UNITED NEWS OF ASIA. बालोद। बालोद जिला वनांचल क्षेत्र स्थित ग्राम बाघमार में इन दिनों मांझी सरकार के वर्दीधारी सिपाहियों का जमावड़ा लगा है. देश के विभिन्न हिस्सों से आए ये सिपाही अपने सरकार के संस्थापक स्वर्गीय हीरा सिंहदेव (कंगला मांझी) को श्रद्धांजलि देने पहुंचे हैं. देश भर में मांझी सरकार के 2 लाख वर्दीधारी सैनिक हैं.
कहते हैं कि ब्रिटिश शासन में भूमकाल आंदोलन के दौरान 1910 में स्वर्गीय हीरा सिंहदेव जल-जंगल और जमीन को बचाने आदिवासियों की टोली बनाकर 1913 में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े. अंग्रेजों के अन्याय के खिलाफ जंगल सत्याग्रह जैसे कई आंदोलन चलाएं. 1920 में उनकी मुलाकात कोलकाता में महात्मा गांधी से हुई, और राष्ट्रीय नेताओं का उन्हें साथ मिलने लगा. इसके बाद कंगला मांझी ने सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद फौज की तरह वर्दीधारी सैनिकों की फौज तैयार की.
कंगला मांझी की विचारधारा से जुड़े उनके वर्दीधारी सैनिक आज भी जल-जंगल और जमीन को बचाने निस्वार्थ सेवाभाव के साथ काम कर रहे हैं, जो अपने सरकार के संस्थापक स्वर्गीय हीरा सिंहदेव उर्फ़ कंगला मांझी को श्रद्धांजलि देने साल में एक बार तीन दिवसीय आयोजन में यहां पहुंचते हैं.