छत्तीसगढ़बलौदाबाज़ार

बलौदाबाजार में भाजपा कार्यालय बना रणभूमि! हंगामा, नारेबाजी और ताले तोड़कर बाहर निकाले गए प्रत्याशी – जानें भाजपा में क्यों मचा बवाल?

UNITED NEWS OF ASIA. चंद्रकांत वर्मा, बलौदाबाजार |  जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अंदरूनी राजनीति खुलकर सामने आ गई। पार्टी कार्यालय में ऐसा बवाल मचा कि कार्यकर्ताओं ने अपने ही नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। गुस्साए कार्यकर्ताओं ने कार्यालय में नारेबाजी की, जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और यहां तक कि ताले तक तोड़ने पड़े!

भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपनी ही पार्टी के बड़े नेताओं पर तानाशाही का आरोप लगाया। उनका कहना है कि अध्यक्ष पद की दावेदारी में बड़े नेताओं ने मनमानी की, अपने खास उम्मीदवार को आगे बढ़ाया और बाकी प्रत्याशियों को जबरन भाजपा कार्यालय में बंद कर दिया गया।

यह सियासी ड्रामा जैसे-जैसे आगे बढ़ा, भाजपा कार्यालय रणभूमि में तब्दील हो गया। इस विवाद ने भाजपा की गुटबाजी और आंतरिक कलह को उजागर कर दिया है।

भाजपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा क्यों फूटा?

इस हंगामे की वजह बनी आकांक्षा गोलू जायसवाल का जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी के रूप में चयन।

जो पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ी, वही भाजपा की प्रत्याशी कैसे?

भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि जिला पंचायत सदस्य के रूप में आकांक्षा जायसवाल भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी नहीं थीं। भाजपा ने क्षेत्र क्रमांक 8 से चंद्रिका दिनेश साहू को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन आकांक्षा जायसवाल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत गईं।

अब जब अध्यक्ष पद के लिए भाजपा ने आकांक्षा जायसवाल को प्रत्याशी बना दिया, तो कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया।

भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप:

“जो पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को हराने के लिए मैदान में उतरी थीं, वही अब भाजपा की प्रत्याशी बन गईं! यह किस तरह का न्याय है?”

भाजपा कार्यालय में बंधक बनाए गए प्रत्याशी? – ताले तोड़कर निकाला गया बाहर!

इस हंगामे के बीच भाजपा नेताओं पर अपने ही जीते हुए प्रत्याशियों को भाजपा कार्यालय में बंधक बनाने का आरोप भी लगा।

सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के सभी जीते हुए प्रत्याशियों के साथ-साथ कांग्रेस की क्षेत्र क्रमांक 18 से विजयी प्रत्याशी सुनीता विमल देवांगन को भी भाजपा कार्यालय में बंद कर दिया गया। पार्टी के भीतर चर्चा है कि यह सब इसलिए किया गया ताकि उपाध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा अपनी स्थिति मजबूत रख सके।

लेकिन जब यह खबर भाजपा कार्यकर्ताओं तक पहुंची, तो गुस्सा भड़क उठा! कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यालय के बाहर नारेबाजी की और जब प्रत्याशी बाहर नहीं निकले, तो गुस्साए कार्यकर्ताओं ने ताले तोड़कर अंदर बंद लोगों को बाहर निकाला।

इस हंगामे में प्रमुख घटनाएं:

  •  भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने ही नेताओं पर लगाए तानाशाही के आरोप।
  •  पार्टी कार्यालय में हुई नारेबाजी, घमासान।
  •  प्रतिनिधियों को कमरे में बंद करने का आरोप।
  •  कार्यकर्ताओं ने गेट के ताले तोड़कर प्रत्याशियों को बाहर निकाला।

भाजपा में गुटबाजी की खुली पोल!

भाजपा के भीतर गुटबाजी के आरोप पहले भी लगते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला तूल पकड़ चुका है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि कुछ बड़े नेता अपनी पसंद के लोगों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि जमीनी कार्यकर्ताओं और अन्य प्रत्याशियों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

भाजपा नेताओं की सफाई – “यह विपक्ष की साजिश है!”
भाजपा जिला अध्यक्ष आनंद यादव ने सफाई दी:

“जो लोग हंगामा कर रहे थे, वे भाजपा कार्यकर्ता नहीं, बल्कि असामाजिक तत्व और कांग्रेस समर्थक थे। भाजपा में कोई गुटबाजी नहीं है और सभी प्रत्याशी हमारे साथ हैं।”

राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने कहा:

“भारतीय जनता पार्टी एक अनुशासित पार्टी है। हमें किसी भी हंगामे की जानकारी नहीं है। भाजपा पूरे प्रदेश में मजबूत स्थिति में है और यह चुनाव भी हम जीतेंगे।”

बलौदाबाजार विधायक एवं कैबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा को बवाल की जानकारी नही (Chhattisgarh Talk)

फिर ये तस्वीरे क्या कहती हैं अंदर मौजूद रहे जब बलौदाबाजार के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा को बवाल की जानकारी नही कहते हैं लेकिन मंत्री जी बवाल के बीच कार्यालय के अंदर ही मौजूद थे। अब सच्चा कौन हैं झूठा कौन ये तो अब मंत्री जी ही बताएंगे!!

आकांक्षा जायसवाल की प्रतिक्रिया – “मैं सबकी प्रत्याशी हूं!”

हंगामे के बावजूद आकांक्षा गोलू जायसवाल ने भाजपा नेतृत्व का आभार जताया और कहा:
“मैं भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और सभी सदस्यों की आभारी हूं। मैं सबका समर्थन चाहती हूं और जिले के विकास के लिए काम करूंगी।”

भाजपा के लिए खतरे की घंटी? – क्या इस बवाल का असर चुनावों पर पड़ेगा?

बलौदाबाजार में जो कुछ हुआ, उसने भाजपा की अंदरूनी राजनीति को बेनकाब कर दिया। पार्टी के भीतर असंतोष खुलकर सामने आ चुका है, जिससे भाजपा की छवि को नुकसान पहुंच सकता है।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि –

क्या भाजपा अपने नाराज कार्यकर्ताओं को मना पाएगी?
क्या इस गुटबाजी का असर आने वाले चुनावों पर पड़ेगा?
और सबसे अहम, क्या आकांक्षा जायसवाल भाजपा की खींचतान के बीच अपनी जीत दर्ज करा पाएंगी?
इस हाई-वोल्टेज राजनीतिक ड्रामे का अंजाम आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा!

 


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