
अमेरिका की एक संघीय अदालत ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्ययस्थ के लिए सहमति दी है जो भारत के लिए एक बड़ी कानूनी जीत है। भारत सरकार 2008 के मुंबई समझौते में संलिप्तता के पंच राणा के प्रत्यय की मांग कर रही थी।
अमेरिका की एक संघीय अदालत ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्ययस्थ के लिए सहमति दी है जो भारत के लिए एक बड़ी कानूनी जीत है। भारत सरकार 2008 के मुंबई समझौते में संलिप्तता के पंच राणा के प्रत्यय की मांग कर रही थी। कोर्ट का यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा से एक महीने पहले आया है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने मोदी को इस राजकीय यात्रा के लिए आमंत्रित किया है। बाइडन एवं अमेरिका की पहली महिला बाइडन 22 जून को उनके सम्मान में राजकीय भोज का आयोजन करेगी।
सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अमेरिकी मजिस्ट्रेट जैकलीन चोलजियान ने बुधवार को 48 एसएमएस का ऑर्डर जारी किया, जिसमें कहा गया कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्ययस्थ संधि के तहत 62 वर्षीय राणा को भारत प्रत्यर्पित करना चाहिए। आदेश में कहा गया है, ”अदालत ने इस अनुरोध के समर्थन और विरोध में प्रस्तुत सभी दस्तावेजों की समीक्षा की, उन पर विचार किया है और सुनवाई में प्रस्तुत याचिकाओं पर भी विचार किया है।” अदालत के आदेश में कहा गया है, ”इस तरह की समीक्षा और यहां चर्चा किए गए कारणों के आधार पर अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंचती है और अमेरिका के विदेश मंत्री को प्रत्यर्पित की कार्रवाई के लिए अधिकृत करती है।” राणा वर्तमान में लॉस एंजिल्स की जेल में है। वह सर्किट कोर्ट में अपील कर सकता है, जो जिला न्यायालय के फैसले को बरकरार रख सकता है।
अमेरिकी कानून के अनुसार, विदेश मंत्री किसी भगोड़े के प्रत्ययस्थ के संबंध में निर्णय ले सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि राणा की प्रत्ययस्थ को तब तक प्रमाणित नहीं किया जा सकता जब तक कि यह पूर्वज काज़न कारण न हो कि उसने उस अपराध को निष्पादित किया है जिसके लिए प्रत्यय प्रत्यय का अनुरोध किया जा रहा है। आदेश में कहा गया है, ”न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि राणा ने उन सबके लिए पूरा किया है जिनके लिए उनकी प्रत्ययस्थ की मांग की गई है तथा अमेरिका और भारत के बीच प्रत्ययस्थ संधि के तहत राणा को भारत प्रत्यर्पित को दिया जाना चाहिए दस जून, 2020 को भारत ने प्रत्यर्पण की दृष्टि से राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।
बाइडन प्रशासन ने राणा के भारत प्रत्ययस्थ का समर्थन किया था और उसे मौज़ूद किया था। विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा”हम यह कह सकते हैं कि वैश्विक स्तर पर हम आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम भारत के साथ अपने आतंक संबंधी संबंध को अत्यधिक महत्व देते हैं। हम 2008 के मुंबई हमलों में शामिल होने के आरोप को न्याय के कठघरे में दावा करने का आह्वान करते रहेंगे। व्यवसायी के भारत प्रत्ययस्थ की मंजूरी के साथ सदस्यता लेंगी और विदेशी आतंकवाद से पीड़ित हर देश के साथ आतंकवाद की खिलाफ लड़ाई में शामिल होंगे।
बत्रा ने कहा कि सुनवाई शुरू होने के बाद लगभग दो साल राणा को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिला और वह अभी भी सर्किट कोर्ट में सीधे अपील कर सकता है। अदालती सुनवाई के दौरान अमेरिकी सरकार ने तर्क दिया कि राणा को पता था कि उनके बचपन का दोस्त पाकिस्तान-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली लश्कर-ए-तैयबा में शामिल है और इस तरह हेडली की सहायता करके और उनकी गतिविधियों के लिए उनकी सुरक्षा के लिए उसने आतंकवादी संगठन और उसके साथियों की मदद की पेशकश की। राणा के सिर पर, उनमें से कुछ पर चर्चा हुई, कुछ योजनाओं सहित हमलों की साजिश की जानकारी थी।
अमेरिकी सरकार ने कहा कि राणा साजिश का हिस्सा था और इस बात की पूरी संभावना है कि उसने आतंकवादी कार्य को अंजाम देने का अपराध किया है। दूसरी ओर, राणा के वकील ने प्रत्यर्पण का विरोध किया। संलग्न है कि भारत अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि है। जज ने फैसला सुनाया कि राणा का भारत प्रत्यर्पण पूरी तरह से संधि के तहत होना है। उन्होंने कहा कि जिन सामूहिक के लिए आरोप लगाए गए हैं, वे प्रत्यपध संधि के दायरे में आते हैं। जज ने कहा कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त पुख्ता प्रेजेंटेशन किए गए हैं कि राणा वह है जिस पर भारत में आरोप लगाया गया है और जिसके प्रत्यय की मांग भारत द्वारा की गई है।
मुंबई हमलों में छह अमेरिकी समेत कुल 166 लोग मारे गए थे। इन हमलों को 10 पाकिस्तान वेबसाइटों ने अंजाम दिया था। ये हमले मुंबई के प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण स्थानों पर 60 घंटे से अधिक समय तक जारी रहे। छब्बीस नवंबर 2008 को मुंबई में हुए भीषण आघातों में हमलों को लेकर भारत द्वारा प्रत्ययस्थ का अनुरोध करने पर राणा को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया। पिछले महीने नई दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने कहा था कि नेशनल स्टैच्यून अधिकारिता (एनआईए) राणा केज़ोन भारत प्रत्ययस्थ के मद्देनजर तैयारियां कर रहा है। सूत्रों ने कहा कि यदि प्रत्यर्पण का अनुरोध भारत के पक्ष में आया है तो एनआईए राजनयिक माध्यमों से उसे भारत लाने की प्रक्रिया शुरू करने को तैयार है।
पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा की निगरानी द्वारा किए गए 26/11 के हमलों में राणा की भूमिका की जांच एनआईए द्वारा की जा रही है। 26 नवंबर, 2008 के हमलों में अजमल कसाब नामक आतंकवादी पकड़ा गया था, जिसे 21 नवंबर, 2012 को भारत में फांसी की सजा दी गई थी। विश्वसनीयता को दावों के दौरान भारतीय सुरक्षाबलों ने उलझा लिया था।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।













