UNITED NEWS OF ASIA. अरुण पुरेना, बेमेतरा। दंडी स्वामी ज्योतिर्मयानंद ने गीता महात्म्य और तुलसी वर्षा की समापन कथा सुनाते हुए कहा जीवन में तीन तरीके से ज्ञान और कर्म किए जाते है मनसा वाचा कर्मणा।भगवान का नाम सीधा बोलो या उल्टा भगवान ऐसे दयालु है जो दोनों रूप स्वीकार कर लेते हैं।
आज गीता महात्म्य और तुलसी वर्षा की कथा बता रहा हूं पुराणों का सार मद्भागवत है तो भागवत का सार गीता है, बिना गीता के श्री मद्भागवत कथा पूर्ण नहीं माना जाता इसके श्रवण से ही भागवत कथा पूर्ण माना गया है। श्रीमद् भगवत माहात्मय का वर्णन करने के लिए किसी की भी सामर्थ्य नहीं है क्योंकि यह एक परम रहस्यमई ग्रंथ है इसमें संपूर्ण वेदों का सार संग्रह किया गया है।
स्वामी ज्योतिर्मयानंद ने कहा मन इन्द्रियों का राजा है लेकिन मन में मोह और विवेक नामक दो राजाओं का द्वंद चलते रहता है। मोह और विवेक ही जीवन में महाभारत कराते है।मन धृतराष्ट्र है जो सुन सकता है देख नहीं सकता अर्थात मोह तो है पर चक्षु ज्ञान विवेक नहीं है।महाभारत भारत का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति के इतिहास वर्ग में आता है। इसे भारत भी कहा जाता है।
यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का लंबा साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद कहा गया है।
गीता हिंदू धर्म का प्रमुख ग्रंथ है जिसमें एक ही देवता है वासुदेव कृष्णा ,गीता में योग ही योग है,भक्ति योग कर्म सांख्य योग ,योग का मतलब जुड़ा होना है इसमें आत्मा और परमात्मा का जुड़ाव है। आत्मा और परमात्मा का एकाकार मोह को त्यागना है।गीता से ही जीव का मोक्ष होता है।मोहपाश में बंधे अर्जुन रूपी शरीर को आत्मज्ञान देकर आत्मा स्वरूप परमात्मा ,संसार के चंगुल से छुड़ा लेता है।
स्वामी ज्योतिर्मयानंद ने आगे कहते हैं समग्र जीवन में सुमति और कुमति का राज है पांडव सुमति है तो कौरव कुमति। शरीर अर्जुन है तो आत्मा कृष्ण और जो चेतना शक्ति है वह है संजय। मन रूपी धृतराष्ट्र को चेतना रूपी संजय बार बार चेताया करता है हे राजन कुमति को छोड़ सुमति का सुन लेकिन मन तो मदांध है।
दंडी स्वामी ने कहा धर्म के बिना कर्म और जीवन व्यर्थ है।
धर्म पर कहा धर्मों रक्षति धर्म इति धर्म:। धर्म को धारण किया जाता है आप धर्म की रक्षा करेंगे धर्म आपकी रक्षा करेगा। धारण का अभिप्राय अंगीकार करना है आत्मसात करना है।
दंडी स्वामी ने तुलसी महात्म्य में कहा श्री तुलसी महारानी ही लक्ष्मी का अवतार है, देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी माना गया है। तुलसी देवी लक्ष्मी का सांसारिक रूप है जहां विष्णु है वहां लक्ष्मी है और जहां कृष्ण है वहां तुलसी है। जहां कृष्ण और तुलसी साथ साथ है वहीं वृंदावन है जहां बाके बिहारी शाश्वत विद्यमान है।
राजा परीक्षित को ज्ञानवान शुकदेव मुनि कह रहे राजन जीवन में गुरु का बहुत महत्व है बिना गुरु ज्ञान नहीं बिना भगवान के जीवन संग्राम नहीं। गुरु ही गोविंद की ओर ले जाते है जो आनन्द कंद है जीव को संसार के मोह बंधन से छुड़ाने वाला है भगवान स्वर्ग दिलाने वाला है भगवान भक्ति आनंद स्वर्ग की प्राप्ति कराते है।
कार्यक्रम में शत्रुघन सिंह साहू, लेखमणि पाण्डेय, राजेंद्र शर्मा (पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा), जितेंद्र शुक्ला, नंदकिशोर पाण्डेय, ताराचंद माहेश्वरी, मनोज शर्मा, सतीश कसार, ललित विश्वकर्मा, सुरेश पटेल, महेंद्र गुप्ता, रोशन दत्ता, दीपक पाण्डेय, प्रांजल गौतम, हितेंद्र साहू, प्रहलाद मिश्रा, धनेश्वर पाण्डेय, नीतू कोठारी, सीमा साहू, वर्षा गौतम, ज्योती सिंघानिया, रश्मि शर्मा, माधवी शर्मा, नीति अग्रवाल, महेश शर्मा, लोकेश्वर शुक्ला उपस्थित रहे।