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बुढ़नी देवीधाम सलकनपुर मंदिर देवी मां अन्न द्वारा मनोकामना पूरी करने के बाद बंजारों द्वारा बनाया गया

देवीधाम सलकनपुर मंदिर: आज से चैत्र नवरात्रि (चैत्र नवरात्रि) पर्व की शुरुआत होने जा रही है। माता-पिता के नौ दिवसीय पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल होता है। संबंधित मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध देवीधाम मंदिरों में पहुंचकर मातारानी के दर्शन करते हैं। राजधानी भोपाल से 70 किलोमीटर दूर सल्कनपुर विजयासन धाम पर नौ दिनों के पर्व के दौरान दस लाख से अधिक ग्राहक माता-पिता के दर्शन के लिए खाते हैं। देवीधाम सलकनपुर मंदिर (Devidham Salkanpur Temple) के निर्माण के इतिहास को लेकर दर्शकों में लगातार उत्सुकता बनी रहती है। बुदनी विधानसभा क्षेत्र के रेहटी के सलकनपुर गांव में माता का धाम है।

पौराणिक कथा के अनुसार करीब 300 साल से अधिक समय पहले बंजारों (खानाबदोशों) ने मां सलकनपुर मंदिर की स्थापना की थी। कहानी है कि करीब 300 साल पहले बंजारों का मनोकामना पूरी तरह से होते हुए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण किया था। कहा जाता है कि अधिकारी का व्यापार करने वाले बंजारे इस स्थान पर विश्राम और अधिकारियों के चार के लिए यहां रुके हुए थे कि उनका दृश्य अदृश्य हो गया। काफी तथ्यों के बाद भी बज़ारों को अपना पशु नहीं मिला, ऐसे में एक बालिका वृद्ध बंजारे के सामने आई. बालिका के घेरे पर वृद्ध बंजारे ने हर बात कही, तब बालिका ने कहा कि आप यहां देवी की पूजा अर्चना करें पशु मिल जाएंगे।

जिस स्थान पर फेंका उसी स्थान पर मंदिर बना दिया

बंजारे ने बालिका से पूछा कि यहां देवी का स्थान कहां है, हमें नहीं समझना चाहिए, जिस पर बालिका ने पत्थर फेंककर स्थान बताया, जिस स्थान पर पत्थर फेंका था वहां देवी मां मिलीं। बंजारों ने माता की पूजा अर्चना की और बंजारों के पशु मिल गए। बंजारों की मनोकामना पूरी होने पर उन्होंने यहां देवी मां की स्थापना की और मंदिर का निर्माण किया। बंजारों की यह बात धीरे-धीरे निकलकर बाहर आने लगी तो यहां श्रद्धालुओं के आने की झलक दिखाई देने लगी। श्रीमद भागवत कथा के अनुसार जब रक्तबीज नामक दैत्य से त्रस्त देवता देवी मां की शरण में पहुंचे तो देवी मां ने किसी की परेशानी को दूर करने के लिए विकराल रूप धारण कर लिया। इसी स्थान पर माता ने देवता का संहार किया। वैश्विक ने मां को आसन दिया, यही आसन मां विजयासन धाम के नाम से विख्यात हुआ।

ग्लोब ग्लोब पर बैठी है मां

बता दें कि सलकनपुर विजयासन धाम एक हजार फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। पहले माता के दर्शन के लिए झरने के माध्यम से लगाया गया था, जिसके लिए 1400 से अधिक सीढ़ियां चौकी थीं, हालांकि अब यहां सड़क मार्ग और रोपवे के माध्यम से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए प्रतिबद्ध हैं। बता दें कि प्रसिद्ध देवीधाम सलकनपुर मंदिर राजधानी भोपाल से 70 किलोमीटर दूर हैं। इस नवरात्रि के नौ दिनों में लगभग दस लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए यादगार हैं। देश भर से यहां अनुयायी आते हैं।

हवाई मार्ग से श्रद्धालुओं को आने के लिए भोपाल एयरपोर्ट से 70 किलोमीटर का सफर तय करना होता है, जबकि रेल मार्ग के लिए बुदनी रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी महज 15 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से राजधानी भोपाल से नसरुल्लागंज रोड होते हुए मंदिर तक संदेश जाता है।

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