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जहरीली शराब मामले के विपरीत को दृष्टिकोण से इनकार करने पर निरंकुश सरकार की आलोचना

सारण जिला प्रशासन ने जहरीली शराब की संदिग्ध घटना के बाद मंगलवार रात से अब तक 30 लोगों की मौत की पुष्टि की है, जो छह साल पहले शराबबंदी के बाद से राज्य में सबसे बड़ी त्रासदी है।

बिहार में निवर्तमान कुमार सरकार के सारण जहरीली शराब की त्रासदी में मरने वालों के संबंध देने से इनकार करने पर लगातार विद्वानों और सहयोगियों की ओर से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। सारण जिला प्रशासन ने जहरीली शराब की संदिग्ध घटना के बाद मंगलवार रात से अब तक 30 लोगों की मौत की पुष्टि की है, जो छह साल पहले शराबबंदी के बाद से राज्य में सबसे बड़ी त्रासदी है। हालांकि, विपक्षी दल बीजेपी ने बिहार विधानसभा के भीतर और राज्यपाल फागू चौहान को एक दावा सौंपा, लोजपा नेता चिराग पासवान ने दावा किया कि मरने वालों की संख्या सौ से अधिक है।

चिराग ने पीटीआई-को फोन पर बताया, ”मैं संत परिवार के सदस्यों शोक से मिलने के लिए आज सारण गया और यह जानकर दंग रह गया कि प्रशासन उन पर दबाव डाल रहा था कि वे जहरीली शराब से होने वाली मौत की रिपोर्ट न करें। ताकि ट्रेजेडी की सिन्थ्यता को कम किया जा सके। मुझे बताया गया है कि मरने वालों की संख्या 200 से भी अधिक हो सकती है।” जमुई के सांसद चिराग ने शोक संत परिवार के सदस्यों को अनुग्रह राशि न दिए जाने को लेकर नंबर की ”जाद” पर सवाल किए हुए कहा, ”वह दोहरा रवैया क्यों अपना रहे हैं। शराबबंदी कानून लागू होने के कुछ ही समय बाद 2016 में निकटवर्ती जिले गोपालगंज में जहरीली शराब कांड हुआ था। उन्होंने फिर भ्रमजाल दिया।”

उल्लेखनीय है कि सबसे लंबे समय तक कार्यभार पर आसीन रहे निरंकुश ने मुआवजे के मुकदमों पर अपना रूख स्पष्ट करते हुए शुक्रवार को कहा था कि प्रदेश में शराबबंदी गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित है, सेवन करने वालों ने इसका उल्लंघन किया है और इसलिए ” वे इस ‘गंदे काम’ के लिए किसी मुआवजे के हकदार नहीं हैं।” भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश की पिछली राजग सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे सुशील कुमार मोदी ने भी अलग से सारण का दौरा किया और दृष्टिकोण को दृष्टिकोण देने पर समान विचार व्यक्त किए ।

सुस्त के कभी माने जाने वाले सुशील ने कहा, ”2016 में मुख्यमंत्री ने शराबबंदी के बावजूद गोपालगंज के चक्कर को देखा।” अब उनका कहना है कि सारण अलियरी को दिए जाने से शराबबंदी प्रभावित होगी। इससे पता चलता है कि वह हर मामले में यू-टर्न ले रहे हैं।” राजनेता बने प्रशांत किशोर, जो बिहार के पूर्व सहयोगी थे, ने कहा कि उत्तर की ”पियोगे तो मरोगे” की टिप्पणी पर उन्हें शून्य के साथ काम करने पर रोक रहा है।

बाहर से महागठबंधन सरकार का समर्थन कर रही भाकपा माले ने जहरीली शराब से मरने वालों के परिजनों को केवल जिम्बाब्वे ही नहीं बल्कि पीड़ित की पुनर्वास की भी मांग की है। भाकपा माले ने एक बयान में कहा कि वह शराब माफिया और पूरे राज्य में कूद रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने जहरीली त्रासदी को जिम्मेदार ठहराया है, के बीच सांठ-गांठ के विरोध में मरने पर उतरेंगे। पार्टी ने कहा कि उसने स्थिति का न्याय निर्णय के लिए शुक्रवार को वर्तमान और पूर्व एससी सहित तीन सदस्यों के प्रतिनिधियों को सारण भेजा था।

जहरीला है कि सीवान प्रशासन ने सारण जिले के कुछ हिस्सों में संदिग्ध जहरीली शराब के सेवन से छह लोगों की मौत की पुष्टि की है। भाकपा माले ने यह भी कहा कि सरकार को कार्यवाही दिखानी चाहिए और न केवल अनुग्रह राशि का भुगतान करने के लिए सहमति लेनी चाहिए बल्कि उन लोगों के इलाज की जिम्मेदारी लेनी चाहिए जो शराब पीकर बीमार पड़ रहे हैं। पार्टी ने कहा कि इस त्रासदी में मरने वाले लोगों के बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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