
UNITED NEWS OF ASIA. कुशल चोपड़ा छत्तीसगढ़ | छत्तीसगढ़ सरकार ने आम नागरिकों की पुलिस व्यवस्था तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने और संवाद प्रक्रिया को जनसामान्य के लिए अधिक बोधगम्य बनाने के उद्देश्य से एक अहम फैसला लिया है। अब प्रदेश की पुलिस कार्यप्रणाली में प्रयुक्त होने वाले कठिन उर्दू-फारसी शब्दों को हटाकर उनकी जगह सरल एवं सहज हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाएगा।
इस निर्णय की जानकारी प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने दी। उन्होंने कहा कि आम आदमी जब शिकायत लेकर थाने जाता है तो वह पुलिस की भाषा और प्रक्रिया को समझ नहीं पाता। इससे उसके अधिकारों और शिकायत की स्थिति को समझने में बाधा आती है। इसलिए यह जरूरी हो गया था कि एफआईआर, पंजी, और अन्य दस्तावेजों की भाषा नागरिकों के लिए स्पष्ट और सरल हो।
पुलिस में होगा ‘भाषाई सुधार’, जिलों को भेजा गया आदेश
उपमुख्यमंत्री के निर्देश के बाद पुलिस महानिदेशक ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को पत्र जारी कर यह निर्देश दिया है कि भविष्य में सभी कानूनी दस्तावेजों, एफआईआर और संवाद में जन-सुलभ हिंदी का उपयोग किया जाए। इसके साथ ही एक शब्दावली सूची भी जारी की गई है जिसमें 100 से अधिक कठिन शब्दों के स्थान पर सरल हिंदी विकल्प दिए गए हैं।
क्यों ज़रूरी था यह बदलाव?
गृहमंत्री शर्मा ने कहा –
“न्याय तब सशक्त होता है जब नागरिक उसकी प्रक्रिया को समझ सके। यदि पुलिस की भाषा ही ऐसी हो जिसे आम आदमी समझ न सके, तो वह न्याय की पहली सीढ़ी पर ही अटक जाता है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस का कर्तव्य केवल अपराध नियंत्रण नहीं बल्कि जन संवाद और भरोसे का निर्माण भी है। भाषा इसका सबसे सशक्त माध्यम है।
कुछ प्रमुख कठिन शब्द और उनके सरल विकल्प
पुराना शब्द | सरल हिंदी विकल्प |
---|---|
शिनाख्त | पहचान |
फरियादी | शिकायतकर्ता |
जरायम | अपराध |
सजायाफ्ता | दण्ड प्राप्त |
माल मशरूका | लूटी/चोरी गई सम्पत्ति |
बयान | कथन |
तहकीकात/तफतीश | विवेचना/जाँच |
परवाना | अधिपत्र |
गवाह | साक्षी |
मौका ए वारदात | घटनास्थल |
क्रियान्वयन की होगी निगरानी
गृहमंत्री ने यह भी निर्देशित किया कि यह आदेश केवल कागज़ों तक सीमित न रह जाए, इसका प्रभाव हर थाने, चौकी और पुलिस कार्यालय में स्पष्ट दिखे। सभी अधीनस्थों को आदेश की प्रति उपलब्ध कराई जाए तथा जिला स्तर पर इसकी क्रियान्वयन रिपोर्ट नियमित रूप से भेजी जाए।
भाषा बदलेगी, भरोसा बढ़ेगा
सरकार का मानना है कि इस निर्णय से पुलिस और जनता के बीच भरोसे का पुल और मजबूत होगा। जहां पहले एफआईआर की कॉपी लेकर शिकायतकर्ता कानूनी शब्दों के चक्कर में उलझा रहता था, वहीं अब वह अपनी शिकायत और उसकी कार्रवाई को स्वयं समझ सकेगा और अपनी बात बेहतर रख सकेगा।
संवाद, सरलता और सुगमता – यही है छत्तीसगढ़ पुलिस की नई भाषा नीति का उद्देश्य।
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