सड़क छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश को जोड़ने वाली जीवनरेखा मानी जाती है। परंतु, वर्तमान स्थिति में इस सड़क पर डेढ़ फीट से डेढ़ मीटर तक के गड्ढे हैं, जिससे 100 किमी की यात्रा में 3 से 4 घंटे लग जाते हैं। यह मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग के अंतर्गत स्थानांतरित कर दिया गया है, लेकिन अब तक उस पर काम शुरू नहीं हो सका है।
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