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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हों।- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक बार फिर से जान लें महिलाओं के अधिकार।

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बार-बार आंकड़े और बताएं कि सूची की आवश्यकता नहीं है। हम सभी जानते हैं कि भारत में हर घंटे सैंकड़ों महिलाएँ बलात्कार की शिकार होती हैं। जबकि लाखों महिलाओं को घरेलू और व्यावसायिक जगहों पर उत्तेजना का सामना करना पड़ता है। मनोरंजक गीतों से लेकर कानूनी जांच के नाम पर भी राक्षसों की गरिमा से खिलवाड़ किया जाता है। जबकि कानून में किसी भी महिला की सुरक्षा और गरिमा के संरक्षण के लिए पर्याप्त प्रावधान है। इसके बावजदू जागरुकता के अभाव में बहुत से लोग अपने अधिकारों का लाभ नहीं लेते हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 (International Women’s Day 2023) के अवसर पर जानिए उन अधिकारों के बारे में जिनका लाभ कोई भी महिला (महिला अधिकार) किसी भी स्थिति में ले सकती है।

महिलाओं को कुछ कारणों की वजह से विशेष छूट दी जाती है। महिलाओं को समाज में आगे आना और उनके प्रति बने रहने को रोकने के लिए यह जरूरी भी है। लेकिन इन अधिकारों की ज्यादा जानकारी न होने की वजह से वे दुर्घटनावश पीड़ित हो जाते हैं। अधिक जानकारी के लिए हमने बात की एडवोकेट कमलेश जैन, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया से, उन्होंने महिलाओं के कुछ अधिकारों को लेकर कुछ बातें साझा की।

किसी भी महिला को रात में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। चित्र- अडोबी स्टॉक

यहां वे विशेष अधिकार हैं जो महिलाओं को दिए गए हैं

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1 भाईचारा का अधिकार

एडवोकेट कमलेश जैन ने बताया कि पारिवारिक लाभ अधिनियम 1961 कहता है कि प्रत्येक कार्य महिला अपने नवजात बच्चे की देखभाल के लिए 26 सप्ताह के लिए अपने काम से पूर्ण भुगतान वाली छुट्टी की हकदार है। यह दो बच्चों के लिए 26 सप्ताह तक उपलब्ध है। दो से अधिक बच्चों के लिए छुट्टी केवल 12 सप्ताह तक ही मिल सकती है। यह निजी क्षेत्र या सार्वजनिक क्षेत्र में सभी महिलाओं को प्रतिबंधित करता है। 2017 में इस अधिनियम में बदलाव कर इस अवधि को बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया था।

2 रात में गिरफ्तारी के खिलाफ अधिकार

दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 46 में गिरफ्तारी के तरीके का प्रावधान है, जिसमें यह कहा गया है कि जब तक कार्य को न्यायोचित बनाने वाली सामान्य स्थितियाँ न हों, किसी भी महिला को रात में नहीं किया जा सकता और जहाँ ऐसी स्थितियाँ मौजूद हों, वहाँ महिला पुलिस अधिकारियों द्वारा नज़र रखी जा रही है। जो संबंधित प्रथम श्रेणी के दस्तावेज मजिस्ट्रेट को एक लिखित रिपोर्ट देगा। और गिरफ्तारी की पूर्व अनुमति प्राप्त कर ली जाएगी।

3 गरिमापूर्ण जांच का अधिकार

किसी भी महिला गवाह को जांच के किसी भी उद्देश्य के लिए उसके निवास स्थान के अलावा किसी अन्य स्थान पर उपस्थित होने के लिए नहीं कहा जाएगा। यदि किसी महिला पीड़िता का बयान दर्ज किया जाता है, तो यह एक महिला अधिकारी द्वारा किया जाएगा। यदि किसी पीड़ित महिला का चिकित्सीय परीक्षण किया जाता है तो यह महिला डॉक्टर या किसी अन्य महिला की उपस्थिति में शालीनता की सख्ती का पालन करते हुए किया जाएगा। बलात्कार की पुष्टि करने के लिए संबंध का संबंध अवैध है। एडवोकेट कमलेश ने बताया कि आज से 20 से 30 साल पहले जीभ के जरिए महिला के साथ बलात्कार हुआ है या नहीं यह तय किया गया था।

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4 नो यानी कहने का अधिकार नहीं

कमलेश जैन बताती हैं कि हर महिला को अपने शरीर को लेकर पूरी तरह से आजादी है और किसी भी महिला की सहमति के बिना यौन संबंध स्थापित करने के लिए मजबूर नहीं कर सकती। यह श्रेणी में आता है। यदि पति भी बिना सहमति के जबरन यौन संबंध बनाने की कोशिश करता है, तो महिला को घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 18 के तहत सुरक्षा आदेश प्राप्त करने का अधिकार है।

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दहेज हत्या, प्रताड़ना, घरेलू हिंसा या सहयोगियों की स्थिति में किसी भी महिला को अधिकार है कि वह विवाह विच्छेद दे। चित्र : उजागर करें

5 राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990

यह राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा स्थापित किया गया है, जो एक सरकारी निकाय है। इस अधिनियम का उद्देश्य पूरे भारत में महिलाओं को उनकी समस्याओं और उनकी समस्याओं के बारे में बोलने के लिए आवाज और शक्ति प्रदान करना है। इस अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं के समग्र जीवन में सुधार करना और उन्हें आर्थिक, शारीरिक रूप से स्वतंत्र बनाना है।

6 भारतीय तलाक अधिनियम, 1969

शादियां सिर्फ बिग इंडियन वेडिंग ही नहीं हैं, जैसे यह फिल्मों या सीरियलों में नजर आती हैं। बल्कि दहेज हत्या, प्रताड़ना, घरेलू हिंसा या सहयोगियों की स्थिति में किसी भी महिला को अधिकार है कि वह विवाह विच्छेद दे। इसके लिए भारतीय कानून हर महिला को तलाक लेने का अधिकार देते हैं।

यह अधिनियम केवल तलाक लेने की प्रक्रिया को निर्धारित करता है। इसमें कई प्रावधान भी रखे गए हैं जो तलाक के बाद एक महिला को मिलने वाले फायदों से संबंधित हैं। ऐसे मामलों की सुनवाई और रजिस्ट्रार के लिए पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना की गई है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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