छत्तीसगढ़

न्यूनतम बैलेंस के नाम पर बैंक अत्याचार – कांग्रेस ने केंद्र सरकार और RBI पर लगाया संरक्षण देने का आरोप

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर । आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 1 अगस्त से बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस ₹10,000 से बढ़ाकर ₹50,000 किए जाने के फैसले को “जनविरोधी और अन्यायपूर्ण” बताते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने केंद्र सरकार, वित्त विभाग और भारतीय रिजर्व बैंक पर तीखा हमला बोला है।

वर्मा ने कहा कि मोदी सरकार और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस “आर्थिक पाप” पर चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि बैंक बेलगाम होकर खाताधारकों को लूटने के नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया—

“एक देश एक विधान का दावा करने वाली बीजेपी बताए कि हर बैंक अपनी मनमानी क्यों थोप रहा है? कहीं ₹2,000, कहीं ₹10,000 और अब ₹50,000 तक न्यूनतम बैलेंस… यह कहां तक उचित है?”

उन्होंने मांग की कि ऐसे अव्यावहारिक और शोषणकारी निर्णय को तुरंत वापस लेने का आदेश जारी किया जाए।

जन-धन और जीरो बैलेंस के दावों पर सवाल

वर्मा ने आरोप लगाया कि महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही आम जनता के लिए ₹50,000 का मिनिमम बैलेंस रखना असंभव है, और ऐसा न करने पर बैंक 5% तक पेनल्टी वसूल रहे हैं। उन्होंने कहा—

“मोदी सरकार एक तरफ जन-धन और जीरो बैलेंस खातों का प्रचार करती है, दूसरी तरफ बैंकों की अवैध वसूली को संरक्षण दे रही है।”

सेवाओं पर बेतहाशा शुल्क वृद्धि

कांग्रेस प्रवक्ता ने बैंकों पर ‘सेवा शुल्क’ के नाम पर ग्राहकों से मनमाना पैसा वसूलने का भी आरोप लगाया—

  • SMS शुल्क: पहले सालाना ₹10-15, अब ₹50 से ₹200 प्रति तिमाही।

  • ATM, डीडी, कैश डिपॉजिट और नगद निकासी शुल्क: 10 गुना तक वृद्धि।

  • लॉकर चार्ज: ₹200-500 सालाना से बढ़कर ₹2,000-₹10,000 तक।

  • चेकबुक: पहले मुफ्त, अब सभी बैंक शुल्क वसूल रहे हैं।

वर्मा ने कहा कि अपना ही पैसा बैंक में रखने पर लिमिट की शर्त और कम बैलेंस पर पेनल्टी लगाना जनता के साथ सीधा अन्याय है।

 


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