
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी आज अपना 47वां जन्मदिन मना रही हैं। वह एक प्रसिद्ध टीवी कलाकार के तौर पर भी जाने जाते हैं। राजनीति में अपना मुकाम बनाने से पहले स्मृति ईरानी व्यूह और टेलीविज़न जगत में काम करती थीं। वर्तमान में वह कुशल राजनितिज्ञ के तौर पर जानी जाती हैं।
भारतीय राजनीति में स्मृति ईरानी का नाम माना जाता है। वर्तमान में उन्हें भारतीय जनता पार्टी की तरफ से महिला एवं बाल विकास मंत्री बनाया गया है। इससे पहले स्मृति ईरानी ऐसा अभिनेत्री कार्य करती थीं। स्मृति ईरानी का नाम उन राजनेताओं में शामिल है, जो बिना किसी डर या दबाव के अपनी बात को फ्रैंक मीडिया के सामने रखते हैं। राजनीति में अपना सिक्किम जामने से पहले वह टीवी जगत में ऐसी अभिनेत्री भी काम कर चुकी हैं। आज यानि की 23 मार्च को स्मृति ईरानी अपना जन्मदिन मना रही हैं। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के रिकॉर्ड्स पर स्मृति ईरानी की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें…
जन्म और शिक्षा
ईरानी ईरानी का 23 मार्च 1977 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता अजय कुमार मल्होत्रा पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखते थे। वहीं स्मृति ईरानी की मां शिबानी बंगाली परिवार से दिखाई देती हैं। स्मृति ईरानी तीन बहनों में सबसे बड़ी थीं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नई दिल्ली में हॉली शिक्षा औक्सिलियम स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
शादी
साल 2001 में स्मृति ने अपने बचपन के दोस्त जुबिन ईरानी से शादी की थी। जुबिन ईरानी पहले से विवाहित थे। जिस कारण जब उन्होंने स्मृति ईरानी से दूसरी शादी की तो उन दिनों काफी सुरखियां बनीं थीं। यहां तक की स्मृति पर घर तोड़ने का भी आरोप लगाया गया था। शादी से दोनों के दो बच्चे हैं। उसमें से लड़के का नाम जौहर और लड़की का नाम जोईश है।
छोटे कामों पर करियर
साल 1990 में भूल ईरानी सपने को पूरा करने के लिए दिल्ली मुंबई आ गए। वर्ष 1998 में उन्होंने फेमिना मिस इंडिया ब्यूटी प्रतियोगिता में भाग लिया। हालांकि वह इस प्रतियोगिता को जीत नहीं सकीं। लेकिन इस प्रतियोगिता में वे शीर्ष फाइनलिस्ट में अपनी जगह पक्की कर ली। इसके अलावा उन्होंने एल्बम वीडियो भी किया। लेकिन टीवी जगत में स्मृति ईरानी को असली पहचान एकता कपूर के सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ से मिली।
तुलसी द्वारा बनाई गई यह श्रृंखला और स्मृति आज भी लोगों के जहान में जीवंत है। उस दौरान इस सीरियल के माध्यम से स्मृति को पहचान मिली थी। इसके अलावा स्मृति ईरानी ने अन्य कई नाटकों में काम किया। होटल से ‘क्या हुआ क्या दुर्घटना’, ‘रामायण’ और ‘मेरे’ आदि सीरियल में काम किया। स्मृति ईरानी ने हिंदी, तेलुगू और बंगाली भाषा की कुछ फ़िल्मों में भी काम किया है।
निरपेक्ष
आपको बता दें कि स्मृति ईरानी के सीरियल ‘क्याओंकि सास भी कभी बहू थी’ को लोगों द्वारा काफी पसंद किया गया था। इस सीरियल के लिए स्मृतियों को 9 नंबर मिले हैं। इसके अलावा ‘विरोध’ के लिए स्मृति को वर्ष 2010 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।
राजनीतिक सफर
वर्ष 2003 में स्मृति ईरानी ने राजनीति की ओर रुख किया। इस दौरान उन्होंने बीजेपी का साथ पकड़ा। स्मृति के दादा भी आरएसएस के सदस्य थे। स्मृति ईरानी वर्ष 2004 में पार्टी द्वारा महाराष्ट्र युवा विंग के उपाध्यक्ष के पद पर हस्ताक्षर किए गए। जिसके बाद वह राजनीति में भी एक सफलता की सीढ़ी चढ़ती चली गईं। 20 साल की राजनीतिक यात्रा में पार्टी की तरफ से स्मृति ईरानी को कई अहम जिम्मेदारियां सौंपी गईं। वहीं साल 2014 में 20 दिसंबर को हुए चुनाव के दौरान स्मृति ईरानी को राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से टिकट मिला था। हालांकि इस दौरान स्मृति ईरानी को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन भाजपा के केंद्र में आने के बाद स्मृति ईरानी को केंद्रीय मंत्री बना दिया गया था।
कई बार बदला गया पद
साल 2014 में बीजेपी की सत्ता में ही ईरानी को मोदी कैबिनेट में जगह दी गई। तब पार्टी ने उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी। उसी समय कुछ ही समय बाद प्रशासन मंत्रालय वापस ले लिया गया और उनके भ्रम मंत्रालय सक्रिय हो गए। फिर कुछ समय बाद उनकी सूचना और प्रसारण मंत्रालय गया। जिसके बाद अब स्मृति महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
राहुल गांधी के गढ़ में फहराता सेंध
साल 2019 के लोगों की स्मृति में एक बार फिर ईरानी कांग्रेस का गढ़ यानी की अमेठी से चुनाव हुआ। अमेठी मेनरूप से गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है। आजादी के बाद से राजीव गांधी, राजीव गांधी, एसोसिएशन ने यहां अपनी पकड़ को मजबूत बनाया था। लेकिन स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के गढ़ में न सिर्फ चुनावी लड़ाई, बल्कि राहुल गांधी को करारी शिक्षा भी दी। बता दें कि राहुल गांधी लगातार 3 बार अमेठी से सांसद रहे हैं। लेकिन 2019 में उनकी पकड़ अमेठी फंसी हो गई। स्मृति ने अमेठी से पार्टी को जीत दिलाना असंभव काम को संभव कर दिखाया।



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