
UNITED NEWS OF ASIA. बेमेतरा। कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा में विकसीत भारत 2047 अंतर्गत 100 दिवसीय कार्ययोजना अंतर्गत विभिन्न आजीविका मूलक उन्नत कृषि तकनीकों पर 5 दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में बेमेतरा ज़िले के 200 कृषक, महिला कृषक एवं कृषि सखियों ने इस प्रशिक्षण में शामिल हुए।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं केन्द्र के प्रमुख डॉ. तोषण कुमार ठाकुर ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत कृषकों को जैविक खेती, सब्जियों की नर्सरी उत्पादन तकनीक, समन्वित कृषि प्रणाली एवं मशरूम उत्पादन के विषयों पर विस्तृत जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण के दौरान कृषकों को बताया गया कि जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती भविष्य की मांग है, जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती के माध्यम से ही कृषि भूमि के स्वास्थ्य व उससे मिलने वाली उपज की गुणवत्ता को बेहतर किया जा सकता है।

इस दौरान बताया कि समन्वित कृषि प्रणाली, जैविक खेती के लिए अति आवश्यक आदान समाग्री जैसे जैविक खाद एवं पौध सुरक्षा के उपाय को सुनिश्चित करता है, इसके साथ ही उत्पादन लागत को कम करते हुए प्रति इकाई क्षेत्रफल से अधिक उत्पादन व अधिक लाभ प्रदान करता है।
समन्वित कृषि प्रणाली में कृषि के साथ उद्यानिकी, पशुपालन, मछली पालन एवं मशरूम उत्पादन कार्य को किसान के पास उपलब्ध संसाधन की उपयुक्तता के आधार पर को अपनाया जा सकता है। कार्यक्रम का संचालन केवीके बेमेतरा के डॉ. जितेन्द्र कुमार जोशी एवं डॉ. लव कुमार के द्वारा किया गया।

प्रशिक्षण में जानकारी दी कि पाली हाउस या हाईटेक नर्सरी की स्थापना करके सब्जियों की नर्सरी पौध सामग्री का उत्पादन कार्य भी एक लाभप्रद व्यवसाय है, क्योंकि बेमेतरा जिला में वर्तमान में वर्षभर विभिन्न सब्जी वर्गीय फसलों की खेती 19 हजार से अधिक रकबें में की जाती है। ऐसे कृषक जो कृषि भूमि हीन है वे कृषक अपने घर के अतिरिक्त कमरा में मशरूम उत्पादन कर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते है।
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