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भेदिया मूवी रिव्यू: बढ़ते वीएफएक्स और चालाकी से राइटिंग करने वाला है वरुण चकमा के ‘भेड़िया’

नई दिल्ली: आपकी हिंदी फ़िल्मों में ‘इच्छी छायादार नागानी’ कई बार नज़र आएंगी, टीवी सीरियल्स में तो इच्छीछात्री मक्खी और नेवला भी नज़र आएँगे। ऐसे में निर्देशक अमर कौशिक अपराध के रूप में बड़ी स्क्रीन पर एक ‘इच्छाधारी भेड़िया’ लेकर आए हैं। अब आप कहें ऐसी छायाधारी भेड़िया, ऐसा ही होता है। तो भाई इस फिल्म के एक डायलॉग के अंदाज में मैं भी आपसे यही कहूँगा, ‘क्‍यों इचछाधारी होने का लाइसेंस स‍िर्फ नाग‍िन के पास है क्‍या भाई…’ पर क्‍या अरुणाचल प्रदेश के ‘जीरो’ घबराने से दिल्‍ली से पहुंचे इस इचछाधारी भेड़िए की कहानी आपको सिनेमाघरों में जाकर देखनी चाहिए… चल‍िए आपको बताता हूं।

कहानी: ‘भेड़िया’ की कहानी शुरू होती है दिल्ली के एक छोटे से कॉन्ट्रैक्टर भास्कर (वरुण चक) से जैसे अरुणाचल प्रदेश के एक इलाके में सड़क बनाने का काम मिला है। इस कॉन्ट्रेक्ट के हिसाब से सड़क जंगल के बीचों-बीच से निकलनी है, पर इस जंगल पर यहां के कई लोग, कई प्रजातियां और कई जानवरों की जिंदगी निरभर है। वरुण दोषी अपने चचेरे भाई जनार्दन यानी जेडी (अभिषेक बनर्जी) को लेकर यहां पहुंचे हैं। लेकिन यहां वरुण ही अपराधी एक भेड़िये को काट लेता है और फिर वरुण बन जाता है, लालची भेड़िया। अब ये इच्चछाधारी भेड़िया क्‍या करता है, उसकी प्रोजेक्‍ट का क्‍या होगा, क्‍या वरुण ठीक होगा या नहीं, ये सब जानने के लिए आपको थियेटर्स का रूख करना होगा।

शानदार कहानी, जानदार कॉन्सेप्‍ट

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प्रथम प्रकाशित : 25 नवंबर, 2022, 09:53 IST

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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