क्या आप रात में ठीक से ठीक नहीं हैं? बार-बार आपकी नींद खुल जाती है? या फिर कोई भी वस्तु कहीं भी चलती है? या आप किसी बात को लेकर तनाव में रहते हैं? ये सभी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक हैं। ये आपकी सेहत को प्रभावित करते हैं। ऐसी स्थिति में सबसे जरूरी है अपने अपार्टमेंट को शांत करना। बिना किसी दुष्प्रभाव के आयुर्वेदिक हर्ब ही स्टेरॉयड हो सकता है। जटामांसी एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जो ब्रेन नर्व को शांत कर मस्तिष्क स्वास्थ्य को लाभ (जटामांसी के फायदे) पहुंचाती है।
कैसे काम करता है (जटामांसी पोषक तत्व)
आयुर्वेदाचार्य डॉ. नीतीश भट्ट कहते हैं, ‘जटामांसी स्वाद में कड़वी (कड़वा) और कषाय (तीखा) और तासीर में मीठा (शीता) होता है। इसमें कई आवश्यक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जटामांसी में एक्टिनिडीन, नर्डोल, एंजेलिविन, कुमारिन जैसे कई आवश्यक रसायन शामिल होते हैं। यह मस्तिष्क के लिए टॉनिक के रूप में काम करता है। आपके एंटीऑक्सीडेंट गुण के कारण यह मस्तिष्क क्षति को रोककर स्मृति और मस्तिष्क कार्यों को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह मस्तिष्क को शांत करता है। यह अंगजयति के साथ-साथ इंसानिआ को भी नियंत्रित करता है।’
स्पाइकनार्ड (Spikenard) का नाम से भी जाना जाता है
आयुर्वेद के अनुसार, जटामांसी अपनी तैलीय प्रकृति के कारण वनस्पति को रोकने में मदद करती है। जटामांसी स्पाइकेनार्ड (स्पाइकनार्ड) का नाम भी जाना जाता है। यह जड़ी बूटी हिमालय क्षेत्र में पाई जाती है। आयुर्वेद में जटामांसी की केवल जड़ें और राइजोम का उपयोग किया जाता है। यह तंत्रिका-सुरक्षा गुणधर्म के कारण औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है।
जानिए मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए कितनी चमत्कारी हो सकती है जटामांसी (जटामांसी के 5 फायदे)
1 अनिद्रा दूर करती है (अनिद्रा के लिए जटामांसी)
डॉ. निधी के अनुसार, जब भी लोग किसी, कश्मीरी स्थिति का सामना करते हैं, तो उनकी नींद प्रभावित हो जाती है। नींद की कमी से दवाई और मानसिक स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होते हैं। यह यदाश्त को भी नुकसान पहुँचा सकता है। जटामांसी को अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर लिया जाता है, तो इससे नींद न आने की बीमारी को दूर करने में मदद मिल सकती है। यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है। इंसोमनिया की कहानियाँ कम होती हैं।
2 अवसाद का उपचार (अवसाद के लिए जटामांसी)
नकारात्मक विचार और अत्यधिक चिंता अवसाद के कारण हैं। इसका कारण मूड एनोटेशन भी हो सकता है। मूड को बेहतर बनाने और जीवन के प्रति सकारात्मक विचार के लिए आयुर्वेद जटामांसी पर भरोसा करें। यह औषधीय जड़ी-बूटियों में मोनोमाइन के स्तर को बढ़ाता है। इससे मन शांत होता है। इससे वेलनेस की भावना भी पैदा हो सकती है। यह मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर गाबा (GABA) के स्तर को कम करता है। इससे भी
अवसाद कम हो सकता है।
3 तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाता है (जटामांसी तंत्रिका तंत्र के लिए)
शरीर में न्यूरॉन्स की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। नर्वस के बिना हिलने-डुलने, नीड को महसूस करना या यहां तक कि सबसे आसान काम भी करना संभव नहीं है। स्वस्थ और आकार में बने रहने के लिए, न्यूरॉन टॉनिक की आवश्यकता है। जटामांसी में विभिन्न न्यूरो-सुरक्षात्मक गुण मौजूद हैं। यह बिना किसी गंभीर उपकरण के जोड़ों को मजबूत बनाता है करने में मदद मिलती है।।
4 स्मृति शक्ति बढ़ाने वाली है जटामांसी
प्रभावित हो रहे हैं तनाव पर याददाश्त प्रभावित हो रहे हैं। तनाव सीखने की क्षमता भी धीमी हो सकती है। जटामांसी एक शक्तिशाली शक्तिशाली जड़ी बूटी है, जो यदादा शक्ति (जटामांसी के फायदे) है। यह शिक्षण कार्य में सुधार करता है। बुजुर्गों में मनोभ्रंश (डिमेंशिया) या भूलने की बीमारी (याददाश्त कमजोर होना) का इलाज भी जटामांसी असरदार साबित होता है। जटामांसी में एंटीऑक्सीडेंट तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो स्मृति और तंत्रिका को सुरक्षित रखते हैं डैमेज होने को रोक में मदद मिलती है।।
जटामांसी का उपयोग कैसे करें (जटामांसी का उपयोग कैसे करें)
जटामांसी का प्रयोग हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार करना चाहिए। एक टी स्पून जटामांसी के पाउडर को शहद के साथ दिन में एक या दो बार लेना चाहिए। नियमित रूप से इसे लेने से याददाश्त में सुधार होता है। जटामांसी की गोली या कैप्सूल भी ले सकते हैं। अन्वेषक सलाह के बाद लें।
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