
UNITED NEWS OF ASIA. बिलासपुर । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायगढ़ के फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ की गई विवाहिता की अपील को मंजूर करते हुए उसे तलाक की मंजूरी दे दी है। याचिकाकर्ता महिला रजनी सारंगढ़ में नर्स है। उसका विवाह हिंदू रीति रिवाज के साथ सन् 2012 में रविराज से हुआ था।
पत्नी ने परिवार न्यायालय में हिंदू विवाह अधिनियम 13 के तहत यह कहते हुए तलाक की अर्जी दी कि शादी के बाद पति का व्यवहार क्रूरतापूर्ण है। वह शराब व जुए का आदी है। एटीएम रख लेता है, पैसे नहीं देने पर मारपीट करता है, या घर का सामान बेच देता है। सामाजिक बैठक में 25 जुलाई 2018 को पत्नी को अलग रहने की अनुमति दी गई और तलाक लेने कहा गया। इस समय दोनों अलग-अलग रहते हैं लेकिन उसे वैध तलाक का आदेश चाहिए।
पति ने मारपीट, शराब पीने, घर का सामान बेचने, पत्नी के पैसे उड़ाने के आरोप से इंकार किया और कहा कि उसके बेरोजगार होने के कारण पत्नी उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करती है। सामाजिक बैठक में तलाक लेने के आदेश से भी पति ने इंकार किया। इसके जवाब में पत्नी ने अखबार में प्रकाशित नोटिस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया,
जिसमें दोनों के बीच तलाक को लेकर सहमति थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद परिवार न्यायालय ने पत्नी की अर्जी खारिज कर दी। हाईकोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने पत्नी के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच क्रूरता की परिभाषा हिंदू विवाह अधिनियम में स्पष्ट नहीं की गई है लेकिन पति का रवैया पत्नी के प्रति गैर जिम्मेदाराना है। इसलिये उसे तलाक लेने का अधिकार है।
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