

प्रभासाक्षी
पाकिस्तान स्थित डॉन अखबार ने बताया कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और पाकिस्तान सरकार को देश में बाढ़ से प्रभावित लोगों की दुर्दशा पर विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे आर्थिक रुख से सुरक्षित हैं।
पाकिस्तान की तंगहाली किसी से छुपी नहीं है। खैरात का कटोरा लेकर वो कभी विश्व बैंक तो अरब कभी देशों के पास मांग मदद करने फिर रहा है। वहीं पाकिस्तान की खराब आर्थिक स्थिति ने वहां के हुक्मरानों के भी आरोप लगाए हैं। आलम ये हो गया है कि वो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सामने गिड़गिड़ाने लगे हैं। इतना ही नहीं पाकिस्तान के मंत्री बिलावल भुट्टे तो बाढ़ के चक्कर को सामने कर मैं कर्ज देने की स्थिति में आ गए। पाकिस्तान स्थित डॉन अखबार ने बताया कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और पाकिस्तान सरकार को देश में बाढ़ से प्रभावित लोगों की दुर्दशा पर विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे आर्थिक रुख से सुरक्षित हैं।
पाकिस्तान अभी रुका हुआ बेलआउट कार्यक्रम के तहत बहुत जरूरी धन जारी करने के लिए आई नक्शा प्रतिनिधि के साथ बातचीत कर रहा है। सिंध में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से बाढ़ के बाद पुनर्निर्माण परियोजना का अनावरण करते हुए मंत्री ने सरकार और अंतरराष्ट्रीय ऋणदाता विदेश से बाढ़ प्रभावित लोगों को “राहत” प्रदान करने का आग्रह किया। जरदारी ने कहा है कि मैं निगम सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की जिम्मेदारी है कि वह “हमारी बेहतरी के लिए सुधारों की सलाह दें लेकिन बाढ़ प्रभावित को भी सुरक्षा प्रदान करना चाहिए ताकि वे मौजूदा स्थिति से बाहर एक सक्षम हों।
उन्होंने कहा कि बाढ़ के कारण देश को गंभीर नुकसान हुआ है क्योंकि 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं, जबकि 50 लाख एकड़ में कमाई का नुकसान हुआ है। आपदा के प्रभाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है लेकिन इस बाढ़ ने हमारी कमर तोड़ दी है। जियो न्यूज ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और पाकिस्तान सरकार के बीच 900 अरब रुपये के बीच अंतर को। लेकर गतिरोध है, जो एक कर्मचारी स्तर का एकॉर्ड को पूरा करने में एक बड़ा व्यवधान है।
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