बैंगलोर: कर्नाटक में कुर्सी का मामला सुलझने के बाद अब कल बैंगलोर के कांतिरावा स्टेडियम में दोपहर साढ़े 12 बजे शपथ ग्रहण होगा। सिद्धारमैया जबकि डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। कल शाम विधायक दल के नेता फिर जाने के बाद सिद्धारमैया ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। शपथ ग्रहण से पहले दोनों नेता आज दिल्ली आ रहे हैं। माना जा रहा है कि कैबिनेट पर हाईकमान से चर्चा के लिए दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है।
कांग्रेस ने किसको बुलाया और किससे नहीं?
कांग्रेस ने कल बेंगलुरु में शपथ ग्रहण को ग्रैंड बनाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। शपथ ग्रहण में मोदी-विरोधी सभी नेताओं को न्यौता दिया गया है। शपथ ग्रहण समारोह में सचिन गांधी, पवित्र गांधी वाड्रा और क्रिकेट के भागीदार शामिल होंगे। मलिकर्जुन खड़गे ने सबसे पहले शरद को फोन करके शपथ ग्रहण में शामिल होने का न्योता दिया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन, पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री कुमार, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और ओडिशा के मुख्यमंत्री नव तृप्ति के अलावा सभी मतदाता यादव, तेजस्वी यादव,उद्धव ठाकरे, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे सभी मतदाता शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्योता भेजा गया है।
फ्रिजर और भगवंत मान को नहीं बुलाने की वजह क्या?
हालांकि इस सूची में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद अरविंद, पंजाब के सीएम भगवंत मान, स्पॉटिंग के सीएम के चंद्रशेखर राव सहित कई नामों को शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में दिसंबर 2024 के चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच माने जा रहे सियासी गठबंधन के कयासों के बीच मिलन से पहले सक्रियता की स्थिति को देख रहे हैं। पार्टी सूत्र दावा कर रहे हैं कि केजरीवाल और भगवंत मान को नहीं बुलाने के पीछे दिल्ली और पंजाब कांग्रेस के नेताओं का विरोध प्रमुख है। अभी कुछ दिन पहले भी दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह किंग वारिंग ने फ्रैंक की बगावती की थी। दोनों का ही कहना था कि आप हमेशा से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में उसके साथ हाथ मिलाना हर दृष्टि से गलत है।
समान विचारधारा वाले पार्टी नेता आमंत्रित करते हैं
वहीं, एआईसीसी के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा, ”हम समान विचारधारा वाले पार्टी नेताओं को शपथ ग्रहण समारोह का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।” बता दें कि कर्नाटक की बंपर जीत ने कांग्रेस के लिए केवल प्राण फुंकने संजीवनी बूटी का काम ही नहीं किया बल्कि अब पार्टी 2024 का लक्ष्य हासिल करने के लिए दोगुने जोश से काम करने में भी जुट गई है।
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अब कर्नाटक से पूरे देश को ठीक उसी तरह से मैसेज देने की तैयारी चल रही है जैसे 23 मई 2018 के एचडी कुमारस्वामी के शपथ समारोह के दौरान देखने को मिली थी। उस दौरान भी कांग्रेस ने मोदी विरोधी नेताओं का अधिकार जताने की क्षमता प्रदर्शन की तैयारी की थी। उस वक्त भी ये चेहरे थे और उनमें से ज्यादातर चेहरों को इस बार भी न्यौता भेजा गया है। कांग्रेस 20 मई 2024 का शंखनाद करने वाली है। कांग्रेस के नेताओं को उम्मीद है कि 20 मई को बंगलुरु में एंटी मोदी मोर्चों की बड़ी तस्वीर दिखाई देगी।
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