कबीरधामचुनावछत्तीसगढ़

कवर्धा मे भाजपा का धर्म के नाम पर वोट मांगना पंद्रह वर्ष के अतीत की अकर्मण्यता का घोतक है -विजय वैष्णव

भाजपा की जमीन तो 2013 मे ही खिसक चुका था – वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव मे तत्कालीन मुख्यमंत्री के गृह विधानसभा मे बहुजन समाज पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, और वनांचल क्षेत्र मे वोटिंग मशीन को छलपुर्वक उल्टा रखकर नोटा मे डलवाए गए मत इस प्रकार तीनो ने मिलकर कांग्रेस को प्राप्त होने वाले 17537 मत अपने खाते मे कर लिए , इसके पश्चात भी कांग्रेस प्रत्याशी का मात्र 2528 वोट से पराजय पर जनता मन मसोसकर इस बात को गांठ बांध कर 2018 के चुनाव तक इंतजार किया जिसका पुरा गुबार तुफानी परिणाम के रूप मे 59284 वोट से भाजपा की हार का बड़ा अंतर रहा ,निसंदेह राष्ट्रीय स्तर के बड़े राजनेता जिन्होने पंद्रह वर्ष तक सुबे की बागडोर सम्हाला उसके गृहनगर होने के कारण उनकी साख पर बट्टा लगा परिवार को लोकसभा की टिकट से भी वंचित होना पड़ा।

कवर्धा विधानसभा मे भाजपा की स्थित कमजोर होने का मुख्य वजह – कबीरधाम जिला भौगोलिक दृष्टि से वृष्टीछाया क्षेत्र होने के कारण अधिकतर अल्पवर्षा की स्थिति का सामना करने को विवश जिला का दुर्भाग्य रहा पंद्रह वर्षो तक जिस जिला ने छत्तीसगढ को मुख्यमंत्री दिया उस जिला मे और कवर्धा विधानसभा मे तीन पंचवर्षीय शाशन काल मे दिर्घ/मध्यम/लघु सिंचाई परियोजना अंतर्गत एक भी योजना नही बना जिसे किसानो ने संज्ञान मे लिया , भोरमदेव सहकारी सक्कर उत्पादक कारखाना मे एक ट्रेक्टर गन्ना आपूर्ति के लिए पांच हजार रुपए तक रिश्वत, कारखाना मे पर्ची घोटाला भाजपा की उपलब्धि बना जिसे अन्नदाताओ ने मनन किया , कवर्धा विधानसभा के सुदूर वनांचल के सीधे-साधे निरक्षर सरपंचो से वन समितियो के आड़ मे, वन विभाग के माध्यम से षडयंत्र पूर्वक फर्जी हस्ताक्षर कराकर ग्रामसभा का प्रस्ताव निरूपित कर मात्र पांच-छह टाइगर के लिए जंगल से हजारो परिवारो को उजाड़ने के सरकारी फरमान को वनांचल जन कैसे स्वीकार करते ,कवर्धा नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत के नजूल भूमि मे पट्टो के नवीनीकरण बंद पड़े थे रियासत कालीन सकरी नदी के पुल को प्रति वर्ष मरम्मत कराकर निस्तारी किया जाना मजबूरी बन गई, दलदली माइंस क्षेत्र मे भूमि खरीदी- बिक्री प्रतिबंधित था कवर्धा विधानसभा अंतर्गत एक भी बड़े कारखाना ,प्रोजेक्ट रोजगार मुलक साधन विकसित नही हुआ।

मुह मे राम बगल मे छुरी भाजपा का चरित्र – भाजपा के 2014 घोषणापत्र मे पृष्ठ क्रमांक 63 के अंतिम पैराग्राफ मे गाय व गौवंश के संरक्षण,संवर्धन करने का वचन दिए थे किन्तु 2014 मे तेरह लाख पचास हजार मिट्रिक टन , 2019 मे अट्ठारह लाख पचास हजार मिट्रिक टन निर्यात किया एवं 2026 तक इसे उन्नीस लाख तीस हजार मिट्रिक टन गौमांस निर्यात का लक्ष्य है , सरकार मुंह मे राम और बगल मे छुरी को चरितार्थ करते हुए जय श्री राम कहकर सत्ता हासिल कर रही है और छुरी से गौहत्या कर विदेशो से धन हासिल कर रही है ! यदि केंद्र सरकार की नियत साफ है तो भारतीय संसद के निम्न सदन लोकसभा के 543 सदस्यो मे से राजग के पास 355 सदस्य, एवं उच्च सदन राज्य सभा मे 245 सदस्य मे आठ सीट रिक्त होने के पश्चात भी राजग का 113सदस्य है जो गौहत्या निषिद्ध विधेयक कानून लागु कराने के लिए पर्याप्त संख्या बल है फिर भी कानून क्यो नही बना रहे है सनातन धर्म के बड़े धर्म गुरूओ के अनुसार जो कुरान पढ़े वह मुसलमान, बाईबल पढ़े वह ईसाई, गुरुग्रंथ साहेब पढ़े वह सिक्ख और जो शास्त्र पढ़े वह हिन्दु है, इसके विपरीत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भारत मे पैदा हुए सभी धर्म के लोगो को हिन्दु कहना हिन्दुत्व को दूषित करना निरूपित कर चुके है इसी दृष्टिकोण को मानने वाले साधु-संतो की लम्बी फेहरिश्त है जो बिना किसी राजनीति के मुक्त कंठ से दोनो हाथ उठाकर गौवंश के लिए किए जा रहे कार्यो के बदले भुपेश सरकार को आशिर्वाद दे रहे है।

एक दशक से गिरते साख बचाने धर्म की राजनीति- आसन्न कवर्धा विधानसभा के चुनाव मे भाजपा और उसके अनुवांशिक संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय किसान संघ द्वारा विगत दो वर्ष पूर्व से भाजपा समर्थित गेरूआधारी , साधु-संतो, पंण्डो का अघोषित प्रकोष्ठ, विंग, शाखा बनाकर धर्म के नाम पर वोट मांगना प्रारंभ कर दिया है क्योंकि पंद्रह वर्ष के शासन काल के अतीत के पन्नो मे गर्व करने के लिए उपलब्धियो का कालम निरंक है जो उसकी अकर्मण्यता का घोतक है जबकी कांग्रेस गौवंश की रक्षा के लिए गौधन न्याय योजना , प्रत्येक ग्राम स्तर पर रामायण मंडली प्रतियोगिता , रामवन पथ गमन निर्माण ,एवं विकास, किसानो के हितो को समर्पित सभी योजनाओ के मुद्दो पर जन आशिर्वाद की आपेक्षा कर रही है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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