बिलासपुर। प्रदेश में जिस फैसले का प्रदेश के शिक्षक आधार से इंतजार कर रहे थे, आखिरकार आज वह फैसला आ गया है और जिसके बाद यह तय हो गया है कि प्रदेश के वर्तमान शिक्षक जो लंबे समय से अपने प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं उनका प्रमोशन हो सकता है। दरअसल एक लंबे समय से प्रदेश के शिक्षक एलबी संवर्ग अपनी जिम्मेदारी का राह देख रहे थे और सरकार द्वारा 5 साल की बाध्यता को शिथिल कर 3 साल करने के साथ ही उनके सपनों को पंख भी लग गए थे लेकिन उसके बाद अलग-अलग मुद्दों को लेकर नाराज शिक्षकों का गुड हाई कोर्ट पहुंच गया और एक-एक कर के रोक लगाने लगा। सरकार द्वारा जकड़न के लिए वर्ष बंधन को सख्ती दी गई थी जिसमें सहायक शिक्षक को पाठक (प्राथमिक शाला), सहायक शिक्षक को शिक्षक, शिक्षक को पाठक पाठक (माध्यमिक शाला) और शिक्षक को व्याख्याता पद पर लिखना शामिल था लेकिन कोर्ट के चक्कर में मामला ऐसा फंसा कि केवल सहायक शिक्षक प्रधान पाठक ही बन गए और अन्य तीन पदों पर 1-1 कर रोक कर चले गए। अलग-अलग विषयों को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर हुई और धीरे-धीरे सभी मामलों पर रोक लग गई। सारे मामले एक-एक कर हाई कोर्ट के डिविजन बैंच से क्लब होते चले गए और आज लगभग शर्त पहले हाई कोर्ट ने उस पर अंतिम सुनवाई कर अपना फैसला सुरक्षित रखा था आज उसी जजमेंट को हाई कोर्ट द्वारा सुना गया।
आज हाई कोर्ट ने क्या सुनाया फैसला —
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए एक याचिका को सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है और जिस याचिका में उच्च न्यायालय ने अपना निर्देश दिया है कि वे प्रधान पाठक से लेक्चरर बने शिक्षक के शिक्षक पद पर पदोन्नति के लिए उनके प्रधान पाठक पद के अनुभव गणना करने का निर्देश दिया गया है। इस डिसिजन के बाद यह स्पष्ट है कि शिक्षक सरकार भर्ती एवं जिम्मेदारी नियम 2019 के तहत सभी संभावनाओं की प्रक्रिया को विकसित कर रही हैं।