कबीरधामछत्तीसगढ़

तरेगांव जंगल में शिक्षा की अलख: बेटियों को मिली किताबें, सपनों को मिला आसमान

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा  | कबीरधाम जिले के सुदूर वनांचल ग्राम तरेगांव जंगल में उस समय शिक्षा का उत्सव देखने को मिला, जब कलेक्टर गोपाल वर्मा ने स्थानीय शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल का निरीक्षण कर विद्यार्थियों को राज्य शासन द्वारा प्रदत्त निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों का वितरण किया। इस अवसर पर बच्चों के चेहरों पर मुस्कान और खासतौर पर बेटियों की आंखों में उजले भविष्य के सपने साफ नजर आए।

“बेटी पढ़ेगी तभी तो बढ़ेगा देश”

कलेक्टर श्री वर्मा ने विद्यार्थियों से आत्मीय संवाद करते हुए कहा—

“बच्चों के हाथों में किताबें केवल ज्ञान नहीं, एक सपने की शुरुआत होती हैं। खासकर जब ये किताबें बेटियों के हाथों में होती हैं, तब वह परिवार ही नहीं, पूरा समाज शिक्षित होता है।”

उन्होंने कहा कि शिक्षा वह शक्ति है जो किसी भी बच्चे को साधारण से असाधारण बना सकती है। यही कारण है कि राज्य सरकार की ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना को केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं, एक जन आंदोलन की तरह लिया जाना चाहिए।

वनांचल की बेटियों से खास संवाद

कलेक्टर वर्मा ने स्कूल की छात्राओं से विशेष बातचीत कर उन्हें आत्मविश्वास, अनुशासन और निरंतर पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आज की बेटियां डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, नेता और प्रशासक बन रही हैं — बस जरूरत है विश्वास और अवसर की।

पुस्तक वितरण पर कलेक्टर की सख्ती

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने विकासखंड शिक्षा अधिकारियों व संकुल प्रभारियों को निर्देश दिए कि—

  • पुस्तक वितरण की सघन मॉनिटरिंग की जाए।

  • कोई भी विद्यार्थी वंचित न रहे

  • किसी भी बाधा की सूचना तत्काल जिला मुख्यालय को दी जाए।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि—

“वनांचल में शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना प्रशासनिक लक्ष्य से बढ़कर एक नैतिक दायित्व है।”

जिले में पढ़ाई की स्थिति

जिला शिक्षा अधिकारी  योगदास साहू ने बताया—

  • जिले में 150 शासकीय हाई स्कूल संचालित हैं।

  • कक्षा 9वीं में 13,585 विद्यार्थी, कक्षा 10वीं में 10,215 विद्यार्थी नामांकित हैं।

  • सभी विद्यार्थियों के लिए पूरी पाठ्यपुस्तकें प्राप्त हो चुकी हैं, जिन्हें प्राचार्यों के माध्यम से वितरित किया जा रहा है

तरेगांव जंगल में हुआ यह आयोजन वनांचल शिक्षा की नई शुरुआत है। जब कलेक्टर खुद बच्चों के हाथों में किताबें सौंपते हैं, तब शासन की नीतियों को ज़मीन पर उतरते देखना प्रेरणादायी होता है।

इस छोटे से गांव में आज बेटियों की मुस्कुराहट और किताबों की rustling sound ने यह संदेश दिया —
“जहां बेटियां पढ़ती हैं, वहीं समाज सशक्त होता है।”

 


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