
रविदास जयंती 2023: हर साल माघ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन संत रविदास जयंती मनाई जाती है। इस साल 5 फरवरी 2023 को रविदास जी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। इस स्थिति पर बसपा (बसपा) प्रमुख मायावती (मायावती) ने ट्वीट कर कहा कि, “सभी लोगों को ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ का अमर अध्यात्मिक संदेश देने वाले महान संत गुरु रविदास जी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन व श्रद्धा सुमन अर्पित तथा देश एवं दुनिया में रहने वाले उनके सभी अनुयाइयों को मेरी वि बीएसपी की ओर से भी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।”
वहीं एक ट्वीट में मायावती ने लिखा कि, “शासक वर्ग भी संतगुरु रविदास जी को अपने सनक राजनीतिक स्वार्थ की विशेषता केवल उन्हें माथा टेकने का कार्य न करें, बल्कि साथ ही, उनके गरीब दुःखी-पीड़ित अनुयाइयों के हित, कल्याण एवं भावनाओं का भी खास ख्याल रखते हैं, यही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”
2. शासक वर्ग भी संतगुरु रविदास जी को अपने सनत राजनीतिक स्वार्थ की विशेषता केवल उन्हें माथा टेकने का कार्य न करे, बल्कि साथ ही, उनके गरीब व दुःखी-पीड़ित अनुयाइयों के हित, कल्याण एवं उनकी भावनाओं का भी विशेष ढायाल रखते हैं, उन्हीं को रखते हैं सच्ची श्रद्धांजलि। 2/2
— मायावती (@Mayawati) फरवरी 5, 2023
‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’
कहते हैं कि संत रविदास का जन्म कर्मकार कुल में हुआ था, वे जूते बनाने का काम करते थे। उन्होंने कभी जात-पात का अंतर नहीं किया। जो भी संत या फकीर उनके द्वार पर आते हैं, वे बिना पैसे लिए उन्हें हाथों से बने परिधान पहनते हैं। वह हर काम पूरे मन और लगन से करते थे। फिर चाहे वह जूते बना रहे हों या ईश्वर की भक्ति। उनका कहना था कि शुद्ध मन और निष्ठा के साथ किए गए काम का परिणाम मिलता है। ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ – रविदास जी का ये कथन सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, इस कथन में रविदास जी ने कहा है कि यदि पवित्र मन से किए गए ये तीर्थ करने के समान कार्य किया जाए तो कार्य को पवित्र माना जाता है।
संत रविदास ने अपना जीवन प्रभु की भक्ति और सत्संग में माना था। वह बचपन से ही प्रभू की भक्ति में लीन रहते थे। उनकी प्रतिभा को जानकर स्वामी रणानंद ने उन्हें अपना शिष्य बनाया। मान्यता है कि कृष्ण भक्त मीराबाई भी संत रविदास की शिष्या थीं।



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