शाम को संदेश पत्र में शाइस्ता परवीन ने कहा, “शुक्रवार की घटना बेहद दुखद और निंदनीय है। इस घटना को लेकर उमेश पाल की पत्नी की ओर से मेरे पति अतीक अहमद, मेरे देवर खालिद अजीम ऊर अशरफ, मेरे और मेरे बेटों सहित नौ लोगों का नाम लेते हुए नौ अन्य अज्ञात लोगों की प्राथमिकी दर्ज की गई है।
माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन ने शुक्रवार को उमेश पाल की दिनदहाड़े हुई हत्या की जांच सीबीआई से मांग करते हुए नंबर योगी आदित्यनाथ को सोमवार को एक पत्र लिखा। शाम को संदेश पत्र में शाइस्ता परवीन ने कहा, “शुक्रवार की घटना बेहद दुखद और निंदनीय है। इस घटना को लेकर उमेश पाल की पत्नी की ओर से मेरे पति अतीक अहमद, मेरे देवर खालिद अजीम ऊर अशरफ, मेरे और मेरे बेटों सहित नौ लोगों का नाम लेते हुए नौ अन्य अज्ञात लोगों की प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पत्र में कहा गया है, “इसमें मेरे पति, देवर और पुत्रों पर छंदयंत्र रचने का आरोप लगाया गया है, और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर मेरे बेटे अली को शूटर बताया गया है, जबकि यह बिल्कुल निराधार है।” शाइस्ता परवीन के अनुसार, “सत्यता यह है कि जबसे बसपा ने मुझे प्रयागराज से महापौर का उम्मीदवार घोषित किया है, तबसे यहां के एक स्थानीय नेता और आपकी सरकार में कैबिनेट मंत्री ने महापौर का पद अपने पास बनाए रखने के लिए हमारे खिलाफ साजिश करना शुरू किया कर दिया और साजिश इसी के तहत एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई जिसका आरोप मेरे पति पर लगना स्वभाव है।”
उन्होंने कहा, “उमेश पाल, राजू पाल हत्याकांड के गवाह नहीं थे, बल्कि उन्होंने धूमनगंज थाना में चोरी की वैसी दर्ज की थी, जिसमें उनकी गवाही 16 और 17 अगस्त, 2016 को दर्ज की गई थी।” पत्र में लिखा है, “चुंकि प्रयाग पुलिस राज पूरी तरह से आपके मंत्री के दबाव में काम कर रही है इसलिए रिमांड के गांव एक साजिश के तहत मेरे पति और देवर को जेल से बुलाकर रास्ते में उनकी हत्या की जा सकती है।” उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को उमेश पाल और उनके एक सुरक्षाकर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
इस हमले में एक अन्य सुरक्षाकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गया जिसे रविवार को लखनऊ रेफर कर दिया गया। इस हत्याकांड को लेकर उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने शनिवार को धूमगंज थाना में डाला दिया जिसमें पूर्व सांसद अतीक अहमद, अतीक के भाई अशरफ, अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, अतीक के दो बेटे, अतीक के साथी गुड्डू मुस्लिम और दास और नौ अन्य साथियों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 506, 120-बी, 34, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धारा तीन और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 1932 की धारा सात के तहत मामला दर्ज किया गया था।
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