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Chhattisgarh News : ओबीसी आरक्षण संशोधन पर हाईकोर्ट में 27 जनवरी को सुनवाई, शासन ने राज्यपाल की सहमति का किया हवाला

UNITED NEWS OF ASIA. बिलासपुर | बिलासपुर छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण पर लाए गए पंचायती राज अधिनियम में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर अब 27 जनवरी को सुनवाई होगी। सोमवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में केस की सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि अध्यादेश पारित होने को लेकर अनुच्छेद 213 (2) के तहत राज्यपाल ने सहमति दी है।

दरअसल, सूरजपुर के जिला पंचायत उपाध्यक्ष नरेश रजवाड़े ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार के पंचायती राज अधिनियम में संशोधन को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता के एडवोकेट शक्तिराज सिन्हा ने कहा कि राज्य शासन ने ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने के लिए छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 129(ड.) की उपधारा (03) को विलोपित कर दिया है। सरकार बीते वर्ष 3 दिसंबर को छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश-2024 ला चुकी है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया है कि अध्यादेश जारी होने के बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा के 16 जनवरी से 20 जनवरी 2024 तक के सत्र में इस महत्वपूर्ण अध्यादेश को पारित नहीं कराया गया है। केवल इसे विधानसभा के पटल पर रखा गया है, सरकार ने अध्यादेश लाकर गंभीर चूक की है, जिसके कारण यह अध्यादेश वर्तमान में विधि-शून्य और औचित्यहीन हो गया है।

शासन ने रखा पक्ष, विधेयक की संवैधानिकता पर सवाल नहीं इस मामले की सुनवाई सोमवार को हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य शासन की तरफ से एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल एन भारत ने तर्क देते हुए कहा कि 3 दिसंबर को अध्यादेश लाया गया था। वहीं 16 दिसंबर से 20 दिसंबर 2024 को विधानसभा की बैठक में रखा गया। इस अध्यादेश को पारित होने को लेकर अनुच्छेद 213(2) के तहत राज्यपाल से सहमति है। जिसके बाद विधानसभा के समक्ष फिर से प्रस्तुत होने पर छह सप्ताह समाप्त होने या फिर उस अवधि की समाप्ति से पहले अनुमोदन होने पर प्रस्ताव पारित कर दिया जाता है, जिससे विधेयक पर समहमति मानी जाती है। वहीं संवैधानिक रूप से 6 सप्ताह का समय है, जो 27 जनवरी को पूरा होगा।

कैबिनेट के निर्णय पर भी उठाए सवाल इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के एडवोकेट ने कैबिनेट की पूर्व बैठक में सार्वजनिक किए एक निर्णय पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इसमें आरक्षण संबंधी संशोधन अध्यादेश को 6 महीने आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। वहीं, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के नोटिफिकेशन जारी होने के बाद याचिका पर प्रभाव की बात भी कही। जिस पर हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को गंभीरता से सुना और इसे संवैधानिक तर्क में शामिल किया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने संवैधानिक रूप से 6 सप्ताह का समय होने की स्थिति में 27 जनवरी को सुनवाई की तिथि तय की है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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