
UNITED NEWS OF ASIA. जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में तेन्दूपत्ता संग्राहकों को दी जाने वाली प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि के वितरण में भारी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इस घोटाले में कार्रवाई करते हुए 11 प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति प्रबंधकों को निलंबित कर दिया गया है, साथ ही संबंधित समितियों के संचालक मंडलों को भी भंग कर दिया गया है।
इससे पहले इसी मामले में सुकमा डीएफओ को निलंबित और एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किया गया था। अब प्रबंधकों और संचालकों पर गाज गिरने के बाद संबंधित नोडल अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
किस तरह हुआ घोटाला?
वर्ष 2021 में 31,356 संग्राहकों को ₹4.53 करोड़, और वर्ष 2022 में 18,918 संग्राहकों को ₹3.32 करोड़ की प्रोत्साहन राशि दी जानी थी। इनमें से:
2021 में 10,131 संग्राहकों को ₹1.38 करोड़
2022 में 5,739 संग्राहकों को ₹74 लाख रुपये
सीधे बैंक खातों में अंतरित किए गए।
बाकी संग्राहकों के बैंक खाते उपलब्ध न होने के कारण, सुकमा कलेक्टर की अनुशंसा पर नगद भुगतान की अनुमति शासन से प्राप्त की गई। यह राशि जिला यूनियन को हस्तांतरित की गई थी, ताकि नगद भुगतान किया जा सके।
हालांकि, 11 समितियाँ – सुकमा, फूलबगड़ी, दुब्बाटोटा, जगरगुण्डा, मिचीगुड़ा, बोड़केल, कोंटा, जग्गावरम, गोलापल्ली, किस्टाराम, पालाचलमा – ने न तो राशि का वितरण किया, न ही इसका समुचित हिसाब प्रस्तुत किया।
प्रशासन सख्त, आगे और कार्रवाई की संभावना
वन विभाग और शासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए व्यापक जांच के निर्देश दिए हैं। संबंधित नोडल अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है, और उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है।
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