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त्रिपुरा में बीजेपी की जीत, नगालैंड और मेघालय में सहयोगी पार्टियों के साथ मिली कामयाबी

मेघालय में, बीजेपी फिर से एक कनिष्ठ सहयोगी के रूप में सरकार का हिस्सा बनने के लिए तैयार है क्योंकि प्रदेश कोनराड मेघारा की नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) 60 सदस्यीय विधानसभा में 26 सीटों पर जीतकर भी बहुमत से दूर हो गई।

सत्ता विरोधी लहर और टिपरा मोठा के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को अपनी ‘मिशाई’ में भ्रम में सत्ता कायम रखते हुए मनोबल बढ़ाने वाली जीत दर्ज की जबकि नेफ्यू रियो के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक नेशनल प्रोग्रेसिव पार्टी (भाजपा) एनडीपीपी) के साथ मिलकर नागालैंड में भी हासिल की गई। मेघालय में, बीजेपी फिर से एक कनिष्ठ सहयोगी के रूप में सरकार का हिस्सा बनने के लिए तैयार है क्योंकि प्रदेश कोनराड मेघारा की नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) 60 सदस्यीय विधानसभा में 26 सीटों पर जीतकर भी बहुमत से दूर हो गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हकीकत की घोषणा के बाद दुनिया सहित विभिन्न चुनावों में भाजपा की लगातार जीत की श्रेयसी पार्टी के कार्य संस्कृति, उनके कार्य संस्कृति और पार्टी नामांकन की ‘त्रिवेणी’ को दिया। हालांकि, बीजेपी के लिए नागालैंड और मेघालय में कनिष्ठ सहयोगी के रूप में जीत भी एक तरह की उम्मीद है। वहीं, पूर्व में दोनों राज्यों में सत्ता में अटकी कांग्रेस के लिए नतीजे अच्छे नहीं रहे। मेघालय में कांग्रेस ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि नागालैंड में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। त्रिपुरा में बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 33 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है।

2018 के चुनाव की तुलना में दोनों पार्टियों को 10 सीट कम मिली हैं लेकिन स्पष्ट जनादेश के कारण नई पार्टी झुकाव मोठा की मदद के बिना गठबंधन पांच साल तक शासन कर सकती है। टिपरा मोठा ने 13 सीटों पर जीत दर्ज की। पूर्व राजघराने के वंशज प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने दो साल पहले टिपरा मोठा का गठन किया था। वाम-कांग्रेस गठबंधन ने 14 सीटें हासिल कीं। देबबर्मा की पार्टी ने जनजातीय क्षेत्रों में वाम दल के वोट में सेंध लगाई।

स्टेट में कांग्रेस (टीएमसी) का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। टीएमसी ने 28 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली। टीएमसी का वोट प्रतिशत (0.88 प्रतिशत) नोट से भी कम रहा है। बीजेपी ने 55 सीटों पर चुनाव लड़ा और 32 सीटों पर जीत की। साल 2018 की तुलना में बीजेपी को तीन सीटें कम मिलीं। इंडीजेनस पीपुल्‍स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपी वीपीएन) केवल एक सीट जीत सका जबकि पिछले चुनाव में पार्टी को आठ सीट मिली थी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 25 साल तक त्रिपुरा पर शासन करने के बाद 2018 में सत्ता खो दी थी।

पिछली बार पार्टी ने केवल 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार पार्टी ने 47 सीटों पर चुनाव लड़ा और 24.62 प्रतिशत वोटरों के साथ 11 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस ने 13 विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन पार्टी तीन सीटों पर जीत पाई। कांग्रेस का वोट 8.56 प्रतिशत रहा। मौजूदा मौजूदा माणिक साहा ने कहा, ”भाजपा की जीत की उम्मीद थी…हम इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। निर्णायक जनदेश से हमारी जिम्मेदारी बढ़ी है।”

हालांकि, भाजपा के लिए सख्त कारक ‘विपक्षी एकता का विचार’ है, जो त्रिपुरा में मजबूत होता है, जहां कांग्रेस और माकपा एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं और एक-दूसरे का निर्धारण कर रहे हैं। इसी मॉडल को पश्चिम बंगाल के सागरदीघी में दोहराया गया जहां वामदल के समर्थन के कारण कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को इसके खिलाफ टीएमसी के खिलाफ जीत दर्ज की। मेघालय में नेशनल पीपल्स पार्टी 60 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के आंकड़े को नहीं छू सकते।

इस बीच, असम के आकर्षण हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि मेघालय के कर्मचारी कोनराड मेघारा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को फोन किया और सरकार नया बनाने के लिए समर्थन मांगा है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अध्यक्ष भाजपा जे.पी. नड्डा और शाह समेत स्टार प्रचारक आने वाले बीजेपी मेघालय में केवल दो सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रहे हैं। संगमा सरकार में एनपीपी की सहयोगी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) 11 सीटों पर जीत हासिल कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है। कांग्रेस और संगति कांग्रेस ने पांच-पांच सीट पर विजय प्राप्त की है।

राजनीतिक अधिकार का मानना ​​है कि बीजेपी एनपीपी और यूडीपी के साथ मिलकर सरकार बना सकती है। भाजपा की मेघालय इकाई के प्रमुख अर्नेस्ट मावरी ने यह भी कहा कि पार्टी ”भाजपा की बैठक के बाद आज रात एनपीपी को समर्थन पत्र सौंपेगी।” नगालैंड में नेशनलिस्ट प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी)-भाजपा गठबंधन को बहुमत मिलने के बाद रोजगार नेफ्यू रियो का पांचवीं बार चित्र लगभग तैयार हो गया है। अटका एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन ने बृहस्पतिवार को 33 सीटों पर जीतकर 60 सदस्यीय नगालैंड विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया।

इस जीत के साथ रियो ने वरिष्ठ नेता एस सी जमीर का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिन्होंने तीन बार भूतपूर्व राज्य का नेतृत्व किया था। एनडीपीपी ने 21 सीट दृष्टिकोण हैं जबकि उसके घटक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 12 सीट दृष्टिकोण हैं। पिछली बार गठबंधन ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इनमें से 18 क्षेत्रीय दलों ने और 12 सीटों पर बीजेपी ने पराजय हासिल की थी। नगालैंड विधानसभा के लिए निर्वाचित होने वाली पहली महिला बनकर हेखानी जखालू ने बृहस्पतिवार को इतिहास रच दिया। इस बार दो विधायक विधायक बने हैं।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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