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केंद्र ने कहा है कि राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की प्रक्रिया जारी है

इस मुद्दे पर राज्यसभा के पूर्व सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और रिकॉर्ड जे बी पारदीवाला की याचिका ने भाजपा नेता से कहा कि अगर वह पसंद तो सरकार को एक आवेदन दें।

नई दिल्ली। सेंटर ने जुपिटरवार स्मारक को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने के मुद्दों पर विचार कर रहा है। इस मुद्दे पर राज्यसभा के पूर्व सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और रिकॉर्ड जे बी पारदीवाला की याचिका ने भाजपा नेता से कहा कि अगर वह पसंद तो सरकार को एक आवेदन दें। पीठ ने कहा, ”सॉलिसिटार जनरल (तुषार मेहता) ने कहा है कि वर्तमान में संस्कृति मंत्रालय में एक प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा है कि याचिकाकर्ता (स्वामी) यदि भिन्न हों तो अतिरिक्त आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।”

शीर्ष अदालत ने केंद्र से इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए कहा और स्वामी के मुद्दों पर स्पष्टीकरण से प्राधिकरण नहीं होने पर पुन: अर्जी पैर रखने की अनुमति देते हुए उपाय अर्जी का निराकरण किया। स्वामी ने कहा, ”मैं किसी से नहीं चाहता. हम एक ही पार्टी में हैं, यह हमारे घोषणा पत्र में था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने स्वामी ने कहा, ”मैं फिर आ जाऊंगा।” संक्षिप्त सुनवाई की शुरुआत में स्वामी ने कहा कि 2019 में स्पष्ट संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने इस मुद्दे पर एक बैठक बुलाई थी और रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की घोषणा की थी।

उन्होंने कहा, ”मुद्दा यह है कि उन्हें हां या ना कहना है।” विधि अधिकारियों ने कहा कि सरकार इस पर गौर कर रही है। तीन न्यायाधीशों के संयोजन में सत्य पीठ ने कहा कि ग्लोब पी एस नरसिम्हा मामले का हिस्सा नहीं होंगे क्योंकि वह पहले इस मामले में एक वकील के रूप में पेश हुए थे। ऐसे मामले में दो जजों- सामान्य जजों और समीक्षकों द्वारा आदेश पारित किए गए। इससे पहले के शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह फरवरी के दूसरे सप्ताह में स्वामी की याचिका पर सुनवाई करेगा। रामसेतु को ‘एडम ब्रिज’ के नाम से भी जाना जाता है। यह तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट से पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट से दूर मन्नार द्वीप के बीच छोटे-दादा पत्थर-चट्टानों की एक श्रृंखला है।

बीजेपी नेता ने दावा किया था कि वह तय का पहला दौर जीत गए हैं, जिसे केंद्र ने रामसेतु के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया था। उन्होंने कहा कि संबंधित केंद्रीय मंत्री ने 2017 में उनकी मांग पर विचार करने के लिए बैठक बुलाई थी, लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ। भाजपा नेता ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-एक सरकार द्वारा शुरू की गई क्षुद्र सेतुसमुद्रम पोत चैनल परियोजना के खिलाफ अपनी जनहित याचिका में रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का दावा किया था। मामला सबसे ऊपर का है, जिसने 2007 में रामसेतु पर परियोजना का काम रोक दिया। केंद्र ने बाद में कहा कि उसने परियोजना के ”सामाजिक-आर्थिक नुकसान” पर विचार किया था और रामसेतु को नुकसान पहुंचाने के लिए बिना जहाजों के आने के रास्ते के लिए एक परियोजना और मार्ग तलाशने को तैयार है।

मंत्रालय द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया, ”भारत सरकार राष्ट्र हित में एडम ब्रिज/रामसेतु को प्रभावित/शारी किए बिना सेतुसमुद्रम पोत परियोजना के विकल्प का पता लगाने का इरादा है।” इसके बाद अदालत ने सरकार से नया हलफनामा दायर किया करने को कहा। सेतुसमुद्रम पोत चैनल परियोजना को कुछ राजनीतिक पार्टियां, पर्यावरण जीवधारी और कुछ हिंदू धर्मनिष्ठों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। परियोजना के प्रोजेक्ट, मन्नार को पाक जलडमरू में जोड़ने के लिए खातों को हटाने के लिए 83 किलोमीटर का ‘वाटर चैनल’ बनाया जाना था। सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर, 2019 को केंद्र को रामसेतु पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया था। उसने स्वामी को केंद्र का जवाब दायर नहीं होने पर अदालत का रूख करने की स्वतंत्रता भी दी थी।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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