
वरुण गांधी और बृजभूषण सिंह
आगामी 10 दिसंबर को होने वाले चुनाव के मद्देनजर भाजपा आपस में जोखिम होने का एक भी मौका नहीं देना चाहेगी। हालांकि, उनके ही दो सांसद विपक्षी पार्टियों पर हमला करने का भरपूर मौका दे रहे हैं। इनमें पीलीभीत के सासंद वरुण गांधी और इन दिनों खिलाड़ियों के यौन शोषण के आरोप में मामला कैसरगंज से सांसद बृजभूषण शरण सिंह का नाम शामिल है। ये दोनों अपने सांसद बयानों से पार्टी और सरकार की मुश्किलें झेल रहे हैं।
सियासी जानकारी की शर्त तो पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी की पार्टी लाइन से हटकर बयान देना कोई घटना नहीं है। पहले वे पार्टी की आकांक्षा रखते थे, लेकिन संगठन और सरकार में आशानुरूप जगह न मिलने के बाद से वे बड़े हो गए हैं। सरकार की हर बड़ी योजना पर व्यंग के माध्यम से सोशल मीडिया या अपने लेख के माध्यम से समय-समय पर समीक्षा करते हैं। चाहे किसान आंदोलन हो, अग्निवीर, सदस्यता एक्सप्रेस जैसी योजना, वे अपने बयानों से मिलने वाली संभावनाओं का मौका देते हैं।
वरुण गांधी के बयानों के कारण राजनीतिक पंडित कभी देम सपा, कभी कांग्रेस में जाने की चर्चा करते रहते हैं। पिछले दिनों उनके कांग्रेस में जाने की चोट लगने लगी थी, लेकिन उनके चचेरे भाई राहुल गांधी ने कहा था कि उनकी विचारधारा में बहुत अंतर है। उन्होंने कहा कि वे उन्हें मिल सकते हैं। गले लगा सकते हैं, लेकिन उनकी विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकते। राहुल के उत्तर के बाद वरुण के अगले चरण में चर्चा हो रही है। हालांकि इन सभी मुद्दों पर वरुण गांधी की ओर से अभी कोई जवाब नहीं आया है।
बाढ़ पर क्या बोले बृजभूषण शरण सिंह?
उद्र, बहराइच के कैसरगंज से बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पिछले दिनों से सरकार और संगठन के लिए परेशान होने का मौका दे रहे हैं। गोंडा, श्रावस्ती और बलरामपुर इलाके में बाढ़ आई तब इस दौरान पापराज़ी ने उनसे व्यस्था के बारे में पूछा था, तो उन्होंने साफ़ कहा कि कुछ मत पूछिए तो ही अच्छा है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन तो नाकाम है। यहां पर तो सब भगवान भरोसे ही हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में ऐसा खराब नहीं देखा। अगर कुछ बोलेंगे तो बागी कहलाएंगे। उस भारी बारिश के कारण प्रदेश के कुछ इलाके बाढ़ से परेशान थे।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे के अयोध्या आने से पहले बृजभूषण ने खुला आम विरोध कर दिया था। सांसद ने राज ठाकरे की तुलना कालनेमि राक्षस से की थी। इसके बाद में बीजेपी के पक्षधर बाबा रामदेव को भी बृजभूषण सिंह ने कॉर्डिनेट किया। सांसद बृजभूषण सिंह ने पतंजलि उत्पादों पर सवाल उठाया था। उन्होंने बाबा रामदेव कोवटखोरों का सम्राट और राजा बताया। बाद में उन्हें संस्थानों की ओर से नोटिस भी मिला। इसके बाद अभी ताजा मामला 18 जनवरी को विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक समेत करीब 30 सितारों दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारतीय कुश्ती संघ के खिलाफ धरने पर बैठ गए। बाद में इस प्रदर्शन में और कई खिलाड़ी गए।
बृजभूषण सिंह ने झूठ को बेबुनियाद बताया
इन पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कुछ ओलंपिक विजेता खिलाड़ियों पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया। साथ ही इस्तीफ़ा देने की मांग की। हालांकि, ब्रजभूषण ने सारे झूठ को बेबुनियाद के दावों पर अपनी सफाई दी है, लेकिन मामला ज्यादा बढ़ता देख सरकार के खेल मंत्री को आया और एक कमेटी का गठन किया, जो सारे मामलों की जांच कर रही है, लेकिन पूरे मामले में जिम्मेदार ने सरकार को जमकर घेरा ।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि यह दोनों बीजेपी सांसद न होने से पहले इन लोगों का अपना स्थान बना रहा है। बृजभूषण सिंह की दबंगई की छवि थी। उनका कैसरगंज, बलरामपुर, श्रावस्ती इलाके में अपना रुतबा था। वे सपा के नेता थे। उन्हें चुनाव जीतना आता है। उनके इलाके में उनकी अपनी आवाज है। बीजेपी में आने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि उनकी छवि कुछ और होगी।
बड़े नेता का विश्वास नहीं जीत पाए वरुण गांधी
वरुण गांधी भी गांधी परिवार से आते हैं। उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ आवाज उठाई। वह क्रिएट-पढ़ने और रिसर्चर माने जाते थे। उनकी छवि एक अच्छी नींद के रूप में है। दोनों अपने इतिहास की वजह से बीजेपी में तो हैं, लेकिन किसी भी बड़े नेता का विश्वास नहीं जीत पाया। वरुण गांधी मेनका गांधी की छवि से बाहर नहीं निकल पाए। यह दोनों ऐसा मानते थे कि उनकी छवि के कारण उनमें कोई बड़ी भूमिका नहीं होगी, तब वह अपनी संभावनाओं को सिद्ध कर देंगे। अब इन लोगों में असंतोष महसूस हो रहा है। ऐसा लगता है कि आने वाले समय में भी यह लोग हाशिए में रहेंगे। बीजेपी उन्हें कोई अहम भूमिका नहीं देगी।
एसपीए के राष्ट्रीय स्क्रिप्टमैन आशुतोष वर्मा कहते हैं कि देर से सबेर अपनी जनता के लिए हमेशा रहने वाले नेता बीजेपी की जनविरोधी नीति के खिलाफ होंगे। बीजेपी के दो सांसदों ने इसकी शुरुआत की है। अभी आगे देखें तो यह संख्या बढ़ती जाएगी। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि पार्टी का अनुशासन सभी के लिए समान रूप से लागू है। पार्टी के निर्दयी निष्ठा पर काम करते हैं और नेतृत्व के मार्गदर्शन पर काम करते हैं, यह पार्टी का नियम है, यह सब पर लागू होता है। अनुशासन से परे कोई काम करता है, उसके लिए हमारी एक समिति है, वो इस पर संज्ञा रखती है।
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