UNITED NEWS OF ASIA. बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में हाथी और बाघ जैसे वन्य जीवों की मौत के बढ़ते मामलों को लेकर सरकार ने ‘बाघ मित्र योजना’ लागू करने का निर्णय लिया है। यह योजना उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व मॉडल पर आधारित होगी, जिसमें ग्रामीणों को वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना है।
यह जानकारी राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में शपथपत्र के माध्यम से दी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने सरकार को वन्यजीव संरक्षण में अधिक गंभीरता दिखाने और मामलों की गहन निगरानी के निर्देश दिए। मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।
गुरु घासीदास नेशनल पार्क में बाघ की मौत: संदेह के घेरे में सरकार
8 नवंबर 2024 को कोरिया जिले के गुरु घासीदास नेशनल पार्क में एक बाघ का शव बरामद हुआ था। शव सोनहत-भरतपुर सीमा के पास देवशील कटवार गांव में पाया गया। प्रारंभिक जांच में बाघ के नाखून, दांत, और आंख जैसे अंग गायब मिले, जिससे आशंका जताई गई कि बाघ को जहर देकर मारा गया है।
हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर की पुष्टि नहीं हुई और बाघ की मौत का कारण बीमारी बताया गया। बिसरा रिपोर्ट आने के बाद मामले की स्थिति स्पष्ट होगी।
हाईकोर्ट की नाराजगी: वन्यजीव संरक्षण पर उठाए सख्त सवाल
बाघ की मौत के मामले पर हाईकोर्ट ने 11 नवंबर 2024 को सुनवाई करते हुए नाराजगी जताई थी। अदालत ने कहा, “वन्यजीव और पर्यावरण दोनों नष्ट हो रहे हैं। जंगल और वन्यजीव खत्म हो जाएंगे, तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा।”
कोर्ट ने वन विभाग के उच्च अधिकारियों से जवाब-तलब करते हुए कहा कि वन्यजीव संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी 10 दिन के भीतर शपथपत्र पर दी जाए।
शासन का जवाब: बाघ मित्र योजना और अन्य कदम
सरकार ने 21 नवंबर 2024 को हाईकोर्ट में शपथपत्र प्रस्तुत किया और बताया कि बाघों की सुरक्षा के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं:
- बाघ मित्र योजना: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व मॉडल के आधार पर ग्रामीणों को ‘बाघ मित्र’ बनाया जाएगा।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम: पशु चिकित्सकों और वन विभाग के अधिकारियों के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।
- संयुक्त बैठकें: मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने बाघों की सुरक्षा के लिए 12 दिसंबर 2024 को संयुक्त बैठक की।
- सीमावर्ती गांवों का दौरा: वन विभाग की टीम ने उत्तर प्रदेश के टाइगर रिजर्व और सीमावर्ती गांवों का अध्ययन किया।
‘बाघ मित्र’ कैसे करेंगे मदद?
ग्रामीणों को प्रशिक्षित कर टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में मानव हस्तक्षेप को कम करने और बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। वे वन विभाग के साथ मिलकर काम करेंगे और वन्यजीव संरक्षण में अहम भूमिका निभाएंगे।