
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर | 16 दिसंबर के ही दिन 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को खदेड़ा और बांग्लादेश बनाया था। इस लड़ाई में भारतीय सेना के पूर्व अध्यक्ष जनरल वीके सिंह भी शामिल हुए। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच जंग के हालात को लेकर रायपुर में बातचीत की। वे यहां एक मैराथन इवेंट में शामिल होने पहुंचे थे।
वीके सिंह ने बताया, ‘मुझे याद है जब हम चटगांव पहुंचे थे। मैं अपनी टुकड़ी को लेकर मेडिकल कॉलेज में गया था। वहां पर पाकिस्तान की सेना ने नस्ल सुधारने के लिए कैंप बना रखा था। यहां वे महिलाओं को पकड़ कर लाते थे। सैनिक उनसे बलात्कार करते थे।’
‘पाकिस्तान आर्मी ने बांग्लादेश के चटगांव की महिलाओं से क्रूरता की। तकरीबन उस समय 350, 400 महिलाएं थीं। वह अर्धनग्न और नग्न अवस्था में पड़ी थीं। इनमें कई महिलाएं गर्भवती भी थीं, जिनके साथ पाकिस्तानी सेना ने रेप किया था।’
सवाल- 1971 की जंग का सबसे भयावह मंजर क्या था, जो आपने देखा? जवाब- बहुत सी चीजे थीं, वहां जो नरसंहार हुआ, उसके बारे में बहुत ज्यादा चीजें न लिखी गईं, न उनको बताया गया, जिस तरह से लोगों को मारा गया, महिलाओं पर जो अत्याचार हुए, वह शायद आपको कहीं और नहीं मिलेगा। लोग उसके बारे में बोलते नहीं है।
उस समय भारत के खिलाफ चीन भी था, अमेरिका भी था। उनका बेड़ा बंगाल की खाड़ी में आया था, ताकि लड़ाई को जल्दी बंद करा सके और बांग्लादेश पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त न हो, लेकिन उनके कुछ करने से पहले ही हमने बांग्लादेश बना दिया।
सवाल- आपका क्या रिएक्शन था, जब आपने वो सिचुएशन देखी? जवाब- वे लोग सब अपने आप को मारना चाहते थे, बड़ी मुश्किल से उनको संभाला। पता नहीं, कितने लोगों ने बाद में आत्महत्या कर ली होगी। हमने किसी तरह से कोशिश की कि उनको उनके घरों में भेजा जाए, लेकिन कोई जीने को तैयार नहीं था।
सवाल- आप बांग्लादेश बनने की प्रक्रिया का हिस्सा रहे, आज के हालात देखकर क्या सोचते हैं? जवाब- 1971 में हम लोग उनको बचाने के लिए गए थे। लोगों को पीड़ा से उबारने के लिए गए। 13 दिन के अंदर हमने देश बना दिया। उनको उनकी बागडोर दे दी और एक महीने में वहां से निकलकर आ गए। उनको उनका देश दे दिया, वो देश अब उनका है, जो कुछ भी करना है, उन्हें करना है। ये उदाहरण आपको दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं मिलेगा।
सवाल- एक बात उठ रही है कि हिंदुओं पर संकट है बांग्लादेश में, क्या भारत को उसमें दखल देना चाहिए? जवाब- ऐसा है कि पहली चीज तो हमको यह मानकर चलना चाहिए कि हिंदू लाचार नहीं है, हिंदू सहनशील है, सक्षम है। मुझे आशा है कि हमारे जो हिंदू भाई बहन वहां पर हैं, वो दृढ़ निश्चय करेंगे, जो उनके घर हैं, जमीन है, उनका इलाका है, वहां से उनको कोई बेदखल न करे।
सवाल- पाकिस्तानी आर्मी से आपका सामना हुआ हो कोई किस्सा अगर आप बताएं? जवाब- हर सैनिक अपने देश के लिए लड़ता है। पाकिस्तानी आर्मी की तरह हम नीचे नहीं गिरते। आप कारगिल में देख लीजिए, कैसे उन्होंने हमारे लोग जो पकड़े गए, उनका क्या हाल किया। हमारे यहां ऐसा नहीं है।
हमारे यहां मानवता और संयुक्त राष्ट्र के जो नियम हैं, उनके हिसाब से हम चलते हैं। उस दिन तारीख थी 6 दिसंबर 1971, हमने पाकिस्तानी आर्मी की एक टुकड़ी को घेर लिया था। हमने उनका आत्मसमर्पण कराया, वहां पर उनके कैप्टन थे।
उन्होंने कहा कि हमने तीन दिन से खाना नहीं खाया है। मुझे हंसी आई, मैंने कहा मैंने भी 3 दिन से खाना नहीं खाया। हम तो तुम्हें पकड़ने के लिए तुमसे आगे दौड़ रहे थे। वो मेरे मुंह की तरफ देखने लगा तो मैंने कहा कि कुछ नहीं मिला खाने के लिए तो उसने कहा नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि हम लोग अपने साथ इमरजेंसी के लिए मीठे और नमकीन शक्करपारा लेकर चलते थे। मैंने अपने पास से निकालकर शक्करपारा उस पाकिस्तानी कैप्टन को दिया। वह मेरे मुंह की तरफ देखता रहा, थोड़ी देर बाद मैंने कहा- तुमने खाया नहीं। वो फिर मुझे देखने लगा। मैंने कहा- तुमको क्या लगता है कि इसमें जहर होगा।
इसके बाद मैंने उसके हाथ से उठाकर खा लिया। मैंने कहा- मेरा राशन है, तुम नहीं खा रहे, मैं तो खाऊंगा। ऐसा है कि सैनिकों के प्रति हमारी कोई वैसी सोच नहीं है। उस देश के प्रति गुस्सा है तो इसकी वजह उनकी करतूतें हैं।
सवाल- सर अग्निवीर स्कीम है, एक नई चर्चा है कि इंडियन आर्मी को गोरखा नहीं मिल रहे इसके चलते? जवाब- अग्निवीर स्कीम किसी उद्देश्य से चली। उस समय जो चीफ थे (जनरल नरवणे) उन्होंने इसे एक टूर ऑफ ड्यूटी के तौर पर रखा। अग्निवीर स्कीम से जो युवा हमारे पास आए, बहुत अच्छे हैं। पहली चीज तो यह समझ लीजिए। स्कीम में कुछ संशोधन की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि कोई भी चीज जब नई आती है तो उसे देखकर ठीक किया जाता है और मुझे लगता है कि जो उसमें जो कमियां पाई गई हैं, उन्हें दूर किया जाएगा। अभी टाइम है चीजें ठीक करने के लिए। मुझे पूरा विश्वास है कि जो फीडबैक लोगों से मिल रहा है, उसको लेकर और अच्छा बनाया जाएगा।
जानिए रिटायर्ड जनरल वीके सिंह के बारे में जनरल वीके सिंह ऐसे पहले आर्मी चीफ हुए, जिन्होंने कमांडो की ट्रेनिंग ले रखी है। जनरल सिंह आजाद हिंदुस्तान के 26वें आर्मी चीफ रहे। हरियाणा के भिवानी जिले में जन्मे वीके सिंह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी से आते हैं, जो फौज में रहे।
जनरल के पिता आर्मी में ही कर्नल और दादा जूनियर कमीशंड ऑफिसर थे। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल (रिटायर्ड) विजय कुमार सिंह को ऑपरेशन पवन के दौरान उनकी विशिष्ट सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल (PVSM), अति विशिष्ट सेवा मेडल (AVSM) और युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया है।
- भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध बांग्लादेश लिबरेशन वॉर के रूप में शुरू हुआ था। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में बंट गया था। पूर्वी हिस्से (आज का बांग्लादेश) को पश्चिम (पाकिस्तान) में बैठी केंद्र सरकार अपने तरीके से चला रही थी।
- तब के पूर्वी पाकिस्तान भाषाई और सांस्कृतिक पाबंदियां थोप दी गई थीं। इस कारण पूर्वी पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन होने लगे थे। इन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने फौज को इनका दमन करने के आदेश दिए।
- इस दौरान पूर्वी पाकिस्तानी अवामी लीग के बड़े नेता जैसे शेख मुजीर्बुर्रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया।
- जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना ने करीब दो लाख महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था। करीब 20 से 30 लाख लोग मारे गए थे। करीब 80 लाख से एक करोड़ लोगों ने भागकर भारत में शरण ली थी।
- 13 दिनों तक चले युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना से 16 दिसंबर 1971 को हथियार डाल दिए। भारतीय फौज ने करीब 90 हजार पाक सैनिकों को बंदी बना लिया था। इसे सबसे कम समय तक चले युद्ध के तौर पर भी देखा जाता है।
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