छत्तीसगढ़ में स्थगन पर किसानों को राज्य के भूपेश बघेल सरकार अनुदान राशि देगी। इसके लिए सरकार की ओर से विशेष योजना की शुरुआत की गई है। नीलगिरी, टिश्यू कल्चर बाँस, टिश्यू कल्चर सागौन, मिलिया दुबिया और अन्य आर्थिक प्रतिबंधों के बारे में किसानों को तीन साल के लिए 25 हजार पाँच सौ रुपये तक की अनुदान राशि मिल सकेगी। इन दस्तावेजों के लिए विवरण को बढ़ावा देने के लिए दर्शनीय स्थलों की योजना शासन ने शुरू की है।
साइट ट्रिपिंग योजना
वर्किंग साइट योजना के तहत प्रति एकड़ 1000 कृषकों को एक वर्ष के लिए अनुदान राशि की राशि दी जाएगी। जिसमें प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष में कोलगिरी के लिए क्रमशः 11 हजार, 7 हजार एवं 7 हजार रुपये, टिश्यू कल्चर बांस के लिए 11 हजार 5 सौ, 7 हजार एवं 7 हजार रुपये, तिशु कल्चर सागौन के लिए 11 हजार 5 सौ , 7 हजार एवं 7 हजार रुपये , मिलिया दुबिया के लिए 11 हजार 5 सौ, 7 हजार एवं 7 हजार रुपये और अन्य आर्थिक लुक के लिए 11 हजार 5 सौ, 7 हजार एवं 7 हजार रुपये की राशि राशि देगी। इस प्रकार तीन वर्षों में कोल नीलगिरी के लिए कुल 25 हजार रुपये, टिश्यू कल्चर बांस, टिश्यू कल्चर सागौन, मिलिया दुबिया और अन्य आर्थिक स्वरूपों के लिए 25500-25500 रुपये की राशि तय होगी। योजना के तहत कुल 06 मॉडल है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है
इस योजना का मुख्य उद्देश्य हितग्राहियों की निजी भूमि पर वाणिज्यिक क्षेत्रों का वृक्षारोपण कर प्राधिकरणों से वापस प्राप्त करना सुनिश्चित कर आय में वृद्धि करना है। किसान, शासकीय, गैर शासकीय, अर्धशासकीय, पंचायत, स्वायत्त संस्थान, निजी शिक्षण संस्थान, भूमि धारक एवं निजी ट्रस्ट इस योजना का लाभ ले सकते हैं। योजना के तहत टिश्यु कल्चर सागौन, तिशु कल्चर बांस, मिलिया डुबिया (मल्लबार नीम), चंदन, दोनाल नीलगिरी एवं अन्य आर्थिक लाभ प्रदाय करने वाले प्रजातियों के प्रतिनिधित्व करेंगे।
कितने एकड़ में कितना पौधा लगाएं सरकार कितने प्रतिशत अनुदान देगी
इस योजना के तहत हितग्राही 5 एकड़ तक की भूमि पर अधिकतम 5 हजार का समझौता करता है तो उसे 100 प्रतिशत अनुदान और यदि कोई 05 एकड़ भूमि से अधिक पर अधिकार हो जाता है तो उसे 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। ढक्कन का कार्य हितग्राही द्वारा किया जाएगा।
हितग्राही द्वारा फेंसिंग एवं सिंचाई की व्यवस्था स्वयं के व्यय पर करना होगा। हितग्राहियों को मांग के अनुसार मुफ्त पौधा प्रदाय किया जाएगा। दूसरे एवं तीसरे वर्ष में उनके जीवित रहने के अनुपात के अनुसार अनुदान हितग्राही के भत्ते में दिए जाएंगे। शासन स्तरीय समिति द्वारा अंशदान का समर्थन किया जाएगा।
इसे भी पढ़ें: