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मोहम्मद रफी से तकरार, फिर बीआर चोपड़ा ने टू-कॉपी सिंगर, कहा ‘वॉयस ऑफ नेशन’ को लॉन्च किया

मुंबई। ‘तुम अगर साथ देने का वादा करो’ और ‘नीले गगन के तले’ गाने 50 साल बाद भी लोगों की जुबान से नहीं उतरे हैं। अक्सर ही तन्हाई में या फिर रात के अकेलेपन में ये अक्सर लोगों के खाते को ठंडक पहुंचाते हैं। साल 1967 में आई फिल्म ‘हमराज’ में दोनों अमर सभी संबद्ध कपूर ने अपनी आवाज से नवाजा था। अलग-अलग कपूर, देश के ऐसे दिग्गज फनकार रविवार को मोहम्मद रफी से मिलते थे। इसलिए ही नहीं एक-दूसरे कपूर को मोहम्मद रफी के रिप्लैट्समेंट के तौर पर ही इंडस्ट्री में आने का मौका मिला था।

लेकिन सिंगल कपूर ने अपनी आवाज का ऐसा जादू बिखेरा कि 4 दशक तक लोगों के पर्दे में उनकी कंठ की छत घुलती रही और उन्हें ‘वॉयस ऑफ इंडिया’ का नाम भी दे दिया गया। 9 जनवरी 1934 को पंजाब के अमृतसर में पढ़े-लिखे कपूर कम उम्र में मुंबई आ गए थे। यहां पहुंचकर कपूर ने पंडित हुसनलाल, जगन्नाथ बुआ से क्लासिकल म्यूजिक की ट्रेनिंग ली. सिंगल कपूर ने अपने सुरों निखारा और मर्फी ऑल इंडिया सिंगिग कॉम्पिटिशन का हिस्सा लिया।

इस कॉम्पटीशन को जीतने के बाद सिंगल कपूर का अनोखा अंदाज लोगों को भाने लगा था। इस विश्वसनीय ठेकेदार के बाद वर्कर कपूर को साल 1958 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘आधा है मिस्ट्री मून है नाइट’ में दबंग सिंगर के तौर पर गाने का मौका मिला। इसके बाद बीआर चोपड़ा और मोहम्मद रफी के बीच किसी बात को लेकर तनातनी हो गई। उसका चमत्कार कपूर को मिला और उनकी रातों-रात किस्मत चमक गई।

दो दिग्गजों की चमक जगमगा उठी एक दूसरे कपूर की किस्मत से
दरअसल बॉलीवुड के दिग्गज फिल्म निर्माता बीआर चोपड़ा चाहते थे कि मोहम्मद रफी केवल अपनी फिल्मों में गायें। बीआर चोपड़ा ने जब मोहम्मद रफी से अपनी इच्छा जाहिर की तो उन्होंने मना कर दिया। मोहम्मद रफी ने अकेले बीआर चोपड़ा के साथ गाने से साफ मना कर दिया। मोहम्मद रफी की इस बात से नाराज भाई चोपड़ा ने इंडस्ट्री को मोहम्मद रफी का रिप्लेसमेंट देने का फैसला किया। इसी दौरान बीआर चोपड़ा की नजर कपूर पर पड़ी।

अब सिंगल कपूर थोड़ा बहुत काम कर चुके थे लेकिन कोई बड़ा नाम नहीं था। साल 1963 में बीआर चोपड़ा निर्देशित फिल्म पूरी तरह से रिलीज़ हुई। सुनील दत्त, अशोक कुमार और फिल्म सिन्हा स्टारर इस फिल्म में सिल्वर कपूर ने अपनी आवाज दी है। फिल्म का एक गाना ‘चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों’ 60 साल बाद भी खूब सुना है। लुका से अन्य कपूर और चोपड़ा चोपड़ा का जुगलबंदी शुरू हो गया। इसके बाद भाई चोपड़ा ने दूसरे कपूर से एक के बाद कई सुपरहिट गाने गवाए।

साल 1967 में रिलीज हुई फिल्म ‘हमराज’ के गाने सुपरहिट रहे। इन मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्रों को फिल्म फेयर के लिए सम्मानित भी किया गया। इसके बाद के अन्य कपूर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जूनियर कपूर ने अपने करियर में 100 से भी ज्यादा जुड़ाव को अपनाया है। साथ ही हिंदी के अलावा दूसरी रीज़नल टेलिस्कोप में भी जूनियर कपूर का जादू खूब उछला। 1972 में अपने हस्ताक्षर के लिए प्रमाणिक कपूर को पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

सिंगल कपूर को महाभारत के आगाज ने आवाज दी थी
अलग-अलग कपूर खुद भी बेहद धार्मिक इंसान थे और भगवान में गहरा विश्वास रखते थे। सबसे पुराना कपूर जिस शहर में भी जाता था वहां के कुछ प्रसिद्ध मंदिर पर जाकर भगवान के दर्शन करते थे उसके बाद ही अपने होटल में जाते थे। अगर किसी एक कपूर के काम के लिए दिल्ली जाती है तो कनॉट प्लेस पर हनुमान मंदिर जाकर आर्शीवाद लेना कभी नहीं भूलते।

वहीं अगर कोलकाता जाता है तो मां काली के दर्शन किए बिना होटल का रुख नहीं करते थे। विशिष्ट कपूर हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे और उनका नाम लिए बिना किसी चरण पर कदम नहीं रखा गया। चोपड़ा ने अपना ड्रीम प्रोजेक्ट महाभारत में रहते हुए तैयार किया और आगाज एकादश कपूर की आवाज में ही उन्होंने शिकायत की। महाभारत सीरियल के टेलीकास्ट होते ही बजने वाला ‘यदा यदा ही धर्मस्य’ श्लोक को एकल कपूर ने ही अपनी आवाज दी थी।

टैग: बॉलीवुड नेवस

 


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