
UNITED NEWS OF ASIA. रायगढ़ | छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में वित्त मंत्री ओपी चौधरी की पहल पर करियर गाइडेंस सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार पहुंचे। उन्होंने दैनिक भास्कर की टीम से शिक्षा और छात्रों के भविष्य को लेकर खास बातचीत की।
बच्चों पर पढ़ाई को लेकर पड़ने वाले दबाव के सवाल पूछे जाने पर आनंद कुमार ने कहा कि, वे खुद कई बार दैनिक भास्कर में लिखकर इस मुद्दे को उठा चुके हैं। आज के समय में मुख्य रूप से अभिभावक ही बच्चों पर दबाव डाल रहे हैं। अब अभिभावकों का दबाव, शिक्षकों का दबाव और अपनी महत्वाकांक्षाएं बच्चों पर थोपी जा रही हैं।
परिजन ही बच्चों पर बनाते हैं दबाव
आनंद कुमार ने कहा कि, बच्चों की रुचि किसी और चीज में होती है, लेकिन इसके बावजूद कई अभिभावक अपनी इच्छा से अपने बच्चों को कोटा में पढ़ाई के लिए भेजते हैं। कुछ अभिभावक आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होते, फिर भी वे अपनी आखिरी जमीन बेचकर अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजते हैं। ऐसे में बच्चों पर दबाव बनता है।
कोचिंग संचालक फीस के लिए लेते है दाखिला
दूसरी तरफ कोचिंग सेंटर बच्चों की योग्यता की परवाह किए बिना ही दाखिला ले लेते हैं। वे सिर्फ फीस वसूली के नजरिए से दाखिला लेते हैं। जब पढ़ाई शुरू होती है, तो बच्चों को लगता है कि यह उनकी गलती है। वे समझ नहीं पाते। बच्चे मेहनत करते हैं।
उनके सामने दुविधाएं होती हैं। उन्हें कोई बताने वाला नहीं होता, कोई समझाने वाला नहीं होता। किसी कारण वो शिक्षकों से कुछ पूछ भी नहीं पाते। कोटा में उनके आसपास के दोस्त भी उनके दोस्त नहीं बल्कि कॉम्पीटीटर होते हैं।
बच्चों को अपनी इच्छा की लाइन चुनने दें
ऐसी स्थिति में बच्चे बहुत दबाव महसूस करते हैं और अंतिम उपाय चुनते हैं। आनंद कुमार का मानना है कि यह बहुत पीड़ादायक स्थिति है। अभिभावकों को बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं डालना चाहिए। उन्हें उनकी रुचि और इच्छा की लाइन में जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए, लेकिन बच्चों को सही और गलत का फर्क बताना चाहिए।
आनंद कुमार ने कोचिंग संचालकों से भी अनुरोध है कि वे शिक्षा को व्यवसाय न बनाएं। अगर कोई बच्चा उनके पास आता है। जिसमें इंजीनियरिंग करने की क्षमता नहीं है और वो किसी दूसरी लाइन में जाना चाहता है, तो उसे उस लाइन में जाने के लिए प्रेरित करें।
युवा पीढ़ी इंटरनेट की मकड़जाल में फंस गए
आनंद कुमार का कहना है कि, आज की युवा पीढ़ी इंटरनेट की मकड़जाल में फंस चुकी है। जो उन्हें देखना चाहिए वे देख नहीं पा रहे। बल्कि इंटरनेट की दुनिया उन्हें जो दिखा रही है, वो वही देख पा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में गुरू की सलाह और उनके राय से इंटरनेट का उपयोग करते हैं।
सोशल मीडिया से कुछ सीखते हैं, तो अच्छी बात है, लेकिन एक मार्गदर्शक के रूप में एक अच्छा गुरू होना बहुत जरूरी है। उनका मानना है कि सेल्फ स्टडी करते हैं या फिर किसी चीज की गहराई तक जाकर जानकारी लेना चाहते हैं, तो किताब से बड़ा सोर्स आज भी कोई नहीं है।
सरकार को योजनाएं बनानी चाहिए
इंडिया के कई इंजीनियर, अधिकारी दूसरे देशों में जाकर नौकरी कर रहे ? इस सवाल पर आनंद कुमार ने कहा कि, आज भी हमारे बैच वाले अधिकतर लोग अमेरिका, यूरोप, जर्मनी, जापान जाकर नौकरी करते हैं, लेकिन कुछ लोग इंडिया में भी अच्छे इंजीनियर, आईएएस, आईपीएस और आईएफएस हैं। जो बाहर नौकरी के लिए जा रहे उन्हें भी रोकना संभव है।
उन्होंने कहा कि. अब हमारा देश विकसित हो रहा है। हमारे देश में भी तमाम ऐसी सुविधाएं आ रही है, जो कि बाहर के कंट्री के बराबर है। ऐसे में धीरे-धीरे पलायन रुकेगा, लेकिन सरकार को भी इस दिशा में मेहनत करनी चाहिए। नई-नई योजनाएं बनानी चाहिए। विदेश में जा चुके लोगों को वापस कैसे लाए, इसके लिए प्रयास करना चाहिए।
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